कहानी, नाटक व कविता में अंतर
Difference Between Story, Drama and Poem in Hindi
साहित्य की कई सारी विधाएं हैं। जिनके अंतर्गत साहित्यकार अपने विचारों को प्रस्तुत करते हैं. कुछ प्रमुख विधाएं हैं – नाटक, एकांकी, उपन्यास, कहानी, आलोचना, निबंध, संस्मरण, रेखाचित्र, आत्मकथा, जीवनी, डायरी, यात्रावृत्त, रिपोर्ताज, कविता आदि. हिंदी साहित्य की दो शैलियाँ हैं – गद्य और पद्य. कहानी और नाटक गद्य की विधाएं हैं. कविता, पद्य की विधा है. आज हम यहाँ कहानी, नाटक, कविता के बारे में जानेंगे कि इनकी क्या विशेषताएं हैं और क्यों ये एक दूसरे से आपस में भिन्न हैं.
बिन्दुओं के माध्यम से कहानी, नाटक व कविता में अंतर
- कहानी एक बैठक में ख़तम हो सकती है लेकिन नाटक एक अभिनय पर आधारित होता है. कविता छोटी और बड़ी हो सकती है. कविता लयबद्ध होती है.
- कहानी में कथानक होता है, नाटक की कोई कथावस्तु हो सकती है व पात्रों का चरित्र – चित्रण व संवाद होता है. कविता की सौन्दर्यता रस, अलंकार व छंदों के द्वारा बढ़ाई जाती है.
- नाटक में किसी कहानी को अभिनय से प्रदर्शित किया जा सकता है और कहानी में जीवन की झलक हो सकती है. कविता प्रकृति या किसी घटना से प्रेरित होकर लिखी जाती है और यह भाव प्रधान होती है.
- कहानी के छः तत्व माने गये हैं – कथावस्तु, चरित्र-चित्रण, संवाद, देशकाल या वातावरण, उद्देश्य, शैली. नाटक के तत्व हैं कथावस्तु, नेता (नायक), अभिनय, रस और वृत्ति. कविता के सौन्दर्य तत्व हैं – भाव – सौन्दर्य, विचार – सौन्दर्य, नाद – सौन्दर्य, अप्रस्तुत योजना का सौन्दर्य.
- कहानी गद्य की ही एक विधा है. नाटक का निर्माण “नट” शब्द से हुआ है जिसका आशय है – सात्त्विक भावों का अभिनय.कविता पद्यात्मक होती है. कविता की कई विधाएं हैं, जैसे – गीत, दोहा, भजन, छंद आदि. दोहा में दो पद होते हैं.
- नाटक का रंगमंचीय होना आवश्यक है. कहानी से हमें अंत में कोई शिक्षा या प्रेरणा मिलती है, इससे मनोरंजन तो होता ही है व जीवन जीने के लिए प्रेरणा भी मिलती है. कविता का उद्देश्य सौन्दर्य की अनुभूति द्वारा आनंद की प्राप्ति है.
- कहानी के लिये कथावस्तु का होना अनिवार्य है क्योंकि इसके अभाव में कहानी की रचना की कल्पना भी नहीं की जा सकती. नाटक की भाषा शैली होती है. कविता में भावनाओं की प्रधानता होती है. कविता के द्वारा कार्य – प्रवृत्ति का वेग उत्पन्न होता है.
- कहानी का संचालन उसके पात्रों के द्वारा किया जाता है और पात्रों के गुण-दोष ही उनका ‘चरित्र चित्रण’ कहलाता है. नाटक में पात्रों का विशेष महत्त्व है. मुख्य पात्र (नायक) कला का अधिकारी होता है. कविता में जीवन के अनुभव को काव्य रूप में दिखाया जाता है.
- नाटक में स्वाभाविकता और सजीवता को दर्शाने के लिए देशकाल और वातावरण का उचित ध्यान रखा जाता है. कहानी में वास्तविकता दर्शाने के लिये देशकाल और वातावरण का प्रयोग किया जाता है. प्रकृति या व्यापक-विशेष को कविता इस प्रकार प्रदर्शित करती है कि हमारे सामने सब सजीव लगता है.
कहानी, नाटक व कविता बनाती साहित्य को श्रेष्ठ | Story, Drama and Poem
कविता, नाटक और कहानी में भिन्नताएं होते हुए भी ये समाज का दर्पण हैं. एक कवि, नाटककार और कहानीकार अपनी प्रतिभा को अपनी लेखनी के माध्यम से किसी न किसी रूप में अंकित करता है. कविता, नाटक और कहानी आपस में भिन्न होते हुए भी साहित्यकार द्वारा लिखी हुई बातों को उनके कहानी, कविता और नाटक में उन्हें अमरता प्रदान करते हैं. साहित्य
में व्याप्त इतनी सारी विभिन्नताएं ही साहित्य को श्रेष्ठ बनाती हैं.
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