गगनयान मिशन 2022 (यान, शुरुआत और ट्रेनिंग) की विस्तृत जानकारी | Gaganyaan Mission 2022 (Shuttle, Staring Date and Training ) in Hindi
गगनयान मिशन 2022 (Gaganyaan Mission 2022)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा वर्ष 2022 तक किसी भारतीय द्वारा गग यान को अंतरिक्ष तक ले जाने का लक्ष्य बनाया है. अभी तक विश्व में सिर्फ तीन ही देश ऐसा कारनामा कर पाए हैं. सबसे पहले रूस ने वर्ष 1962 में यह उपलब्धि प्राप्त की थी. उसके बाद अमेरिका और चीन ने यह कारनामा कर इतिहास को दोहराया था.
वर्ष 2022 तक भारत में उन देशों में शामिल हो जाएगा जो अंतरिक्ष में मानव भेजने में संभव हुए है. भारत की ओर से राकेश शर्मा सेवियत संघ की मदद से अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय हैं. परंतु अब भारत स्वयं की तकनीको से बनाए गए गगनयान द्वारा किसी भारतीय को अंतरिक्ष में 7 दिन तक रखेगा.
गगनयान मिशन की शुरुआत (Gaganyaan Mission Starting)
15 अगस्त 2018 को 72वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने लाल किले से ऐलान किया था कि वर्ष 2022 तक भारत गगनयान के जरिए पहली बार अंतरिक्ष में किसी भारतीय को भेजेगा. और इसी के साथ भारत यह कारनामा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान द्वारा देश के अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने वाली प्रौद्योगिकी विकसित की जा चुकी है. इसरो के चेयरमैन ने एक साक्षात्कार में कहा था कि इसरो द्वारा गगनयान भेजने के पहले जो मानव रहित मिशन को अंजाम दिया जाएगा और इस परियोजना के लिए जीएसएलवी का इस्तेमाल किया जाएगा. इस मिशन के अंतर्गत 9000 करोड रुपए की लागत आएगी.
गगनयान मिशन एक राष्ट्रीय मिशन है. इस मिशन की खास बात यह है कि इस मिशन की कमान एक महिला के हाथ में होगी. और इस मिशन को पूरा करने की जिम्मेदारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान द्वारा डॉक्टर ललिताम्बिका को दी गई है. डॉक्टर ललिताम्बिका 100 से भी अधिक स्पेस मिशन पर कार्य कर चुकी है. फरवरी 2017 में भारत ने जब एक साथ 104 सैटेलाइट प्रक्षेपित किए थे. तब उस टीम का हिस्सा डॉक्टर ललिताम्बिका भी थी. डॉक्टर ललिताम्बिका डायरेक्टर ऑफ ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम की निर्देशिका है.
ललिताम्बिका जी का देश के पहले मानव मिशन की परियोजना में निजी क्षेत्र का सहयोग मिलेगा. इस मिशन में भारतीय वायु सेना, डीआरडीओ और विदेशी संस्थानों के साथ मिलकर कार्य किया जाएगा.
गगनयान (Gaganyaan)
गगन यान भारतीय मानव युक्त अंतरिक्ष यान है. यह गगनयान 3 लोगों को ले जाने के लिए तैयार किया गया है. यह अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है. इस गगन यान कैप्सूल का वजन 3.7 टन है. इस यान में तीन व्यक्तियों का दल 7 दिनों के लिए 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करेगा. 18 दिसंबर 2014 को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के क्रू मॉडल ने अपना पहला मानव रहित प्रायोगिक उड़ान परीक्षण किया था.
गगन यान मिशन की ट्रेनिंग (Gaganyaan Mission Training)
भारत द्वारा यह पहला मानव युक्त अंतरिक्ष मिशन है. जिसके लिए अंतरिक्ष यात्रियों को इस मिशन के पहले ट्रेनिंग दी जाएगी. जिसके लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान द्वारा बेंगलुरु में एक प्रतिष्ठित एवं सर्व सुविधा युक्त संपन्न ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण किया जा रहा है. यह ट्रेनिंग सेंटर बेंगलुरु के बाहरी इलाके देवनहल्ली में ट्रेनिंग सेंटर नाम से बनाया जाएगा. इस ट्रेनिंग सेंटर का नाम एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग एंड बायोमेडिकल इंजीनियरिंग सेंटर होगा. जिसे 40 से 50 एकड़ जमीन में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो द्वारा विकसित किया जाएगा.
इसरो के चेयरमैन ने कहा था कि गगन यान मिशन के लिए बहुत कम ही समय बचा है इसलिए इस मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को देवनहल्ली में ट्रेनिंग सेंटर मैं प्रशिक्षण नहीं दिया जाएगा. इस ट्रेनिंग सेंटर में भविष्य में होने वाले अंतरिक्ष यान मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को ट्रेनिंग दी जाएगी. इस ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षित एस्ट्रोनॉट को किस तरह जीरो ग्रेविटी में रह जाता है अर्थात अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट किस तरह कहते हैं ठीक वैसा ही माहौल इस ट्रेनिंग सेंटर में उपलब्ध होगा. और इस मिशन के लिए भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का अनुभव काफी कारगर साबित होगा.
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