भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध और जीवन गाथा | Essay On Father of Nation Mahatma Gandhi and Life History In Hindi
बीसवीं शताब्दी में जिस महान व्यक्तित्व ने विश्व का सर्वाधिक प्रभावित किया उन्हें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है. भारतवासी उन्हें बापू के नाम से पुकारते हैं. सत्य, अहिंसा और प्रेम के सिद्धांतों पर आधारित उनका जीवन संदेश आज भी भारत की सीमाओं से निकलकर सारे संसार का जीवन दर्शन बन गया है. उन्होंने राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक पर्याप्तता की बेड़ियों से भारत को मुक्त कराने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया.
महात्मा गांधी जन्म और प्रारंभिक शिक्षा (Mahatma Gandhi Birth and Eduction)
अहिंसा के पुजारी और करुणा के अवतार महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था. उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था. इनके पिता का नाम करमचंद गांधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था. इनके पिता राजकोट के दीवान थे. गांधी जी की माता धर्मनिष्ठ पूजा पाठ में विश्वास रखने वाली तथा साधु स्वभाव की महिला थी. माता की आस्तिकता और सत्य परायणता की गहरी छाप गांधी जी पर व्यापक रूप से पड़ी. गांधी जी का विवाह 13 वर्ष की उम्र में कस्तूरबा के साथ हो गया था. कस्तूरबा अधिक शिक्षित नहीं थी फिर भी उन्होंने गांधी जी को हर कदम पर आजीवन सहयोग दिया.
गांधी जी की शिक्षा राजकोट में हुई. अपने बचपन में उन्होंने सत्यवादी हरिश्चंद्र और श्रवण कुमार का नाटक पड़ा था. इन दोनों नाटकों के आदर्शों का उनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ा. 13 वर्ष की अवस्था में ही उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा कानून की शिक्षा ग्रहण करने के लिए इंग्लैंड चले गाय. वर्ष 18 संख्याओं में जब गांधी जी बैरिस्टर होकर भारत लौटे तब तक उनकी माता का देहांत हो चुका था. सर्वप्रथम गांधी जी ने मुंबई में वकालत करना आरंभ किया था. उनकी वकालत अपने ढंग की अनोखी थी. वे झूठ से काम लेना पाप समझते थे. अतः इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली. वह गरीबों के मुकदमे की पैरवी निशुल्क किया करते थे.
गांधी जी का दक्षिण अफ्रीका गमन (Mahatma Gandhi South Africa Journey)
वर्ष 1893 के इन्हें एक गुजराती व्यापारी के मुकदमे की पैरवी करने के लिए दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा. जहां उन्होंने भारतीयों की दयनीय दशा देखी. वहां भारतीयों के साथ पशुओं जैसा व्यवहार किया जाता था. गोरों तथा कालों के भेद ने गांधीजी में विद्रोह की ज्वाला उत्पन्न कर दी. वहां पर उन्हें अनेक बार अपमानित होना पड़ा था. यह सब देखकर उनका मन विद्रोह से भर गया. उन्होंने वैधानिक ढंग से युद्ध छेड़ दिया. इसके लिए उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा को अपना शस्त्र बनाया. उनके आंदोलन का अनुकूल तथा सकारात्मक प्रभाव यह हुआ कि दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को संपूर्ण जीवन जीने का अधिकार मिला. इस प्रकार सफलता प्राप्त करके गांधीजी प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंच गए. समस्त विश्व सत्य की लड़ाई के आविष्कार से चकित रह गया. बीस वर्ष अफ्रीका में रहकर गांधी जी जब वापस भारत लौटे तो उनका भव्य स्वागत किया गया.
गांधीजी का भारत आगमन (Mahatma Gandhi India Arrival)
गांधीजी दक्षिण अफ्रीका में जनप्रिय हो चुके थे. भारतीय राजनीति उनके स्वागत में पलकें बिछाए बैठी थी. लोकमान्य तिलक और गोपाल कृष्ण गोखले राजनीति के मैदान में उन्होंने गांधी जी का स्वागत किया और गांधीजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बन गए. गोपाल कृष्ण गोखले को गांधीजी का राजनितिक गुरु भी माना जाता हैं. उन्होंने अहमदाबाद के पास साबरमती के तट पर आश्रम की व्यवस्था की और भारत की कोटि-कोटि जनता का मार्गदर्शन करने लगे. गांधी जी ने अंग्रेजों से टक्कर लेने के लिए अहिंसा और असहयोग को शस्त्र बनाया. उन्होंने भारतीयों के संगठन का काम किया. देश भ्रमण करके सुप्त मानव चेतना को जगाने का काम गांधीजी ने किया. इससे भारतीयों में एक नई स्फूर्ति आ गई और लोग सत्याग्रह में भाग लेने लगे. उनके एक भारतवासी अपने प्राण न्यौछावर करने के लिए स्वतंत्र स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े.
पड़ गई जिधर भी एक दृष्टि, गढ़ गए कोटि दृग उसी ओर.
स्वतंत्रता आंदोलन और जेल यात्रा (Mahatma Gandhi Revolutions)
गांधीजी ने भारत की आजादी के लिए देशव्यापी आंदोलन छेड़ दिया था. उन्होंने चरखे को स्वतंत्रता का प्रतीक और अहिंसा को इस आंदोलन का अस्त्र बनाया. स्वतंत्रता आंदोलन के इस कर्मठ सिपाही को अनेक बार जेल यात्रा भी करनी पड़ी. गांधी जी को कांग्रेस का सभापति बनाया गया था. उन्होंने 1930 में दांडी में नमक सत्याग्रह करके नमक कानून को तोड़ा. इस आंदोलन के दौरान गांधी जी के साथ सहस्त्र लोगों को बंदी बनाया गया. लाचार होकर ब्रिटिश सरकार ने सभी को मुक्त करते हुए नमक कानून वापस ले लिया. वर्ष 1942 में उन्होंने मुंबई अधिवेशन में एक नारा दिया था “अंग्रेजों भारत छोड़ो” तथा भारतीयों से “करो या मरो” का आहान किया. इस दौरान गांधी जी को आगा खां महल में नजरबंद रखा गया था. यही कस्तूरबा की भी मृत्यु हो गई थी. अब अंग्रेजों ने मन ही मन समझ लिया था कि उन्हें भारत से जाना ही होगा अंत में गांधी जी की नीति की विजय हुई और 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र होगा गांधी जी भारत की अखंडता के पक्षपाती थे किंतु समाज और देश के विभाजन को स्वीकार कर लिया.
गाँधीजी द्वारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन (List of Revolution by Mahatma Gandhi)
सन 1920 में -: असहयोग आंदोलन [Non Co-operation Movement]
सन 1930 में -: अवज्ञा आंदोलन /नमक सत्याग्रह आंदोलन / दांडी यात्रा [Civil Disobedience Movement/Salt Satyagrah Movement/Dandi March]
सन 1942 में -: भारत छोड़ो आंदोलन [Quit India Movement]
सन 1918 में -: चंपारन और खेड़ा सत्याग्रह
सन 1919 में -: खिलाफत आंदोलन [Khilafat Movement]
समाज सुधार के कार्य (Mahatma Gandhi Social Cause)
एक समाज सुधारक के रूप में गांधीजी का योगदान अतुलनीय हैं. जातिवाद, छुआछूत, पर्दाप्रथा, बहु विवाह, नशाखोरी और सांप्रदायिक भेद भाव जैसी बुराइयों के लिए उन्होंने निरंतर संघर्ष किया. जातिवाद और छुआछूत को मिटाने के लिए उन्होंने सबसे अधिक प्रयास किया. अछूतों को हरिजन कहकर सामाजिक सम्मान दिलाया.
गांधी जी एक महान आदर्श (Mahatma Gandhi as a Ideal)
गांधी जी केवल राजनेता नहीं बल्कि समाज सुधारक एवं ग्राम सुधारक भी थे. उन्होंने हरिजनों की दयनीय दशा को देखकर हरिजनों का उत्थान किया. हरिजन पत्रिका का संपादन किया. नारी को समाज में सम्मानसंपूर्ण स्थान स्थान दिलाया. गांधी जी का मानना था भारत की अधिकतम जनसंख्या गाँव में निवास करती है इसलियें ग्रामोद्योग और शिक्षा से सही समाज का उत्थान संभव है. गांधी जी ने सर्वोदय समाज एवं अन्य सुधार आंदोलन का भी नेतृत्व किया.
गांधी जी का व्यक्तित्व महान और आकर्षक था. उनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं था. सादा जीवन उच्च विचार गांधी जी के जीवन का मूल मंत्र था. सत्य और अहिंसा उनके दिव्य अस्त्र थे. प्रेम और शांति उनका संदेश था. राम राज्य उनका सपना था. सत्याग्रह उनका संबल था. उनका मानना था पाप से घृणा करो पापी से नहीं. धन, संपत्ति और वैभव उनके लिए व्यर्थ थे.
गांधी जी की मृत्यु (Mahatma Gandhi Death)
देश की स्वतंत्रता को एक वर्ष भी नही बीता था कि गांधीजी की मानवता नीति को मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति समझकर एक भ्रांति युवक नाथूराम गोडसे ने प्रार्थना किए जाते समय प्रार्थना के लिए जाते समय 30 जनवरी 1948 को उन्हें अपने रिवाल्वर की गोलियों से निशाना बना दिया. राम-राम का उच्चारण करता हुआ मानवता का एकमात्र आश्रय संसार से विदा हो गया.
पंडित नेहरू ने गांधी जी की मृत्यु पर संवेदना प्रकट की. “सूर्य अस्त हो गया है हम अंधकार में काँप रहे हैं. विश्व प्रेम के पुजारी गांधी जी का समाधि स्थल राजघाट विश्व मानव का तीर्थ बन गया.
पंडित जवाहरलाल नेहरु ने अपने शब्दों में कहा प्रकाश बुझा नहीं है क्योंकि वह तो हजारों लाखों व्यक्तियों के ह्रदय को प्रकाशित कर चुका है. गांधी जी इस युग के सबसे महान पुरुष थे. उन्होंने शताब्दी से सोए हुए भारतवर्ष को जागृत किया और देश के आत्म सम्मान की लड़ाई थी. उनका चरित्र भारतवासियों के लिए नहीं अपितु संपूर्ण विश्व के लिए आज भी अनुकरणीय हैं. गांधीजी एक श्रेष्ठ संत, राजनीतिक विचारक, परम धर्मात्मा समाज सुधारक और मानवता के पोषक थे. महादेवी वर्मा गांधीजी के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हुई कहती है
“हे धराके अमृत सुत तुमको अशेष प्रणाम”
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Aapne Bahut Achha Post Likha Hai.
Keep it up…