हिन्दू संस्कृति में भंडारे के इतिहास और इसके महत्व से जुडी कथा | History of Bhandara and Importance in Hindi | Bhadare Ka Itihas Aur Kyu Kiya Jata Hai
भारत में सभी धर्मों में अपने त्योहारों और उत्सव पर धार्मिक अनुष्ठान के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इन उत्सवों के दौरान यज्ञ, हवन और भोजन प्रसादी का आयोजन किया जाता है. इस भोजन प्रसादी को भंडारा भी कहते हैं. पूरे भारत में त्योहारों पर समय-समय पर अलग-अलग स्थानों पर भंडारों का आयोजन किया जाता हैं और भारत में बहुत से ऐसे मंदिर भी जहाँ प्रतिदिन इस तरह के भंडारों का आयोजन किया जाता हैं.
भंडारे का इतिहास और कथा (Bhandare Ka Itihas)
प्राचीन समय में दान-पुण्य को बहुत अधिक महत्व दिया जाता था. पुराने समय में राजाओं-महाराजों द्वारा धार्मिक अनुष्ठान के पूरे होने पर सम्पूर्ण प्रजा में जरूरतमंद लोगों को भोजन, कपडे और अन्य जरूरी वस्तुएं दान के रूप में की जाती थी. हिन्दू शास्त्रों के अनुसार अन्नदान को महादान माना गया हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार पद्मपुराण के सृष्टिखंड में एक कथा में यह उल्लेख मिलता हैं कि जब विदर्भ के राजा श्वेत अपने कठोर तप के कारण ब्रह्मलोक में गए थे. जहाँ उन्हें भोजन का एक कण भी प्राप्त नहीं हुआ था. जिसके बाद विदर्भ के राजा ने ब्रह्मा जी से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि तुमने जीवन में कभी भी अन्न दान नहीं किया था इसलियें तुम्हे ब्रह्मलोक में भोजन नहीं मिला.
एक और प्रचलित कथा के अनुसार जब भगवान शिव एक भिक्षुक का वेश धारण कर पृथ्वी पर एक महिला से दान माँगा. महिला ने भगवान शिव से कहा कि वह अभी दान नहीं कर सकती क्योंकि वह उपले बना रही हैं. जब भगवान शिव ने उस महिला से दान के लिए जिद की तो महिला ने क्रोध में आकर भगवान शिव को दान में गोबर के उपले दे दिए और मृत्यु के पश्चात जब महिला परलोक में पहुंची तो वहां उसे भोजन के स्थान पर गोबर के उपले प्राप्त हुए.
भंडारे का महत्त्व (Bhandare Ka Mahatva)
भंडारे के लिए हर वर्ग, जाति व संप्रदाय के लोग एक साथ नीचे बैठकर भोजन करते हैं. भंडारे में सभी लोग अपनी सामर्थ्य अनुसार अन्नदान करते हैं. भंडारे में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता हैं. भंडारे की एक विशेष बात यह हैं कि भोजन में सभी सब्जियों को मिलाकर एक भाजी बनाई जाती हैं. जिसे रामभाजी भी कहा जाता हैं.
इसे भी पढ़े :
- भारत के सबसे चमत्कारी और रहस्यमयी मंदिर
- चूहे वाली करणी माता का मंदिर
- जगन्नाथ मंदिर, पुरी की विस्तृत जानकारी