अलीगढ़ का इतिहास |History of aligarh
अलीगढ़ शहर उतर प्रदेश राज्य में स्थित है. अलीगढ़ नगर, अलीगढ़ विश्वविद्यालय के साथ तालों के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं. अलीगढ़ का प्राचीन नाम ‘कोइल’ या ‘कोल’ हैं. यह शहर ‘नरोरा पावर प्लांट’ से 50 किलो मीटर की दूरी पर हैं. यह शहर भारत का 55 वां सबसे बड़ा शहर हैं 1717 ई. में अलीगढ़ का नाम ‘साबित खां’ ने ‘साबितगढ़’ रख दिया था, और 1757 में जाटों ने इसका नाम रामगढ़ रख दिया. अलीगढ़ नाम नज़फ़ खां का दिया हुआ हैं. अलीगढ़ का प्राचीन नाम हरिगढ़ हैं. Aligarh History in Hindi
तालों का प्रयोग | Aligarh locks in Hindi
तालों का प्रयोग घरों के दरवाजो पर, वाहनों, किसी द्रव्य से भरे बर्तन, मूल्यवान आभुषणों आदि कीमती व मूल्यवान वस्तुओं पर लगाया जाता हैं. ताकि कोई अन्य व्यक्ति इसके अन्दर से कोई सामान चुरा ना सके. ताला, चाबी की या किसी ऐसे संयोजन (कॉम्बिनेशन) से, जो इसे खोलने के लिए उचित हो, से खोला जा सकता हैं.
अलीगढ़ और तालें |Aligarh Famous For Aligarh locks
करीब 130 सालों पहले जॉनसंस एंड कम्पनी ने अलीगढ़ में तालों का निर्माण शुरू किया था और देश के हर हिस्से में यहाँ के तालों की धमक हैं. अलीगढ़ के तालें अपनी अलग डिज़ाइन के कारण अधिक प्रसिद्ध हैं. अलीगढ़ में लगभग 5 हज़ार कम्पनियाँ तालों का निर्माण करती हैं जिनमे 2 लाख़ से अधिक कर्मचारी काम करते हैं. इस क्षेत्र में 4 हज़ार करोड़ कम्पनियाँ हैं, जो अपने आप में एक अद्भुत उदाहरण हैं.
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- अलीगढ़ एक ऐसा क्षेत्र हैं जहाँ हिन्दू और मुसलमान साथ मिलकर तालों का कारोबार करते हैं. अलीगढ़ में मिलाजुला कारोबार हैं. यहाँ कोली समाज, हरिजन समाज भी हैं, जो इस कारोबार में मिल-जुलकर कार्य करते हैं.
- साथ मिलजुलकर कार्य करने का एक कारण ताला उद्योग का अलीगढ़ में एक कुटीर उद्योग होना भी हैं, क्योंकि कोई घर में लॉकरों को लगाता हैं, कोई पॉलिश करता हैं, कोई तालें बनाता हैं, कोई चाबी की खुदाई (चाबी को आकार देने का कार्य) करता हैं. इस प्रकार अलग-अलग लोग अलग-अलग कार्य अपने घरों में करते हैं.
- सन् 1870 ई. में इंग्लैड में एक व्यक्ति ने कम्पनी खोली और वह कम्पनी अलीगढ़ की जॉनसंस कम्पनी से तालों का व्यापार करने लगी.
- ताले और पीतल कलाकृतियों का निर्माण अलीगढ़ में किया जाता है. अलीगढ़ के ताले इतने प्रसिद्ध हैं, कि इसे ताला नगरी के नाम से जाना जाता है.
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