कारक किसे कहते है ? जानिए परिभाषा, भेद और उसके उदाहरण
Karak Definition, Type with Example In Hindi
कारक की परिभाषा | Definition Of Karak in Hindi
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों का क्रिया के साथ संज्ञा या सर्वनाम का सम्बन्ध बताए उसे कारक कहते हैं.
उदाहरण :
- सोहम ने खाना खाया.
- मोहन साइकिल से मेला घूमने गया.
- वह भोजन परोस रही हैं.
कारक के भेद | Type Of Karak
कारक के आठ भेद होते है :
- कर्ता कारक
- कर्म कारक
- करण कारक
- सम्प्रदान कारक
- अपादान कारक
- सम्बन्ध कारक
- अधिकरण कारक
- संबोधन कारक
1. कर्ता कारक –
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से कार्य के करने वाले का बोध होता है उसे कर्ता कारक कहते है. कर्ता कारक का विभक्ति-चिह्न ‘ने’ हैं. इस ‘ने’ चिह्न का वर्तमान काल और भविष्यकाल में प्रयोग नहीं होता है तथा इस ‘ने’ चिह्न का प्रयोग जब संयुक्त कार्य सकर्मक भूतकाल होता है तब प्रयोग होता है.
उदाहरण :
- मनोज खाता है.
- मोहन ने पत्र लिखा.
- किशोर ने खा लिया.
2. कर्म कारक –
जिस कार्य का फल अर्थात प्रभाव जिस पर पड़ता है उसे कर्म कारक कहते हैं. कर्म कारक का विभक्ति-चिह्न ‘को’ है.
उदाहरण :
- मैंने नीतीश को बुलाया.
- माँ ने बच्चे को सुलाया.
- लोगों ने चोर को मारा.
3. करण कारक –
वाक्य में जब वस्तु की सहायता से या जिसके द्वारा कोई कार्य संपन्न होने के साधन का बोध हो उसे करण कारक कहते है. इसकी विभक्ति-चिह्न ‘से’ है. करण कारक के और भी विभक्ति-चिह्न हैं जैसे- से, द्वारा, के द्वारा, के जरिए, के साथ, के बिना इत्यादि.
उदाहरण :
- हम अपनी आँखों से देखते है.
- पेड़ से फल गिरा.
- मुझे अपनी कमाई से खाना मिलता है.
4. सम्प्रदान कारक –
जिसके लिए कोई क्रिया किया जाये या जिसको कुछ दिया जाये इसका बोध कराने वाले शब्द को सम्प्रदान कारक कहते है. सम्प्रदान कारक का विभक्ति-चिह्न ‘को’ और ‘के लिए’ है.
उदाहरण :
- वह तरूण के लिए मिठाई लाया.
- गुरु से ही शिष्य को ज्ञान मिलता है.
5. अपादान कारक –
संज्ञा के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरी से अलग होने का भाव प्रकट होता है उसे अपादान कारक कहते है. अपादान कारक का विभक्ति-चिह्न ‘से’ है.
उदाहरण :
- मोहन घर से बाहर निकला.
- खुशबू ने घड़े से पानी ढाला.
- बिल्ली छत से कूद पड़ी.
6. सम्बन्ध कारक –
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से किसी अन्य शब्द के साथ संबंध या लगाव का ज्ञान हो उसे सम्बन्ध कारक कहते है. सम्बन्ध कारक का विभक्ति-चिह्न ‘का’, ‘की’, और ‘के’ हैं.
उदाहरण :
- कमला का भाई आया है.
- यह राधेश्याम का गाय है.
- प्रेमचन्द के उपन्यास.
7. अधिकरण कारक –
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार का ज्ञान होता है उसे अधिकरण कारक कहते है. अधिकरण कारक का विभक्ति-चिह्न ‘में’ और ‘पर’ हैं.
उदाहरण :
- मोहन मैदान में खेल रहा है.
- तुम्हारे घर पर तीन व्यक्ति हैं.
- भँवरे फूलों पर गूंज रहे है.
8. संबोधन कारक –
जिन शब्दों का प्रयोग हम किसी को पुकारने या बुलाने में किया जाता है उसे संबोधन कारक कहते है. इस कारक में संबोधन चिन्ह ( ! ) लगाया जाता है. संबोधन कारक का विभक्ति-चिह्न ‘अरे’, ‘हे’ आदि है.
उदाहरण :
- हे गोपाल ! इधर आओ.
- अरे! तुम क्या कर रहे हो ?
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