दुनिया तकनीकी के क्षेत्र में नित नए आयाम रच रही है. अनेक प्रकार की खोज और नए आविष्कार हमे आये दिन हमारे इर्द-गिर्द दिखाई देते है, तकनीकी के इसी क्षेत्र की बात करे तो स्याही की खोज हुई ईसा से 2500 वर्ष पूर्व, तब लोग हस्ताक्षर के रूप में स्याही का अंगूठा लगाने लगे. उसके बाद कलम (पेन) की खोज हुई.
अब टेक्नोलॉजी और अधिक विस्तृत हो चुकी है और पुनः अंगूठा लगाने का चलन शुरू हो गया है लेकिन एक नए और उच्च तकनीकी के आधार पर जिसे कहते है फिंगर प्रिंट तकनीक. यह तकनीक साइबर दुनिया के सबसे सिक्योर (सुरक्षित) तकनीक मानी जाती है.
क्या आप जानते है फिंगर प्रिंट फॉरेंसिक की सबसे पहली प्रयोगशाला पुरे विश्व में भारत में बनी थी. फिंगर प्रिंट फॉरेंसिक लेबोरेटरी की शुरुआत 1897 में सर्वप्रथम भारत में हुई.
बंगाल के दो भारतीय अफसर बहादुर अज़िजुल हक़ और राय बहादुर हेमचन्द्र बोस ने सर एडवर्ड हेनरी की सहायता से फिंगर प्रिंट क्लासिफिकेशन सिस्टम डेवेलप किया. इसी के साथ दुनिया का पहला फिंगर प्रिंट ब्यूरो 12 जून 1897 को कलकत्ता में स्थापित हुआ.
हेनरी क्लासिफिकेशन सिस्टम आज भी अंग्रेजी भाषी देशों में ही प्रयोग में लाया जाता है जहाँ फाइलें कंप्यूटराइज्ड और स्कैन्ड नहीं होती है वहां फाइलो को मैन्युअली एक्सेस करने के लिए इस सिस्टम का प्रयोग होता है.