Maharana Pratap Horse Chetak Samadhi Sthal in Hindi | हल्दीघाटी के मैदान में बना हैं महाराणा प्रताप के चेतक का समाधि स्थल
महाराणा प्रताप का प्रसिध्द नीलवर्ण घोडा चेतक उनका अत्यंत प्रिय घोड़ा था. महाराणा प्रताप के समक्ष अरबी नस्ल के तीन घोड़े एक अरब व्यापारी लेकर आया जिनके नाम चेतक, त्राटक एवं अटक थे. प्रताप ने घोड़ो का परिक्षण किया जिसमे चेतक और त्राटक सफल हुए. महाराणा ने चेतक को अपने पास रख लिया और त्राटक छोटे भाई को दे दिया.
महाराणा प्रताप का घोडा चेतक इतना शौर्यवान था कि दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए उसके सिर पर हाथी की सूंड लगाई जाती थी. चेतक ने हल्दीघाटी (1576) के युद्ध में अपने शौर्य और पराक्रम द्वारा अपने स्वामिभक्त होने का परिचय दिया था. युद्ध में घायल होने पर भी महाराणा प्रताप को निकाल ले जाने का काम चेतक ने किया वह 26 फिट का एक दरिया पार कर अंत में वीरगति को प्राप्त होता है.
चेतक इतना साहसी घोडा था कि अपनी एक टांग टूटने पर भी वह दरिया पार कर गया था. युद्ध के स्थान पर हल्दीघाटी में आज भी चेतक की समाधि बनी हुई है, जहां महाराणा प्रताप ने छोटे भाई शक्ति सिंह के साथ में चेतक का दाह-संस्कार किया था. उस जगह खोड़ी इमली नामक एक पेड़ है तथा उसी स्थान पर चेतक का मंदिर है जो आज भी मानव के प्रति जानवरों की स्वामिभक्ति की एक मिसाल देता है.
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