चुनाव आचार संहिता क्या होती हैं और इसका, मतलब नियम, उल्लंघन के मामले, लगाने वाले प्रतिबन्ध और इतिहास | Model Code of Conduct, Its Rules & Restrictions, Cases & History in Hindi
भारत एक प्रजातांत्रिक देश हैं. जिसमे देश की आम जनता अपने वोट का इस्तेमाल करके किसी पार्टी को देश की कमान सौपती हैं. देश में चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हो सके इसकी जिम्मेदारी चुनाव आयोग की हैं. चुनाव के समय कोई भी पार्टी नागरिक को लुभा के लाभ प्राप्त ना कर सके इसके लिए चुनाव आयोग ने “चुनाव आचार संहिता” को बनाया हैं. यह कोई कानून नहीं हैं लेकिन स्वतंत्र लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए सभी पार्टियाँ इसके लिए प्रतिबद्ध हैं.
चुनाव आचार संहिता (Model Code of Conduct)
आयोग का “चुनाव आचार संहिता” चुनाव से पहले राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए जारी एक दिशा-निर्देश है. इस संहिता के लागू करने का उद्देश्य स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है.
कब आया प्रभाव में (First Model Code of Conduct)
इस कोड को पहली बार 1960 में केरल में राज्य विधानसभा चुनाव के लिए लागू किया गया था. 1962 के आम चुनाव में सभी दलों द्वारा इसका बड़े पैमाने पर अनुसरण किया गया था और बाद में आम चुनाव में भी इसका पालन किया जाता रहा. अक्टूबर 1979 में चुनाव आयोग ने सत्ता में पार्टी को नियंत्रित करने के लिए इस कोर्ट में एक नियम जोड़ा जो चुनाव के समय अनुचित लाभ प्राप्त करने से सत्ताधारी पार्टी को रोकता है.
आचार संहिता में लगने वाले प्रतिबंध (Restriction imposed in Code of Conduct)
इस कोड में सामान्य आचरण बैठके, जुलूस, मतदान दिवस, मतदान केंद्र, पर्यवेक्षक, सत्ता में पार्टी और चुनाव घोषणा पत्र के साथ 8 प्रावधान है. जैसे ही कोड लागू होता है सत्ताधारी पार्टी चुनाव प्रचार के लिए अपनी आधिकारिक शक्ति का उपयोग नहीं कर सकती है. साथ ही किसी भी नीति परियोजना या योजना की घोषणा नहीं कर सकती है. चुनाव में जीत की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए पार्टियां सरकारी खजाने का इस्तेमाल विज्ञापन देने या बचाने के लिए भी नहीं कर सकती है. कोड के लागू होते ही मंत्री चुनाव कार्यों के साथ आधिकारिक यात्रा को संयोजित नहीं कर सकते हैं. सत्ता पक्ष भी चुनाव प्रचार के लिए सरकारी परिवहन या मशीनरी का प्रयोग नहीं कर सकता है यह भी सुनिश्चित करना है कि चुनाव सभाओं के आयोजनों के लिए सार्वजनिक स्थानों जैसे मैदान आदि और हेलीपैड के उपयोग की सुविधा विपक्षी दलों को उन्हीं नियमों और शर्तों पर प्रदान की जानी चाहिए जिनका पालन सत्ताधारी पार्टी करती है.
आचार संहिता के नियम (Rules in Model Code of Conduct)
Model Code of Conduct स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा विकसित किया गया है क्या सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति का परिणाम है इसका कोई वैधानिक समर्थन नहीं है सब कुछ स्वैच्छिक है. चुनाव आयोग किसी भी राजनेता या दल को कोर्ट का उल्लंघन करने के जुर्म में नोटिस जारी कर सकता है. नोटिस जारी होने के बाद व्यक्ति या पक्ष को (गलती स्वीकार करना और बिना शर्त माफी मांगना है या आरोप को खारिज करना) लिखित रूप में देना होता है.
आचार संहिता उल्लंघन के मामले (Cases of Code of Conduct)
2017 के गुजरात चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे पर कोड के उल्लंघन का आरोप लगाया था. भाजपा ने मतदान से 48 घंटे पहले राहुल गांधी के टीवी चैनलों को दिए गए साक्षात्कारों की ओर इशारा किया था जबकि कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी पर वोट डालने के बाद अहमदाबाद रोड शो कर के समान प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था.
गुजरात चुनाव के दौरान दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने मतदाताओं से कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों से पैसे लेकर आप को वोट करने को कहा था.
कोड को लागू करने के लिए आयोग शायद कभी भी दंडात्मक कार्यवाही का समर्थन करता है लेकिन हाल ही में एक उदाहरण है जब बिना उल्लंघन के चुनाव आयोग ने दंडात्मक कार्यवाही की थी. 2014 में चुनाव आयोग ने भाजपा नेता और अब पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और सपा नेता आजम खान के चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी थी ताकि वे उनके भाषणों से मतदान के माहौल को और अधिक खराब होने से रोक सके. आयोग ने प्रतिबंध लगाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का सहारा लिया था.
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