दैनिक उपयोगी बर्तनों के संस्कृत में नाम
What We Call Utensils In Sanskrit with Hindi Meaning
यदि हम बात करें बर्तनों के इतिहास की तो इसकी शुरुआत प्राचीन काल से मानी जाती है। जब मनुष्य ने चाक के निर्माण की खोज की इसके पश्चात सर्वप्रथम मनुष्य ने बर्तन बनाने की कला को सीखा। बर्तनों के इतिहास की बात करें तो सर्वप्रथम मनुष्य ने मिट्टी के बर्तनों का निर्माण करना सिखा। इसके पश्चात तांबे एवं स्टील के बर्तनों का निर्माण करना सीखा। इसके बाद जैसे-जैसे मनुष्य विकास करता गया वह इस कला में निपुण होता चला गया।
हमारे दैनिक जीवन में बर्तन अहम भूमिका निभाते हैं। जहां बर्तनों का उपयोग हम अपनी रोजाना जिंदगी में करते हैं वही बर्तनों का उपयोग शादी विवाह समारोह, महोत्सव एवं पार्टियों जैसे उत्सवों में भी किया जाता है।
आइए जाने प्राचीन काल में संस्कृत भाषा में बर्तनों को किस नाम से जाना जाता था?
दैनिक उपयोगी बर्तनों के संस्कृत में नाम | What is utensils called in Sanskrit
उपयोगी बर्तनों के संस्कृत नाम | उपयोगी बर्तनों के हिंदी नाम |
पात्रम् | पात्रम् का अर्थ है बर्तन |
चमस: | चम्मच |
घट:, कुंभ: | घड़ा |
चष्क: | गिलास |
हसंती | अंगीठी |
दर्वी | कलछुल |
काचघटी | कांच का जार |
धिष्णा | तसला |
हस्ताधावणी | वॉश बेसिन |
द्रोणी, उदंचनम | बाल्टी |
काचकंस:, काचचषक: | कांच का गिलास |
कन्दु: | केतली |
कसोरिका | कटोरी |
कठोरम् | कटोरा |
शराव: | प्लेट |
संदंश: | चिमटा |
थालिका, स्थांनिका | थाली |
स्वेथदिनी | कड़ही |
उखा | सॉस पेन |
ऋजीषम् | तवा |
कंस: | लोटा |
वष्पस्थाली | कुकर |
चालनी | चलनी |
छुरिका | चाकू |
अल्पाहार: | टिफिन |
महास्थालिका, परामत्रम् | परात |
बेलनम् | बेलन |
हण्डिका | हड़िया |
आपने हमारे इस लेख में पानी में रहने वाले जीवो के संस्कृत नामो को जाना, इसी तरह हमारी इस वेबसाइट पर आपको और भी जानकारी संस्कृत में उपलब्ध कराई गई है जैसा कि “दैनिक उपयोगी प्लास्टिक की वस्तुओं के नाम संस्कृत में” के बारे में पढ़के आप संस्कृत भाषा की खूबसूरती से रूबरू होंगे.
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