आत्महत्या रोकथाम दिवस,परिभाषा और उसे रोकने के उपाय
Aatmhatya Roktham Divas
आत्महत्या, आत्म की हत्या या सरल शब्दों में कहें तो खुद की हत्या. आत्महत्या जैसे कृत्य हमें आम जिंदगी में आये दिन सुनाई देते हैं. कभी किसी का प्यार उससे बिछड़ जाए या किसी के एग्जाम में नंबर कम आए, तो उसने आत्महत्या कर ली. पर आत्महत्या जुर्म है. आत्महत्या जैसे कृत्यों को रोकने के लिए बहुत जरूरी है जीवन के महत्व का ज्ञात होना. अगर हमें जीवन का महत्व ज्ञात नहीं होगा तो हमें खुदसे और खुदकी जिंदगी से प्यार नहीं हो पायेगा.
आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day 2020)
ऐसे कृत्यों की रोकथाम के लिए 10 सितम्बर को हर साल आत्महत्या रोकथाम दिवस(World Suicide Prevention Day 2020) आयोजित किया जाता है. यह कार्य 2003 से चालू हुआ था. इस दिन लोग स्कूल्स, कॉलेज और विभिन्न जगहों पर सेमिनार्स करके लोगों को जीवन का महत्व समझाते हैं और आत्महत्या जैसे कृत्यों से निजाद पाने की कोशिश कराते हैं.
जीवन के हर मोड़ पर कठिनाईयाँ है और बहुत आसान लगता है अपनी सांसे रोक लेना और जीवन को विराम देना पर, जितना यह उन्हें आसान लगता है उतना ही उनके परिवार जनों के लिए मुश्किल होता है. अगर इसके मुख्य कारण देखने जाएं तो हम देखेंगे कि बदलती लाइफस्टाइल के साथ लोगों के सोचने का तरीका भी बदल गया. हर कोई हर चीज़ शॉर्टकट से पाना चाहता है और अगर वह हासिल नहीं होती तो वो गलत कदम उठा लेते हैं. साथ ही इसका दूसरा मुख्य कारण है असफलता को स्वीकार न कर पाना जबकि देखा जाए तो आज सफल वही है जिसने हज़ार असफलताओं का सामना किया हो.
सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, सफलता हमेशा सब्र से प्राप्त होती है. पर हमारे युवाओं के बीच देखे तो कम्पटीशन इतना बढ़ गया है कि 100 में से सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों को ही सफलता आसानी से मिलती है बाकियों को बहुत संघर्ष और कठिन जीवन जीना पड़ता है, पर कहते हैं न सोना हमेशा तप कर ही मिलता है तो हर छेत्र में संघर्ष करना जरूरी है. जीवन की इन्ही परिस्थितियों को समझाने के लिए इस दिन कुछ समाज सेवी सेमिनार्स के माध्यम से हम तक यह बात पहुंचाते हैं.
आत्महत्या पर कविता | Aatmahatya Poem
“एक बार किशोर अवस्था में
हताशा के किसी क्षण में
मैंने मां से कहा :
‘मैं आत्महत्या कर लूंगा!’
उन्होंने जवाब दिया :
‘मेरे साथ यह घटियाई
मत करना!’
वह बहुत कम पढ़ी-लिखी हैं
पर जो ज्ञान उन्होंने मुझे दिया
आज तक किसी किताब में नहीं मिला.”
पंकज चतुर्वेदी की यह कविता जिसका शीर्षक है ‘आत्महत्या के विरुद्ध’. यह कविता महज एक कविता नहीं जीवन का आत्महत्या को संदेश है. उसके खिलाफ बयान है. हमारे लेखकों को इन चीजों पर ध्यान देना चाहिए और ऐसी प्रेणात्मक कविताएं लिखनी चाहिए.
आत्महत्या रोकने के उपाय या उससे कैसे बचें
तो अब हम बात करते हैं कि आत्महत्या जैसे कृत्य किनके द्वारा किए जाते हैं और इसके रोकथाम में हम अपना क्या सहयोग दे सकते हैं. तो पहले बात करते हैं कि किस प्रकार से लोगों की मानसिकता उन्हें आत्महत्या करने पर मजबूर कर देती है.
वह लोग जो बहुत परेशान रहते हैं, वे जल्दी ही चीजों के बहकावे में आ जाते हैं. असफलता अपना नहीं पाने पर किसी चीज़ से अत्यधिक लगाव होने पर और उसके पश्चात फलस्वरूप उसे खो देने पर ऐसे कई कारण होते हैं जिसके चलते व्यक्ति आत्महत्या करने की सोचता है. पर हम इसमें अपना सहयोग दे सकते हैं.
इसके रोकथाम के लिए हम अपने स्तर पर ही कुछ कार्य कर सकते हैं जैसे कि हम अपने आस-पास के लोगों को देख कर उनकी मानसिकता का अंदाजा लगा सकते हैं और अगर हमे लगता है कि कोई व्यक्ति परेशान है तो उसकी मदद करने हेतु प्रयास कर सकते हैं. लोगों को समझना एक इंसान में सबसे बेहतरीन कला हो सकती है क्योंकि उससे आप किसी व्यक्ति की जान बचा सकते हैं. इसके रोकथाम में किसी भी व्यक्ति के माँ बाप शिक्षक दोस्त सबसे बड़ा हाथ लगा सकते हैं.
माता-पिता हमेशा अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दें कभी उन्हें किसी चीज़ को लेकर परेशान न करें आप अपने बच्चे को हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें पर कभी भी उसपर किसी तरह का दबाव न बनाएं क्योंकि दबाव में आकर अक्सर इंसान गलतियां कर देता है.
वैसे ही एक शिक्षक अपने बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ साथ जीवन मार्ग भी दिखलाएं . कभी भी किसी प्रकार का मानसिक दबाव न बनाएं क्योंकि जान है तभी जहान है. हम सब कुछ नहीं तो एक प्रण तो ले ही सकते हैं कि भले कभी किसी की मदद न करें पर कभी किसी के मार्ग में बाधा नहीं डालेंगे. तभी हम आत्महत्या जैसे क्रूर कृत्यों को पूर्णतः रोक सकते हैं.
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