What is NRC Draft,IMDT Act and What Happen Next in Hindi
देश में एक मसला काफी चर्चा का विषय बना हुआ है वो है NRC दोस्तों आपको बता दें NRC यानि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स. ये एक ड्राफ्ट है जिसमे आपके इंडियन होने या न होने की पूरी जानकारी होती है.
असम में रह रहे 40 लाख लोगों पर भारत की नागरिकता गंवाने का खतरा मंडरा रहा है. देश में इस बात पर राजनैतिक जंग शुरू हो गयी है सभी ने अपने-अपने दावे शुरू कर दिए है. क्योंकि 30 जुलाई को NRC यानि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप का दूसरा ड्राफ्ट जारी हुआ है और सब लोग टेंशन में आ गए है.
What is NRC ?
ये नाम सुनकर हमारे दिमाग में एक ही सवाल आता है ये NRC क्या है? इसका जवाब हम आपको देते है. दोस्तों आज़ादी के बाद देश में बटवारा हुआ, बटवारे की वजह से लोग पूर्वी पाकिस्तान में बसने लगे, पूर्वी पाकिस्तान से लोग असम में बसने लगे. कई लोगो ने धार्मिक आधार पर अपनी सीमाएं बदली और इसी वजह से जो असम में आबादी बढ़ने की दर थी वो बाकि राज्यों के मुकाबले ज्यादा हो गयी. बाकि के देशो में 26 फीसदी की दर से लोग बढ़ रहे थे और असम में 36 और 35 फीसदी की दर से.
ये आज़ादी के बाद से पहले और दुसरे दशक की बात है. असम के लोग इस बात से डरने लगे की वे कही अपनी ही ज़मीन पर अल्पसंख्यक तो नहीं हो जाएँगे. सन 1971 की लड़ाई से पहले बड़े पैमाने पर बांग्लादेश से लोग सीमा पार करके यहाँ आने लगे तब सरकार और असम की चिंता बढ़ गयी. करीब 10 लाख लोग जी हाँ दोस्तों 10 लाख शरणार्थी भारत में रुक गए. जिसमे कई लोगो ने असम की वोटर लिस्ट में अपना नाम भी जुड़वा लिया. और यही वोटर लिस्ट देश में एक और बवाल लेकर आई .
साल 1978 जब असम में उपचुनाव होने थे तब सर्वे किया गया उस सर्वे में सामने आया की असम में 50000 वोटर बड़े है. मोजुदा सरकार से उम्मीद की गयी की वो एक्शन लेगी पर सरकार ने उसके उलट एक ऐलान किया की जो भी लोग बांग्लादेश से आये है उन्हें वोटर लिस्ट में शामिल किया जाएगा.
सरकार के इस फैसले से असम के लोग नाराज हो गये. फिर क्या था वहां मोजूद जितनी भी यूनियन, जितनी भी संस्थाए थी, सभी के सभी ने आन्दोलन शुरू कर दिए जो हिंसक होते चले गये.
उन सब की एक ही मांग थी की “बाहरी लोग बाहर जाये”. आन्दोलन और हिंसक होते गए कई जानें भी गयी, सरकार की तरफ से भी दमन हुआ. पर इन सब में सबसे बड़ी कीमत किसने चुकाई? आम लोगों ने, क्योकि इन आंदोलनों में जो 855 मारे गए थे, वो उनके अपने लोग थे, अपने बच्चे थे.
What is IMDT Act
इसलिए साल 1983 में इंदिरा गाँधी एक एक्ट लेकर आई जिसका नाम था IMDT एक्ट. क्या है ये एक्ट? “Illegal Determination by Tribunal (IMDT) एक्ट”.
किस लिए बनाया गया ? ताकि हर बांग्लादेशी की पहचान हो सके और उन्हें वापस भेजा जा सके पर, ये एक्ट इतना आसान नहीं था. इसमें बहुत मुश्किलें थी, इसलिए ये ज्यादा दिन चल नहीं पाया.
उसके बाद राजीव गाँधी की सरकार आई उन्होंने आखिरकार आन्दोलनकारियों के साथ थोड़ा इंसाफ किया. उन्होंने 15 अगस्त 1985 को एक समझोता हस्ताक्षर किया. इसमें ये वायदा किया गया कि,
- जो लोग 1951 से 1961 के बिच भारत आये उन्हें पूरी नागरिकता मिलेगी.
- जो 1961 से 1971 के बिच आये उन्हें नागरिकता तो मिलेगी पर वो कभी वोट नहीं दे पाएँगे यानि अधूरी नागरिकता.
- तीसरी और जरुरी शर्त जो लोग 71 के बाद आये है उन्हें वापस भेज दिया जाएगा.
इस समझोते पर दस्तखत हो गये असम गढ़ के लोग सत्ता में आ गए. सरकारे आती गयी बदलती गयी प्रदर्शन भी होते रहे.
- 2009 में सुप्रीम कोर्ट में एक PIL दाखिल होती है तब सुप्रीम कोर्ट कहती है की 1951 में जो काम असम में अधुरा छोड़ दिया गया था उसे अब पूरा कर देना चाहिए. क्या था ये काम? एक रजिस्टर बने जिसमे असम में रहने वाले भारतीय नागरिको की पहचान दर्ज हो और जिनका नाम न हो उन्हें विदेशी मान लिया जाए. यही है NRC.
- 2015 से ये काम अब सुप्रीम कोर्ट की नजर में शुरू हो गया है. अब क्या होता है की हर साल इसके ड्राफ्ट यानि सूचि आती है जिसमे भारतीय नागरिको के नाम लिखे होते है, तो फिर मसला आया की NRC में किसका किसका नाम दर्ज होगा?
- 3.29 करोड़ लोगो ने जो असम में रहते है इसके लिए अपना आवेदन दिया, इसके बाद जांच शुरू हुई की किसके पूर्वज 1951 के पहले आये किसके बाद आये. लोगो को अपना फॅमिली ट्री साबित करना था, आपको साबित करना है की आपके पूर्वज भारत के थे, असम के थे या कहीं और के थे. इसी से आपकी नागरिकता साबित होगी.
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उसके बाद जांच हुई और पहली लिस्ट जारी हुई, उसमे थे 1.90 करोड़ नाम ये लिस्ट आई 31 दिसम्बर 2017 को.
तो एक और बवाल उठा की उसमे बहुत लोगो का नाम नहीं है जिसमे बड़े-बड़े नेता का नाम भी शामिल नहीं था. उसके बाद कहा गया की धैर्य रखिये फिर से जाँच होगी. - अब आई दूसरी लिस्ट 30 जुलाई को और अब ये आंकड़ा पहुँच गया 2.89 करोड़. मतलब अब भी 40 लाख लोग ऐसे बच गये जिन्होंने फॉर्म भरा था पर लिस्ट में उनका नाम नहीं था और यही लोग अब मुसीबत में है. अब इन्हें अपनी नागरिकता साबित करनी होगी.
अब ये 40 लाख लोग क्या कर सकते है?
आपको बता दे इन्हें अब 28 मार्च से पहले अपनी आपत्ति दर्ज करनी होगी पर, साथ में सबूत देने होंगे. दोस्तों ज़ाहिर है NRC के दायरे में ज्यादातर जो लोग होंगे वो मुस्लिम ही होंगे क्योंकि ज्यादातर शरणार्थी बाहर से आये थे वो भी मुस्लिम ही थे. सरकार बार-बार एक बात कह रही है कि किसी भी बेगुनाह भारतीय को बांग्लादेश नहीं भेजा जाएगा और सबको अपनी बात कहने का, अपना पक्ष रखने का मौका मिलेगा.
हम उम्मीद कर सकते है की ऐसा ही हो और किसी भी भारतीय के साथ कुछ भी गलत न हो.
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