जहाँ एक और पुरे भारत में स्वच्छता अभियान के तहत हर छोटे बड़े शहर और नगर के बीच नंबर वन बनने की होड़ लगी है वहीँ भारत में एक गाँव ऐसा भी है जो भारत ही नहीं अपितु पुरे एशिया में नंबर वन है. हम बात कर रहे है मेघालय के गांव मावलिन्नांग की. शिलांग और भारत-बांग्लादेश बॉर्डर से 90 किलोमीटर दुरी पर स्थित मावलिन्नांग को एशिया के सबसे स्वच्छ गांव का खिताब मिला हुआ है.
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मावलिन्नांग गांव में जनसंख्या की बात करें तो यहां सिर्फ 500 लोग हैं. इस छोटे से गांव में करीब 95 खासी जनजातीय परिवार रहते हैं. मावलिन्नांग में पॉलीथीन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा हुआ है और यहां थूकना मना है.
गांव के रास्तों पर जगह-जगह कूड़े फेंकने के लिए बांस के कूड़ेदान लगे हुए हैं. गांव के हर परिवार का सदस्य गांव की सफाई में रोजाना भाग लेते हैं और अगर कोई ग्रामीण सफाई अभियान में भाग नहीं लेता है तो उसे घर में खाना नहीं मिलता है.
मावलिन्नांग गांव मातृसत्तात्मक है, जिसके कारण यहां की औरतों को ज्यादा अधिकार प्राप्त हैं. गांव की औरतों समेत सभी लोग गांव को स्वच्छ रखने में अपने अधिकारों का बखूबी प्रयोग करते हैं.
मावलिन्नांग के लोगों को कंक्रीट के मकान की जगह बांस के बने मकान ज्यादा पसंद हैं. अपनी स्वच्छता के लिए मशहूर मावलिन्नांग को देखने के लिए हर साल पर्यटक भारी तादात में आते हैं.
‘मावल्यान्नांग’ गांव को ‘भगवान का बगीचा’ (God’s Own Garden) भी कहा जाता है. वास्तविकता में स्वच्छता यहाँ के लोगों में बसी है जो अविस्मर्णीय है. हम भी अपने आस पास सफाई रखें तो शायद वो दिन दूर नहीं जब भारत पुरे विश्व में सबसे स्वच्छ राष्ट्र कहलाएगा. क्योंकि स्वच्छता पर ही स्वास्थ्य निर्भर करता है. यदि सभी और स्वच्छता होगी तो देश की जनता कभी बीमार ही नहीं होगी. अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों तक शेयर करना ना भूलें.
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