चंद्रयान 2 क्या हैं इसके विभिन्न घटक, महत्व, कुल खर्च और इसका सफ़र कैसा होगा | Chandrayaan-2 important components, Significance, Total Cost and it’s Journey in Space in Hindi
48 दिन में कई मुश्किल पड़ावों को पार करते हुए “चंद्रयान-2” के लैंडर-रोवर को चांद की सतह पर उतार देगा. भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्र सतह पर उतरने वाला चौथा देश बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है. इस ऐतिहासिक उपलब्धि की ओर अपना पहला कदम बढ़ाते हुए 22 जुलाई 2019 को ठीक दोपहर 2:43 बजे “चंद्रयान-2” को लांच किया गया.
जैसे ही इस यान ने रॉकेट से अलग होकर अपना सफर शुरू किया तो इस अभियान से जुड़े हर शख्स के चेहरे पर खुशी आ गई. यह भारतीयों के लिए अत्यंत खुशी की बात है. इस मौके पर हर भारतीय के मन में बस 3 शब्द थे “चांद चले हम”.
7 सितंबर को जैसे ही चंद्रयान-2 चांद की सतह अपना कदम रखेंगा. भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा. इससे पहले अब तक सिर्फ तीन देश चन्द्रमा पर अपने यान उतार पाए है जिसमे है- अमेरिका, रूस और चीन.
बता दें कि इससे पहले चंद्रयान की लॉन्चिंग 15 जुलाई को होनी थी लेकिन लॉन्चिंग से पहले अभियान को रोक दिया गया था.
चंद्रयान-2 के प्रमुख घटक (Major components of Chandrayaan-2)
चंद्रयान-2 नामक इस मिशन के तीन महत्वपूर्ण घटक हैं – ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान.
1. ऑर्बिटर (Orbiter)
2379 किलोग्राम वजन वाला ऑर्बिटर 1 साल तक चांद की परिक्रमा करेगा. इसमें 8 पैरोड लगे हैं जो अलग-अलग प्रयोगों को अंजाम देंगे. यह ऑर्बिटर बेंगलुरू स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क से संपर्क साधने में सक्षम होगा. इसके अलावा यह लैंडर के संपर्क में भी रहेगा.
2. लैंडर विक्रम (Lander Vikram)
1471 किलोग्राम वजनी लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के जनक कहे जाने वाले “विक्रम साराभाई” के नाम पर रखा गया है. इस पर 3 पेलोड लगे हैं. यह 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा. इसे चांद की 1 दिन की अवधि तक काम करने के लिए तैयार किया गया है. धरती के हिसाब से यह अवधि 14 दिन की बनेगी. लैंडर बेंगलुरु में आईडीएसएन के साथ साथ ऑर्बिटर और रोवर से संपर्क स्थापित कर सकेगा.
3. रोवर प्रज्ञान (Rover Pragyan)
रोवर प्रज्ञान का नाम संस्कृत से लिया गया है जिसका अर्थ होता है ज्ञान. 27 किलोग्राम वजन वाले इस रोवर पर दो पेलोड लगे हुए हैं. यह छः पहियों वाला एक रोबोटिक वाहन है. सौर ऊर्जा की मदद से यह 1 सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से चल सकेगा. इसे भी चांद के 1 दिन यानी धरती के 14 दिन के बराबर काम करने के लिए बनाया गया है. इस पूरी अवधि में यह चांद की सतह पर कुल 500 मीटर की दूरी तय करेगा.
रॉकेट अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद, फ़ेयरिंग यानी रॉकेट के ऊपर वाले हिस्से को अलग करता है और अपना पेलोड छोड़ता है. ऑर्बिटर-लैंडर मॉड्यूल पृथ्वी के चारों ओर पांच जटिल युद्धाभ्यासों की एक श्रृंखला का संचालन करेगा. जब चंद्रमा की कक्षा द्वारा युगल पर कब्जा कर लिया जाता है, तो चंद्रमा पर नरम लैंडिंग करने के लिए लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और फिर रोवर को चंद्र सतह पर छोड़ देगा.
चंद्रयान-2 के लाभ (Benefits of Chandrayaan-2)
“चंद्रयान-2” से देश को होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं –
1. धरती के बाद चांद पर भौगोलिक आधिपत्य की होड़ में भारत अग्रणी बनकर उभरेगा.
2. 2022 में प्रस्तावित भारत के अंतरिक्ष में मानव मिशन “गगनयान मिशन” का रास्ता साफ होगा.
3. फ्रांस का अमेरिका के बाद भारत भी सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण स्पेस कमांड वाला देश बन सकता है
4. संचार, सेंसर प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में इसरो की क्षमता का प्रदर्शन.
5. इसरो की शक्तिशाली रॉकेट व भारी-भरकम पेलोड छोड़ने की क्षमता का दुनिया को पता चला.
6. चांद पर मिशन भेजने वाले तीन ताकतवर देशों के क्लब का चौथा सदस्य बन जाएगा.
चंद्रयान-2 में रखे गए पेलोड से मिलने वाले डाटा से वहां पानी और खनिजों की मौजूदगी का पता चलेगा जिससे वैज्ञानिक प्रयोग शुरु होंगे.
चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण पर महत्वपूर्ण बयान (Important statement on the launch of Chandrayaan-2)
1. पीएम मोदी ने कहा- “भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण, पूरा देश गौरवान्वित”
“चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण हमारे वैज्ञानिकों की ताकत और 130 करोड़ भारतीयों के दृढ़ निश्चय को दिखाता है. भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है आज पूरा देश गौरवान्वित है. यह पूरी तरह से स्वदेशी मिशन है. दिल में भारतीय, भावनाओ में भारतीय.”
2. के. सिवन (इसरो चेयरमैन) ने कहा- “चुनौतियों के लिए तैयार”
इसरो और भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को इस पल का इंतजार था. हम सफल रहे. हफ्ते भर पहले आए व्यवधान के बाद हम ने शानदार वापसी की. पूरा प्रक्षेपण उम्मीद से भी बेहतर रहा. अब इस मिशन की अगली चुनौतियों के लिए हम तैयार हैं.
3. राष्ट्रपति ने ट्विटर पर लिखा- “नई ऊंचाइयों तक पहुंचे”
“चन्द्रयान-2 का ऐतिहासिक प्रक्षेपण हर भारतीय के लिए एक गर्व का क्षण है. भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए इसरो के सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई. मेरी कामना है कि टेक्नॉलॉजी के नए-नए क्षेत्रों में ‘इसरो’, नित नई ऊंचाइयों तक पहुंचे.”
चंद्रयान मिशन का महत्व (Importance of Chandrayaan Mission)
• पृथ्वी के निर्माण से लेकर हमारे सौरमंडल को जानने और समझने का रास्ता खुलेगा.
• चांद पर यान उतारने का गौरव हासिल कर भारत बनेगा महाशक्तिशाली.
• दुनिया के सामने अपनी मैधा और क्षमता को साबित करने का मौका इसरो को मिलेगा.
चंद्रयान 2 का सफ़र (Journey of Chandrayaan 2)
• चांद की ओर रवाना होगा – 23 दिन
• चाँद के सफ़र पर लगेंगे – 23 से 30 दिन
• चाँद की कक्षा में प्रवेश होगा – 30वे दिन
• लैंडर ऑर्बिटर का अलगाव- 43वे दिन
• नियंत्रित लैंडिंग की प्रक्रिया होगी – 48वें दिन
• रफ्तार धीमी करने की प्रक्रिया होगी – 44वें दिन
• लैंडिंग होगी – 48वें दिन
चंदामामा के पास चले हम…
धरती से चांद की दूरी 3.84 लाख किलोमीटर है. धरती से गई किसी चीज को चंदा मामा तक पहुंचने के लिए कम से कम कितनी दूरी तय करनी होती है. चांद पर पहली बार इंसान के कदम पडने के गत 20 जुलाई को 50 वर्ष पूरे हुए हैं. 20 जुलाई को नासा ने अपने अपोलो 11 अभियान के तहत तीन अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर उतारा था. चंद्रमा पर पहुंचने के उनके इस अभियान में सिर्फ 4 दिन लगे थे. ऐसे में भारत के चंद्रयान- 2 अभियान के तहत रोवर उतारने में 8 दिन लगने की बहुत तार्किक वजह है. ईंधन बचाने के लिए इसरो ने घुमावदार रास्ते का चयन किया है. इस रास्ते में यान को धरती के गुरुत्व बल का लाभ मिलेगा जिसके प्रभाव से सेटेलाइट चंद्रमा की ओर बढ़ता रहेगा. अपोलो 11 अभियान में नासा ने सेंटर- वी नामक रॉकेट का इस्तेमाल किया था. जो अब तक का सबसे बड़ा और ताकतवर रॉकेट है. अभी तो उसने अपने अंतरिक्ष यात्रियों को सीधे रास्ते से चंद्रमा पर 4 दिन में उतार दिया.
चंद्रयान 2 मिशन का कुल खर्च (Total expenditure of Chandrayaan Mission)
चंद्रयान-2 पर भारत का कुल खर्च- 978 करोड़ रूपए
चांग- ई- 4 अभियान पर चीन का खर्च- 5759 करोड़ रूपए
चांद के बाद सूरज मिशन की तैयारी पर इसरो-
चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो की योजना अगले साल की पहली छमाही में सूरज मिशन आदित्य L1 को अंजाम देने की है. स्पेस एजेंसी के मुताबिक सोलर मिशन का मकसद सूर्य के कोरोना का अध्ययन करना है. सोलर मिशन के बारे में जानकारी साझा करते हुए इसरो ने अपनी वेबसाइट पर कहा है- कि आदिल्य L1 मिशन का मकसद सूरज के कोरोना यानी की बाहरी परत का अध्ययन करना है. जो कि हजारों किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है. इसरो ने कहां है कि सौर भौतिकी के लिए अभी भी रहस्य बना हुआ है कि कोरोना का तापमान इतना अधिक कैसे हो सकता है?
पृथ्वी के 15,00,000 किलोमीटर दूर है कोरोना-
इसरो के प्रमुख “के सिवन” ने पिछले महीने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था- कोरोना पृथ्वी से 15,00,000 किलोमीटर दूर है. सूर्य की बाहरी परत का अध्ययन करना इसलिए जरूरी है क्योंकि जलवायु परिवर्तन पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा था कि 2020 की पहली छमाही में सोलर मिशन को लांच करने की योजना है. उन्होंने यह भी कहा था कि अगले दो-तीन साल में एक अंतरग्रहीय मिशन शुक्र पर भेजने की योजना है. आदिल्य L1 अंतरिक्ष परीक्षणों के साथ कोरोना के अलावा सूर्य के बाह्यमंडल और वर्ण मंडल का विश्लेषण भी उपलब्ध करा सकता है. इसरो ने कहा कि इसके अलावा पार्टिकल पेलोड सूर्य से उठते गण प्रभाव का अध्ययन भी किया जाएगा. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि इन पेलोड को धरती के चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव से बाहर स्थापित किया जाएगा क्योंकि यह धरती की निचली कक्षा में उपयोगी नहीं हो सकते.
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