महाराणा प्रताप से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें, भाले का वजन, हल्दीघाटी का युद्ध | Maharana Pratap Interesting Fact (Talwar, Bhala, Haldighati Battle) in Hindi
• महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो था और कवच का वजन भी 80 किलो था और भाला, कवच, ढाल और हाथ मे तलवार का वजन मिलाये तो 207 किलो होता था.
• आज भी महाराणा प्रताप कि तलवार, कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रालय में सुरक्षित है.
• अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है तो आधे भारत के वारिस वो होंगे, पर बादशाहत अकबर कि रहेगी.
• हल्दीघाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20,000 सैनिक थे और अकबर कि और से 85000 सैनिक.
• राणाप्रताप के घोड़े (चेतक) का मंदिर भी बना जो आज हल्दीघाटी में आज भी सुरक्षित है.
• महाराणा ने जब महलो का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगो ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फौज के लिए तलवारे बनायीं इसी समाज को आज गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान में गड़लिया लोहार कहा जाता है नमन है ऐसे लोगो को.
• हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहां की जमीनो में तलवारे पायी गयी। आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 हल्दीघाटी के मैदान में मिला था.
• महाराणा प्रताप अस्त्र शत्र कि शिक्षा जैमल मेड़तिया ने दी थी जो 8000 राजपूतो को लेकर 60,000 से लड़े थे। उस युद्ध में 48,000 लोग मारे गए थे जिनमे 8000 राजपूत और 40,000 मुग़ल थे.
• राणा का घोडा चेतक भी बहुत ताकतवर था. उसके मुंह के आगे हाथी कि सूंड लगाई जाती थी.
• मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दीघाटी में अकबर कि फौज को अपने तीरों से रोंद डाला था वो राणाप्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा जी बिना भेद भाव के उनके साथ रहते थे आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरह राजपूत है तो दूसरी तरह भील.
• राणा का घोडा चेतक महाराणा को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद वीरगति को प्राप्त हुआ। उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वो दरिया पार कर गया। जहा वो घायल हुआ वहा आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है। हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे.
• मरने से पहले महाराणा प्रताप ने खोया हुआ 85% मेवाड़ फिर से जीत लिया था.
• सोने चांदी और महलो को छोड़ वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमें.
• महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई – 7’5” थी.
• वे दो मियान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में.
• मेवाड़ राजघराने के वारिस को एकलिंग जी भगवान का दीवान माना जाता है।
• छत्रपति शिवाजी भी मूल रूप से मेवाड़ से सम्बन्ध रखते थे, वीर शिवा जी के परदादा उदैपुर महाराणा के छोटे भाई थे.
• अकबर को अफगान के शेख रहमुर खान ने कहा था कि अगर तुम महाराणा प्रताप और जयमल मेड़तिया को अपने साथ मिला लो, तो तुम्हे विश्व विजेता बनने से कोई नहीं रोक सकता पर इन दो वीरो ने जीते जी कभी हार नहीं मानी।
• नेपाल का राजपरिवार भी चित्तौड़गढ़ से निकला है दोनों में भाई और खून का रिश्ता है.
• मेवाड़ राजघराना आज भी दुनिया का सबसे प्राचीन राजघराना है उस के बाद जापान का नाम आता है.
• महाराणा प्रताप के पूर्वज राणासांगा ने अकबर के दादा बाबर से खांवा मे युद्ध लडे थे और प्रताप ने अकबर से और महाराणा के बेटे अमर सिँह ने जहाँगीर को संधी के लिये मजबुर किया था और अपने 15 सालो के राज मे पूरा मेवाड़ अपने कब्जे मे ले लिया था.
• राणा प्रताप के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था.
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