भतीजावाद, गुट बंदी, बेईमानी, मिलावट, रिश्वत, छल, कपट, धोखाधड़ी आदि भ्रष्टाचार के प्रमुख कारण है. इस रूपी दानव ने संपूर्ण भारत को अपनी चपेट में ले रखा आज केवल ही नहीं अपितु विश्व की समस्या से छुटकारा पाना मानव समाज का लक्ष्य बन चूका हैं
भ्रष्टाचार का अर्थ (Corruption Meaning)
भ्रष्टाचार का अर्थ है- भ्रष्ट आचरण. भ्रष्टाचार किसी की हत्या, मारकाट, लूटपाट, हेरा फेरी कुछ भी करा सकता है. भ्रष्टाचार ने अपने देश, जाति और समाज को अवनति के गड्डे में डाल दिया हैं.
भ्रष्टाचार की पृष्ठभूमि (Background of Corruption)
भ्रष्टाचार का मूल रूप नवोदय कहां से हुआ यह तथ्य तो स्पष्ट नहीं है किंतु यह स्पष्ट है कि स्वार्थ लिप्तता इसकी जननी तथा भौतिक ऐश्वर्य की चाह इसका पिता है. पुरातन युग में दक्षिणा, मध्यकाल में भेंट आदि तथा आधुनिक काल में उपहार आदि सभी भ्रष्टाचार के विभिन्न रूप है.
भ्रष्टाचार के विविध रूप (Corruption Types)
आज भारतीय समाज का कोई क्षेत्र सरकारी अथवा गैर सरकारी, सार्वजनिक या निजी ऐसा शेष नहीं होगा जो भ्रष्टाचार से अछूता रहा हो. किंतु फिर भी इसे तीन भागों में विभक्त किया गया हैं.
राजनीतिक भ्रष्टाचार
यह भ्रष्टाचार का प्रमुख रूप है. भ्रष्टाचार के सारे रूप इसके ही संरक्षण में पनपते हैं. इस अंतर्गत लोकसभा व विधानसभा के चुनाव जीतने के लिए अपनाया गया भ्रष्ट आचरण आता है. राजनीतिक अपहरण, हिंसा, हत्या, अत्याचार, अनाचार आदि सभी कुछ इसके अंतर्गत आते हैं. राजनीतिक विजय पाने के लिए सब न्याय संगत है. मदिरा, सुंदरिया, धन, बल तथा सब कुछ इसके लिए न्योछावर है. देश की समस्त वर्तमान दुरावस्था के मूल में राजनीतिक भ्रष्टाचार निहित है. आजकल देश में अनेक नेताओं के चुनाव जीतने के बाद भी न्यायालयों द्वारा रद्द कर दिए जाते हैं.
प्रशासनिक भ्रष्टाचार
इसके अंतर्गत उच्च पदों पर आसीन सचिव, अधिकारी, कार्यालय अधीक्षक, अधिशासी अभियंता, पुलिस अधिकारी, बाबू चपरासी सभी आते हैं. कितना भी कठिन कार्य हो पैसा हाजिर तो कार्य भी फटाफट हो जाता है. पैसा दीजिए कार्यालय मत जाइए ड्राइविंग लाइसेंस भी बन जाते हैं. रिश्वत देकर अंधो तथा दिव्यांग के भी ड्राइविंग लाइसेंस बन जाते हैं. अस्पताल, कचहरी, अन्य कार्यालयों में सभी जगह बिना कुछ लिए दिए कार्य नहीं हो पाता. पुरुष और नारी दोनों वर्ग ही भ्रष्टाचार में डूबे हैं. न्याय की दुहाई देने वाले न्यायाधीश, पुलिस अधिकारी आदि सभी इसमें लिप्त होते हैं.
व्यवसायिक भ्रष्टाचार
इसके अंतर्गत खाद्य पदार्थों में मिलावट, घटिया व नकली औषधियां, जमाखोरी, चोरी अनन्य भ्रष्ट तरीकों से समाज को कमजोर बनाने के लिए अपनाए जाते हैं. मसालों में मिलावट, दाल-चावल में मिलावट , घी में चर्बी, पेट्रोल में केरोसिन आदि व्यवसायिक भ्रष्टाचार के अंतर्गत आते हैं.
भ्रष्टाचार के कारण (Corruption Reasons)
भ्रष्टाचार पनपने के मुख्य कारण है पाश्चात्य भौतिकवादी जीवन दर्शन. अंग्रेजी शिक्षा के माध्यम से भ्रष्टाचार का आरोप संपूर्ण देश में फैला है. भारतीय चिंतनशील मनीषियों के जीवन के चार पुरुषार्थ बताए हैं धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष. इसमें धर्म तथा मोक्ष को प्राथमिकता दी गई है. धर्म पूर्वक अर्थ और काम का सेवन करते हुए मनुष्य मोक्ष की ओर अग्रसर होता है. पाश्चात्य जीवन में धर्म और मोक्ष का कोई स्थान नहीं है. अर्थ व काम की पूर्ति को ही परम पुरुषार्थ माना गया है.
पाश्चात्य उन्नति तथा वैज्ञानिक प्रगति सभी का लक्ष्य मनुष्य के लिए सांसारिक सुख भोग के साधनों की वृद्धि करना रहा है. जब एक सामान्य धार्मिक इंसान यह देखता है कि उच्च पदों पर आसीन व्यक्ति हर उपाय से पैसा बटोर कर चरम सीमा तक विलासिता का जीवन जी रहा है. पूंजीपति गरीबों का शोषण कर मखमल के गद्दे पर सोते हैं, अपनी तिजोरी भरते हैं, धनी युवतियां तितली बनी फिरती हैं और युवक छैला बने घूमते हैं तो उनका मन भी भटकने लगता है. अनेक बार उच्च अधिकारी अपने अधिनस्थ कर्मचारी को भ्रष्टाचार के मार्ग पर ले जाते हैं. ऐसे में अधीनस्थ कर्मचारी विवश होकर भ्रष्टाचार के मार्ग पर चलने लगता है.
भ्रष्टाचार दूर करने के उपाय (Corruption Problem Solution)
भ्रष्टाचार दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं
भारतीय संस्कृति की ओर ध्यान आकृष्ट करना
संस्कृति और देशी भाषाओं का शिक्षण अनिवार्य करना आवश्यक है. इससे जीवन के मूल्य दृढ़ और पोषक बनेंगे. लोक धर्म भीरु बनेंगे तथा दुराचार से घृणा करेंगे..
चुनावी प्रक्रिया को बदलना
भ्रष्टाचार को हटाने के लिए वर्तमान चुनाव पद्धति में परिवर्तन आवश्यक है. जनता ईमानदार प्रत्याशियों को विजय बनाएं. चुनाव आयोग तथा राजनीतिक दलों को मिलकर ऐसे नियम बनाने चाहिए कि स्वच्छ छवि वाले तथा शिक्षित लोगों चुनाव लड़ सके तथा उनके चुनाव पर पूरा खर्च सरकार का वहन करना चाहिए. इससे चुनावी भ्रष्टाचार मिट सकता है. राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले धन पर भी पाबंदी लगानी चाहिए.
शासन व्यय में कटौती
शासन व्यय में कटौती करके सबके सामने सादगी का आदर्श रखा जाए. भारतीय जीवन पद्धति की यह विशेषता रही है कि वह हमेशा त्यागोंमुखी रही है, इसलिए तड़क-भड़क तथा अनावश्यक बारे में व्यय में कटौती की जानी चाहिए.
देशभक्ति की भावना पैदा करना
प्रत्येक नागरिक राष्ट्र को महान समझकर सदा उसके गौरव को बनाए रखने के लिए तत्पर रहें.
स्वदेश का चिंतन करना
प्रत्येक भारतवासी को स्वदेशी वस्तुओं का ही क्रय करना चाहिए. इससे देश का धन देश में ही रहेगा और देश की समृद्धि बढेगी.
कठोर कानून बनाना
कानून को इतना कठोर बनाना चाहिए कि अपराधी कानून को हाथ में लेने से पहले सोचे.
उपसंहार (Conclusion)
सदाचार रामबाण औषधि और परम धन है. आज हमारे देश में भ्रष्टाचार मिटाना है तो सदाचारी, सरल, सादगी प्रिय लोगों का सादर अभिनन्दन किया जाना चाहिए. इससे दुराचार मिटेगा तथा सदाचार की पुनः प्रतिष्ठा हो सकेगी. देश भी विकास के मार्ग पर अग्रसर होगा.
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