तेनाली महापरीक्षा क्या हैं और क्यों आयोजित की जाती हैं ? | What is Tenali Exam and why it’s held in Hindi | Tenali Mahapariksha in Hindi
प्रियव्रत नाम के बच्चे ने मात्र 16 साल की उम्र में ही तमिलनाडु के कांची मठ की ओर से आयोजित महापरिक्षा पास कर ली है. इसे “तेनाली परीक्षा” के नाम से भी जाना जाता है. यह परीक्षा बहुत कठिन होती है लेकिन जब इस बच्चे ने इस परीक्षा को इतनी कम उम्र में कर दिखाया तो खुद प्रधानमंत्री मोदी जी ने प्रियव्रत को बधाई देते हुए ट्वीट किया और लिखा- ‘शानदार प्रियव्रत, इस कमाल के लिए बधाई, आपकी उपलब्धि कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी.’ इस परीक्षा को इतनी कम उम्र में पास करने वाला यह पहला विद्यार्थी है जिसने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए है.
तेनाली महापरीक्षा (Tenali Exam in Hindi)
आइए सबसे पहले हम जानते है की यह महापरीक्षा क्या होती है??
तेनाली परीक्षा ऐसी परीक्षा है जिसे महापरिक्षा और तेनाली महापरीक्षा के नाम से भी जाना जाता है. इस परीक्षा के लिए आपको वेद और शास्त्रों की पढ़ाई करनी होती है. साल भर में सिर्फ 2 बार इस परीक्षा का आयोजन किया जाता है. यह परीक्षा बहुत कठिन मानी जाती है. हर कोई व्यक्ति इस परीक्षा को आसानी से पास नहीं कर सकता है. इसके लिए बहुत कठिन परिश्रम और लगन की आवश्यकता होती है. इस महापरिक्षा को पास करने के लिए आपको 14 स्तरों को पार करना होता है. कुछ विद्यार्थियों को इस परीक्षा को पास करने में कई साल लग जाते है. इस परीक्षा में सिर्फ वो ही विद्यार्थी बैठते है जिन्हें शास्त्रों का ज्ञान होता है. तेनाली परीक्षा मुख्यतः शास्त्रों और वेदों के ज्ञान से ही संबंधित है.
जिस तरह से “ओपन यूनिवर्सिटी” की परीक्षा होती है उसी तरह से यह परीक्षा भी होती है, इसमें भी कई जगहों से विद्यार्थी आते है और अपने गुरु ज्ञान के अनुसार अपनी परीक्षा देते है. तेनाली परीक्षा का आधार संस्कृत भाषा होती है, आपको इसके लिए संस्कृत का ज्ञान होना बहुत ज़रुरी है.
जिन विद्यार्थियों को तेनाली परीक्षा में हिस्सा लेना होता है उन्हें संस्कृत के साथ साथ 6 से 7 वर्षो तक इसकी पढ़ाई करनी होती है और जो विद्यार्थी इस परीक्षा के 14 स्तरों को पास कर लेता है. वह विद्यार्थी उतीर्ण कहलाता है.
लेकिन इतनी कठिन परीक्षा के बावजूद भी प्रियव्रत ने 14 स्तरों को पास ही नहीं किया बल्कि सबसे कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल कर ली है. ऐसा करके प्रियव्रत ने इतिहास में अपना नाम रच दिया है. प्रियव्रत की माता का नाम है श्रीमती अपर्णा और पिता का नाम है श्री देवदत्त पाटिल. सिर्फ मोदी जी ने ही नहीं बल्कि गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत जी ने भी प्रियव्रत को बधाई देते हुए ट्वीट किया- “प्रियव्रत और उसके गौरवशाली परिजनों को इस उपलब्धि के लिए बहुत-बहुत बधाई। तुम हमारे गौरव और लोगों को लिए प्रेरणा स्रोत हो.” यह हम सभी के लिए बहुत गौरव की बात है. प्रियव्रत युवापीढ़ी के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है.
इसे भी पढ़े :