आमतौर पर देखे जाने वाले अमेरिकी नोट पर दिखने वाली स्याही अहमदाबाद की मेघमणि ओर्गनिक्स(Meghmani Organics Company) कंपनी द्वारा सप्लाई की जाती है.
ग्रीन स्याही की खोज
हरी स्याही जो कि 1862 से US के बैंक के नोटों को प्रिंट करने के लिए प्रयोग में लायी जा रही है, उसकी खोज 1857 में थॉमस स्टेरी हंट ने की थी तब वे Montreal की McGill University में शिक्षक थे. हंट कनाडा भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के विश्लेषणात्मक रसायनज्ञ थे और उन्होंने इसी स्थिति में अपने समय के दौरान क्रोमियम युक्त खनिजों के साथ परिचित होना शुरू कर दिया. बैंक नोटों की स्याही के लिए उन्होंने क्रोमियम sesquioxide का प्रस्ताव रखा, जिसे क्रोमियम trioxide से भी जाना जाता है.
यह हरी रंग की स्याही ही कारण है जो नकली उत्पादों वाली कंपनी U.S. करेंसी की प्रतिलिपि बनाने में असफल रही. इस हरे रंग की स्याही को किसी भी एसिड या किसी भी एजेंट के द्वारा नष्ट नही किया जा सकता है. इस हरे रंग की सियाही में एक और महत्वपूर्ण गुण है, यह फोटोग्राफी से भी कॉपी नहीं किया जा सकता है।
इस रोचक जानकारी से ज्यादातर भारतीय अनजान ही होंगे.. भारतीय मुद्रा के कुछ अज्ञात पह्लू..