सीमा पर तैनात सैनिक भाई को पत्र |
Letter to your brother who is Posted on Border telling him About Corona And Lockdown
नमस्कार दोस्तों आशा करता हूँ आप सभी स्वस्थ होगे. कोरोनो महामारी के कारण पूरा विश्व प्रभावित हुआ. मनुष्य प्रजाति का इस महामारी के कारण मानसिक रूप से अत्यधिक प्रभावित हुई हैं. भारत में मध्यं वर्गीय और गरीब परिवार को आर्थिक रूप से बहुत प्रभावित हुए हैं. निम्नलिखित पत्र के माध्यम के से आप सीमा पर तैनात सैनिक भाई को पत्र आवेदन कर कोरोना और उससे संबंधी चीजो का विवरण दे सकते हैं.
सीमा पर तैनात सैनिक भाई को पत्र | Letter to your brother who is Posted on Border
01, शास्त्री मार्ग
भोपाल, म.प्र
16 मार्च 2021
आदरणीय विक्रम भैया,
सादर चरण स्पर्श!
आशा है सीमा पर आप और आपके साथी सैनिक भाई सकुशल होंगे! हम सब भी यहां कुशल-मंगल से हैं!
आपको यह जानकर खुशी होगी कि पिताजी-माताजी ने कोविड-19 के टीके का पहला डोज़ लगवा लिया है और दोनों स्वस्थ हैं। कुछ दिन बाद दूसरा और अंतिम डोज़ लगवाना है।
हमारे देश और पुरी दुनिया की कोरोना वायरस बहुत ही कठोर परिक्षा ले रहा है। दिसंबर 2019 में चीन के वुहान से शुरु हुए इस वायरस ने अब तक लाखों लोगों की जान ले ली है। लेकिन भारत इस वायरस का डटकर मुकाबला कर रहा है और दुनिया के अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं। भारत ने कोरोना से निपटने के लिए – आरोग्य सेतु ऐप, लॉकडाउन, आवागमन/ट्रेवल पर प्रतिबंध और तीन सुनहरे नियमों का प्रचार जैसे जो कदम उठाए हैं, वो काफी कारगर साबित हुए हैं।
आपके सुझाव पर घर व आस-पड़ोस में सभी ने ‘आरोग्य सेतु ऐप’ को डाउनलोड कर लिया है। मास्क, हाथ बार-बार धोना व 6 फिट की दूरी के तीन सुनहरे नियमों का भी हम ठीक से पालन कर रहे हैं। हम लोगों ने आवागमन को भी कम से कम कर दिया है और आवश्यक होने पर ही बाहर निकलते हैं।
लॉकडाउन के समय तो पुरी कॉलोनी में सन्नाटा था और कोरोना-वॉरियर्स के प्रोत्साहन के लिए सबने जमकर थालियां बजाई थी। डॉक्टर-नर्स, मेडिकल कर्मी, सफाई-कर्मी, पुलिस, डिलीवरी पर्सन, एंबुलेंस ड्राइवर आदि, ये कोरोना-वॉरियर्स स्वयं के प्राण जोखिम में डालकर इस संकटकाल में देश की सेवा कर रहे हैं। इसीलिए 3 मई 2020 को सशस्त्र सैन्य बलों ने हमारे कोरोना-वॉरियर्स के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का कार्यक्रम किया था। उस कार्यक्रम को हम सभी ने बड़े चाव से टीवी पर देखा था।
उपलब्ध जानकारियों के अनुसार, कोरोना वायरस हवा से नहीं फैलता हैं। कोरोना-पीड़ीत बहनों-भाइयों की खांसी, छींक या श्वसन के दौरान जो बारीक नम बुंदें हवा में निकलती है, उनमें कोरोना वायरस होता है। ऐसे समय यदी कोई स्वस्थ व्यक्ति उनके समीप हो तो यह नम बुंदें श्वास लेने के दौरान वह अपने भीतर ले सकता है और तब उसे भी कोरोना हो जाता है। इसके अलावा ये नम बुंदें विभिन्न सामानों-स्थानों की सतहों पर या स्वस्थ व्यक्ति के हाथ पर भी गिर सकती है।
कोरोना वायरस वाली सतह पर हाथ रखने पर यह वायरस स्वस्थ व्यक्ति के हाथ पर चला जाता है। इसके बाद हाथ के माध्यम से यह नाक, मुंह या आँख के द्वारा स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर उसे भी कोरोना-पीड़ीत बना देता हैं। तीन सुनहरे नियम इसीलिए बहुत उपयोगी है।
कोरोना वायरस की अभी कोई दवाई नहीं बनी हैं। हालांकि, भारत ने इस वायरस से निपटने के लिए दो स्वदेशी टीके बना लिए है। टीके से यह रोग लोगों को होगा ही नहीं और चिकित्सा की आवश्यकता पड़ेगी ही नहीं। यह स्वदेशी टीके भारत अन्य देशों को भी ‘वैक्सीन मैत्री’ अभियान के अंतर्गत उपलब्ध करा रहा है।
कोरोना हो या कोई और दुश्मन, भारतीय सैनिक दुश्मनों से लड़ना बहुत अच्छे से जानते हैं। फिर भी आपको कुछ बातें कहना चाहता हुं। गश्त के दौरान हैंड सेनिटाइजर साथ रखना, हथियारों को भी सेनिटाइज करना, इधर-उधर कहीं भी हाथ मत लगाना, मुंह व नाक को ठीक से मास्क से ढककर रखना, साथी सैनिक भाइयों से 6 फिट की दूरी बनाएं रखना, गाड़ियों-दिवारों से भी दूरी बनाए रखना, जरुरी कारण ना हो तो बाहर मत निकलना। और बाकि भाई यही कहुंगा कि बिना ठोस कारण जोखिम उठाना बहादुरी नही है, आप कोई भी लापरवाही बिल्कुल मत करना। भाई! महत्वपुर्ण होने के चलते इस पत्र में मैंने पिछले पत्रों की कुछ बातें दोहराई हैं, उनपर गौर कीजिएगा।
प्यारे भाई! अंत में यही कहुंगा कि आप और समस्त सैनिक भाइयों पर हमारे पुरे परिवार को ही नहीं बल्कि सभी 130 करोड़ देशवासियों को बहुत गर्व है। भारतीय सेना, भारत के बाहुबल, वीरता, बलिदान और गौरव का आभास कराती है। आप और सभी सैनिक भाइयों व उनके परिवारों के लिए प्रभु कृपा की कामना के साथ पत्र को विराम दे रहा हुं।
आपका छोटा भाई
क ख ग
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