अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के इतिहास से जुड़े 20 रोचक तथ्य | Interesting and Amazing Fact About Andaman Nicobar Island in Hindi
अडंमान-निकोबार द्वीप समूह भारत का अभिन्न अंग है, यहां हर साल लाखों टूरिस्ट छुट्टियां मनाने आते हैं. लेकिन इस द्वीप के कई ऐसे तथ्य हैं जिनके बारे में आप शायद हीं जानते होंगे. आज हम आपको अंडमान-निकोबार के कुछ ऐसे ही तथ्यों से रूबरू कराने जा रहे हैं.
- यहां रहने वाले मूल जनजाति बाहर से आने वाले लोगों के साथ घुलते-मिलते नहीं हैं. यहां के निवासी मुख्यतः ‘जार्वा’ जनजाति से हैं. यह 500 से भी कम की संख्या में हैं और बाहरी लोगों से बिल्कुल घुलते मिलते नहीं हैं.
- वैश्विक स्तर पर आइलैंड बेहद चर्चित है लेकिन आज भी इसकी कई ऐसी जगहें हैं जहां इंसान पहुंच ही नहीं सका है। इसके कुल 572 आइलैंड्स में से 36 ही जाने या बसने लायक है. निकोबार में जाने के लिए सिर्फ रिसर्च या सर्वे के लिए ही चुनिंदा लोगों को इजाजत मिलती है. टूरिस्ट के लिए यहां जाना भी मुश्किल है.
- यहां पर सबसे ज्यादा समुद्री कछुए पाए जाते है. धरती का सबसे बड़ा कछुआ यहीं पर अपना ठिकाना बनाता है. इस कछुए का नाम Dermocheleys Coriacea है. यह साइज में बेहद बड़े होते हैं और हर साल अंडमान पहुंचते हैं. धरती का सबसे छोटा कछुआ ओलिव राइडली भी अंडमान पहुंचकर आसरा बनाता है.
- 20 के नोट पर जंगल वाला हिस्सा अंडमान द्वीप का ही है.
- इस द्वीप की उत्पत्ति को लेकर लोगों में तरह-तरह की मान्यताएं हैं, ऐसा माना जाता है कि अण्डमान शब्द हनुमान का एक रूप है, जो संस्कृत मूल के मलय भाषा से प्रचलित हुआ है. दरअसल, मलय में रामायण के हनुमान पात्र को हन्डुमान कहा जाता है और निकोबार का मतलब है नेकेट लोगों को लैंड.
- अंडमान में कमर्शियल फिशिंग बैन है. यह धरती की उन चुनिंदा जगहों में से हैं जहां मछलियों को उम्र पूरी कर मरने का अवसर मिलता है और वह अपनी जिंदगी जीती है.
- यहां पर पर सबसे ज्यादा बंगाली भाषा बोली जाती है. इसके अलावा हिन्दी, तमिल, तेलगू और मलयालम भाषा बोलने वाले लोग हैं.
- अंडमान में कोकोनट क्रैब बहुत ज्यादा पाए जाते हैं. ये जमीन पर पाए जाने वाले सबसे विशाल क्रेब होते है जिनकी लंबाई 1 मीटर तक हो सकती है. इनका पसंदीदा आहार कोकोनेट होता है यह अपने मुंह से नारियल के मजबूत खोल को भी तोड़ देते है.
- इंडिया में केवल अंडमान में ही आपको वाल्कोनो देखने को मिलेगा. भारत में एक ही सक्रिय ज्वालामुखी है, और ये अंडमान में ही है. ये आइलैंड पोर्ट ब्लेयर से 135 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां जाकर आप इस ज्वालामुखी को देख सकते हैं.
- अंडमान में बटरफ्लाई आपको खूब दिखेंगी. अंडमान तितलियों के लिए ‘हैप्पी आईलैंड’ है. आसपास के उष्णकटिबंधीय आइलैंड से ढेरों तितलियां यहां पहुंचती हैं.
- पहला यूरोपीय जिसने अंडमान में अपनी कॉलोनी बनाई वह डेनिश (डेनमार्क का निवासी) था. यह 1755 में अंडमान पहुंचा था. अंग्रेज पहली बार 1789 में अंडमान पहुंचे थे, वह भी चंथम आइलैंड पर. अंग्रेजों ने यहां अपनी कॉलोनी और नेवल मिलिट्री बेस बनाया.
- भारत से ज्यादा अंडमान इंडोनेशिया और बर्मा के नजदीक है. अंडमान की इंडोनेशिया से दूरी 150 किलोमीटर है जबकि भारत की सीमा इससे 800 किलोमीटर दूर है.
- अंडमान के दो आइलैंड्स का नाम ईस्ट इंडिया कंपनी के दो ऑफिसर्स के नाम पर रखा गया है. ये आइलैंड हैं- हेवलॉक और नील आइलैंड.
- सुभाष चंद्र बोस ने अपनी ‘आजाद हिंद फौज’ को जापानी मदद से और मजबूत किया. यह द्वितीय विश्व युद्ध का ही दौर था. बोस ने उत्तर और दक्षिणी आइलैंड को शहीद द्वीप और स्वराज द्वीप नाम दिया था.
- अंडमान आइलैंड का 90 फीसदी इलाका सघन जंगली है. यह भारत के किसी भी राज्य से ज्यादा है.
- अंडमान के आइलैंड्स पर सदी के पहले सूर्योदय की पहली किरण पड़ी थी। ऐसा सौभाग्य कैचल आइलैंड को मिला था.
- डेनिश कॉलोनियल रूल यहां 1868 में खत्म हुआ था. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि ब्रिटिशर्स ने इसे खरीद लिया था. इसके बाद आइलैंड का पूरा अधिकार अंग्रेजों के हाथ में चला गया.
- अंग्रेजी शासन में अंडमान का नाम ‘कालापानी’ की सजा के लिए चर्चित था. यहां की सेल्युलर जेल आज भी स्वाधीनता संग्राम के नायकों की कहानी कहती है. हालांकि इस जेल को अब राष्ट्रीय स्मारक में बदल दिया गया है.
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंडमान और निकोबार एकमात्र भारत का ऐसा भूमिक्षेत्र था जिसपर जापान ने कब्जा जमाया था. जापान ने भारत के उत्तर पूर्व के कुछ हिस्सों को भी कब्जे में लिया था लेकिन सिर्फ 6 महीने के लिए. इस आइलैंड पर 3 साल तक जापान का कब्जा रहा था.
- अंडमान का स्टेट एनिमल है डुगोंग. यह एक समुद्री जीव है और अपने जोड़े संग बेहद शर्मीला रहता है. इनके 5 ब्रीडिंग सेंटर हैं जिसमें से एक अंडमान में है.
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