[nextpage title=”nextpage”]नालंदा विश्वविध्यालय दुनिया का सबसे पुराना और विश्वसनीय विश्वविद्यालय में से एक था. नालंदा उच्च शिक्षा का केंद्र था. इसने पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाया था. इसकी स्थापना 450 ई. में हुई थी. नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत का उच्च शिक्षा का बहुत ही बड़ा एवं विख्यात केंद्र था.
आज भी नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर पटना से 90 किलोमीटर दूर और बिहार शरीफ से 12 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है. यह विश्व का प्रथम पूर्णतः आवासीय विश्वविद्यालय था. समस्त विश्वविद्यालय का प्रबंध कुलपति या प्रमुख आचार्य करते थे जो भिक्षुओं द्वारा निर्वाचित होते थे. विश्वविद्यालय को दान में मिले दो सौ गाँवों से प्राप्त उपज और आय से सहस्त्रों विद्यार्थियों के भोजन, कपड़े तथा आवास का प्रबंध होता था.
• ‘नालंदा’ शब्द संस्कृत के तीन शब्दों के संधि-विच्छेद से बना है. ना+आलम+दा. इसका अर्थ है ‘ज्ञान रूपी उपहार पर कोई प्रतिबन्ध न रखना. ‘वास्तविकता में यह वही ‘ज्ञान रूपी उपहार’ है.
• नालन्दा विश्वविद्यालय में एक बहुत बड़ी लाइब्ररी थी जिसमे हजारो किताबो के साथ 90 लाख पांडुलिपिया रखी हुई थी. इस विश्वविद्यालय में बख्तियार खिलजी ने 1199 में आग लगवा दी थी जिसे बुझाने में 6 महीने से ज्यादा का वक्त लगा था.
• ऐसा माना जाता है की तक्षशिला के बाद नालंदा विश्व का दूसरा सबसे बड़ा विश्वविद्यालय था. और यहाँ लगभग 800 वर्षो तक अध्यापन का कार्य होता था.
• नालंदा विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों का चयन मेरिट के आधार पर होता था यहाँ नि:शुल्क शिक्षा दी जाती थी. साथ ही विद्यार्थी का रहना और खाना भी पूरी तरह नि:शुल्क था.
• नालंदा विश्वविध्यालय इसलिए भी प्रसिद्ध है क्योकि यहाँ शिक्षा ग्रहण करने के लिए 10000 से ज्यादा विद्यार्थी थे था उनके लिए 2700 से अधिक अध्यापक थे.
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[nextpage title=”nextpage”]• नालंदा यूनिवर्सिटी में भारत ही नही बल्कि विदेशो से भी विद्यार्थी शिक्षा के लिए आते थे. विदेशो से कोरिया, जापान, चीन, मंगोलिया, ग्रीस, ईरान, इंडोनेशिया, तिब्बत आदि देशो से भारत में शिक्षा लेने के लिए आते थे.
• नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त वंश के सम्राट कुमारगुप्त ने 5 वीं शताब्दी में की थी. नालंदा की खुदाई में ऐसी कई मुद्राए मिली है जो इस बात की पुष्टि भी करती है.
• इसकी स्थापना का प्रमुख उद्देश्य इसको ध्यान और आध्यात्म का केंद्र बनाना था. सम्राट अशोक ने इसे बौद्ध विहार के रूम में बनाया था गौतम बुद्ध ने भी यहाँ कई बार यात्रा की थी. फिर बाद में इसका विश्वविद्यालय की तरह अभ्युदय हुआ.
• यूनिवर्सिटी में ‘धर्म गूंज’ नाम की लाइब्रेरी थी, इसका मतलब ‘सत्य का पर्वत’ से था. लाइब्रेरी के 9 मंजिलों में तीन भाग थे जिनके नाम ‘रत्नरंजक’, ‘रत्नोदधि’, और ‘रत्नसागर’ थे.
• नालंदा यूनिवर्सिटी में उस दौर में भी लिटरेचर, एस्ट्रोलॉजी, साइकोलॉजी, लॉ, एस्ट्रोनॉमी, साइंस, वारफेयर, इतिहास, मैथ्स, आर्किटेक्टर, भाषा विज्ञानं, इकोनॉमिक, मेडिसिन समेत कई विषय पढ़ाएं जाते थे. यह यूनिवर्सिटी उस समय में भी विदेशो विख्यात थी.
• इस यूनिवर्सिटी ने अनेको अनेक विद्वान प्रदान किये है. नालंदा यूनिवर्सिटी में हषवर्धन, धर्मपाल, वसुबन्धु, धर्मकीर्ति, आर्यवेद, नागार्जुन के साथ कई अन्य विद्वानों ने पढ़ाई की थी.
• दो चीनी यात्री के हेनसांग और इत्सिंग जो भारत भ्रमण पर आये थे इन्होने नालंदा यूनिवर्सिटी का इतिहास खोजा था. ये दोनों 7वीं शताब्दी में भारत आए थे तथ इन्होने इसे दुनिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी भी बताया था. इत्सिंग के अनुसार, ख्यातिप्राप्त तथा प्रतिष्ठित विद्वान की यह भीड़-सी लगी रहती है और वे संभव और असंभव तथ्यो पर विचार किया करते है.
• इसको सुचारू रूप से चलाने के लिए यहाँ पर लोकतान्त्रिक प्रणाली का उपयोग होता था. यहाँ होने वाले फैसले सभी की सहमति से लिए जाते थे. अर्थात यहाँ सन्यासियों के साथ अध्यापक और विद्यार्थी भी अपना विचार रख सकते थे.
• नालंदा विश्वविद्यालय की खुदाई के दौरान 1.5 लाख वर्ग फीट में यूनिवर्सिटी के अवशेष मिले है. जो यूनिवर्सिटी का सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सा ही है.[/nextpage]