FDI क्या होता हैं, इसके प्रकार और अर्थव्यवस्था पर पडने वाले प्रभाव | Foreign Direct Investment, Types and Importance on Growth Rate in Hindi
भारत का कानून किसी भी गैर भारतीय को या गैर भारतीय कंपनी को यह सुविधा प्रदान करता है कि वह भारत की कंपनी पर कुछ सीमा तक निवेश कर सकता है. यह निवेश विदेशी निवेश के नाम से जाना जाता है. यह निवेश किसी भी रूप में हो सकता है. जैसे वह गैर भारतीय किसी भी भारतीय कंपनी के शेयर खरीद सकता है, उसके बांड खरीद सकता है या उस कंपनी के नाम पर कोई नया ब्रांच भी खोल सकता है. पूंजी निवेश के साथ भारत का कानून यह भी सुविधा देता है जिसमें निवेशक अपनी पूंजी निकाल कर वापस स्वदेश भी जा सकता है.
यह विदेशी निवेश, निवेशक के द्वारा दो तरह से किया जा सकता है.
- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI)
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेश(FPI)
FDI क्या होता है? (What is Foreign Direct Investment)
FDI विदेशी निवेश का ही एक तरीका होता है. FDI के अंतर्गत निवेश करने वाला निवेशक उस कंपनी के प्रबंधन में कुछ हिस्सा खरीद लेता है और इस तरह से वह उस कंपनी के प्रबंधन का एक सदस्य बन जाता है. किसी भी कंपनी में FDI के द्वारा किया गया निवेश प्रत्यक्ष निवेश या सीधा निवेश के तौर पर जाना जाता है. यह निवेश एक दीर्घकालिक निवेश माना जाता है. इसके साथ ही किया गया निवेश FDI के अंतर्गत तभी माना जाता है, जब निवेशक किसी कंपनी के कम से कम 10% शेयर खरीदे, साथ ही निवेशक को कंपनी में मत करने का अधिकार भी मिला हो.
इसकी एक खास बात यह है कि इस के अंतर्गत विदेशी निवेशक न सिर्फ पूंजी का निवेश कर सकता है, बल्कि वह अपने देश की कोई खास प्रौद्योगिकी को भी साझा कर सकता है. इसलिए आज सरकार ने भारतीय कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ा दी है. जिससे विदेशी कंपनियां भारत मे ज्यादा निवेश करें, साथ ही देश मे नई प्रौद्योगिकी भी आ सके.
FDI के प्रकार (Types of Foreign Direct Investment)
ग्रीन फील्ड
ग्रीन फील्ड FDI के अंतर्गत विदेशी निवेशक भारत मे किसी भारतीय कंपनी के साथ कंपनी खोल सकता है. साथ ही यदि वह चाहे तो पूर्ण स्वामित्व के साथ किसी भारतीय कंपनी की सहायक कंपनी खोल सकता है.
ब्राउन फील्ड
ब्राउन फील्ड FDI के अंतर्गत निवेशक कोई अलग से कारखाना नही खोलता है, बल्कि उसकी जगह वह कंपनी के पुराने कारखाने के ही प्रबंधन का कुछ हिस्सा खरीद कर कंपनी में मालिकाना हक हासिल कर लेता है.
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FPI क्या होता है? (What is Foreign Portfolio Investment)
यदि विदेशी निवेशक शेयर बाजार में सूचीबद्ध भारतीय कंपनी के 10% से कम के शेयर खरीदता है, तो यह निवेश FPI के अंतर्गत आता है. यह निवेश, मुख्यतः निवेशकों द्वारा धन अर्जित करने के लिए किया जाता है. इसमे निवेशक कभी भी अपना लाभ या हानि को देखते हुए अपने शेयर बेच सकता है. इस निवेश में निवेशक को कंपनी के मैनेजमेंट में कोई हिस्सेदारी नही मिलती है, न ही कंपनी के किसी भी निर्णय में निवेशक को हस्तक्षेप करने का अधिकार मिलता है. इसलिए इसे अप्रत्यक्ष निवेश या परोक्ष निवेश भी कहा जाता है. यह निवेश अल्प समय अवधि के लिए किया जाता है.
विदेशी निवेश के फायदे (Benefits of Foreign Investment)
विदेशी निवेश यदि FDI के अंतर्गत हो रहा है, तो इसका सीधा असर आम जनता पर भी पड़ता है. यदि देश मे FDI आता है उसके ये फायदे आम जनता को मिलते है.
- FDI के अंतर्गत विदेशी निवेशकर्ता चाहे तो किसी भी भारतीय कंपनी की एक नई शाखा खोल सकता है. इससे नए रोजगार का सृजन होता है.
- ज्यादा विदेशी कंपनियां यदि देश मे कारखाने खोलेगी, तो एक प्रतिस्पर्धा की भावना भी बढ़ेगी, जिससे आम जनता को अच्छे और सस्ते प्रोडक्ट मिल सकेंगे.
- इसके अंतर्गत नई प्रौद्योगिकी भी देश मे आ सकती है, जो एक विकासशील देश की तरक्की में काफी अहम कड़ी होती है. नई प्रौद्योगिकी से काम मे लगने वाला समय भी बचता है, और गुणवत्ता भी अच्छी होती है.