वीर कुंवर सिंह का इतिहास और शौर्यगाथा | 1857 Rebellion Leader Veer Kunwar Singh History, Biography[Birth, Role in Indian Rebellion and Death Story] in Hindi
वीर कुंवर सिंह मालवा के सुप्रसिद्ध शासक महाराजा भोज के वंशज थे. कुँवर सिंह के पास बड़ी जागीर थी. किन्तु उनकी जागीर ईस्ट इंडिया कम्पनी की गलत नीतियों के कारण छीन गयी थी. इन्हें भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक के रूप में जाना जाता है जो 80 वर्ष की उम्र में भी लड़ने तथा विजय हासिल करने का साहस रखते थे. अन्याय विरोधी व स्वतंत्रता प्रेमी कुंवर सिंह कुशल सेना नायक थे. इन्हें बाबू कुंवर सिंह के नाम से भी जाना जाता हैं.
बिंदु(Points) | जानकारी (Information) |
नाम(Name) | वीर कुंवर सिंह |
अन्य नाम (Other Names) | बाबू कुंवर सिंह, कुंवर सिंह |
जन्म तारीख (Date of Birth) | नवम्बर 1777 |
जन्म स्थान (Birth Place) | शाहाबाद (वर्तमान भोजपुर) |
पिता का नाम (Father Name) | राजा शाहबजादा सिंह |
धर्मं (Religion) | हिन्दू |
जाति (Caste) | राजपूत |
मृत्यु(Death) | 26 अप्रैल 1858 |
वीर कुंवर सिंह जन्म, प्रारंभिक जीवन(Veer Kunwar Singh Birth and Life History)
वीर कुंवर सिंह का जन्म नवम्बर 1777 में उज्जैनिया राजपूत घराने में बिहार राज्य के शाहाबाद (वर्तमान भोजपुर) जिले के जगदीशपुर में हुआ था. इनके पिताजी का नाम राजा शाहबजादा सिंह और माता का नाम रानी पंचरतन देवी था. इनका परिवार महाराजा भोज का वंशज था. इनका विवाह राजा फ़तेह नारियां सिंह (मेवारी के सिसोदिया राजपूत) की बेटी से हुआ था. जो मेवाड़ के महाराणा प्रताप के वंशज थे.
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ब्रिटिश सेना में भारतीय जवानों को भेदभाव की दृष्टि से देखा जाता था और भारतीय समाज का अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध असंतोष चरम सीमा पर था. यह विद्रोह 1857 में मंगल पांडे के बलिदान से ओर ज्वलंत बन गया. इसी दौरान बिहार के दानापुर में वीर कुँवर सिंह के नेतृत्व में क्रांतकारियों ने 25 जुलाई 1857 को आरा नगर (आर्मी रेजिमेंट) पर अधिकार प्राप्त कर लिया. इस दौरान वीर कुँवर सिंह की उम्र 80 वर्ष की थी. इस उम्र में भी उनमे अपूर्व साहस, बल और पराक्रम था. लेकिन ब्रिटिश सेना ने धोखे से अंत में कुंवर सिंह की सेना को पराजित किया और जगदीशपुर को पूरी तरह से नष्ट कर दिया. इसके बाद वीर कुंवर सिंह अपना गाँव छोड़कर लखनऊ चले गए थे.
वीर कुंवर सिंह की मृत्यु (Veer Kunwar Singh Death)
कुँवर सिंह सेना के साथ बलिया के पास शिवपुरी घाट से रात्रि के समय कश्तियों में गंगा नदी पार कर रहे थे तभी अंग्रेजी सेना वहां पहुंची और अंधाधुंध गोलियां चलाने लगी. वीर कुंवर सिंह इस दौरान घायल हो गए और एक गोली उनके बांह में लगी. 23 अप्रैल 1858 को वे अपने महल में वापिस आए लेकिन आने के कुछ समय बाद ही 26 अप्रैल 1858 को उनकी मृत्यु हो गयी. 23 अप्रैल 1966 को भारत सरकार ने उनके नाम का मेमोरियल स्टैम्प भी जारी किया. कुंवर सिंह न केवल 1857 के महासमर के सबसे महान योद्धा थे बल्कि ब्रिटिश इतिहासकार होम्स ने उनके बारे में लिखा है, “उस बूढ़े राजपूत ने ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध अद्भुत वीरता और आन-बान के साथ लड़ाई लड़ी. वह जवान होते तो शायद अंग्रेजों को 1857 में ही भारत छोड़ना पड़ता.” इन्होंने 23 अप्रैल 1858 में, जगदीशपुर के पास अंतिम लड़ाई लड़ी थी.
Aapne kafi achhi jankari veer kunwar singh ke bare me share kiya hain Thanks.
धन्यवाद महोदय..
वीर कुंवर सिंह का मृत्यु 26 अप्रैल 1858 को हुआ था! इसे आप संशोधन कर दें…
आपके द्वारा दी गई जानकारी संशोधित कर दी गई है.
Babu kunwar singh panwar rajput the kaya kisi ko unka gotra pata hai .plz write if anybody is having information on this