Kaise Banaya Jata Hai Polythene Bag प्लास्टिक एक ऐसी चीज़ हैं जिसने इंसानी दुनिया में अपने एक जगह बना ली हैं. आजकल तो हमें प्लास्टिक की इतनी आदत हो चुकी हैं कि हम इसके बिना कहीं जाने की सोच भी नहीं सकते हैं. क्या आपने कभी यह सोचा कैसे प्लास्टिक ने कभी बैग बनकर और कही बोतल बनकर हमारी ज़िन्दगी में जगह बना ली हैं. प्लास्टिक का सबसे लोकप्रिय अंश हैं पॉलिथीन. पोलीथिन के अलावा बेकलाइट (bakelite), मेलामाइन (melamine) भी प्लास्टिक के ही अंश हैं.
आज हम आपको पॉलिथीन का जन्म कैसे हुआ, इसे कैसे बनाया जाता हैं, कैसे इसने हमें प्रभावित किया और इसके बदले में क्या प्रयोग किया जा सकता हैं इसके बारे में चर्चा करेंगे.
पॉलिथीन की खोज कैसे हुई थी (History of Polythene in Hindi)
जिस पॉलिथीन का आज हम भरपूर प्रयोग कर रहे हैं. इसकी खोज आज से सवा सौ साल पहले वर्ष 1898 में हुई थी.
इसकी खोज एक जर्मन केमिस्ट हान्स वोन पेंचमन (Hans von Pechmann) ने की थी. उन्होंने अपनी खोज डायजोमिथिन (diazomethane) के परिक्षण के दौरान पॉलिथीन का गलती से आविष्कार कर दिया था.
हान्स और उनके कलिग्स एउगन बम्बरगर और फ़्रीडरिच ने प्रयोग करते वक्त सफेद रंग के मोम जैसे पदार्थ को बनते देखा. यह पदार्थ डायजोमिथिन के विघटन से बना था.
मिथीलिन(methylene) की लम्बी चैन से बने इस पदार्थ को पॉलिमिथीलिन नाम दिया गया.
इस खोज के 35 साल बाद एरिक फावसेंट (Eric Fawcett) ने इसकी औद्योगिक रूप से इसकी खोज की. एरिक की खोज के बाद औद्योगिक रूप से प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाने लगा.
35 साल तक पॉलिमिथीलिन का इस्तेमाल नहीं किया गया क्योंकि डायजोमिथिन एक ऐसा पदार्थ हैं जो कि काफी अनस्टेबल होता हैं. इसीलिए इसका इस्तेमाल औद्योगिक रूप से नहीं किया जा सकता था.
जिस तरह 35 साल पहले हान्स ने गलती से इसकी खोज की थी उसी तरह इम्पीरियल केमिकल इंडस्ट्री में काम करते करते एरिक ने इसकी खोज कर डाल थी.
एरिक ने देखा कि ईथीलीन बेन्ज़िलडीहाईड के साथ उच्च दबाव पर प्रतिक्रिया कर मोम जैसा पदार्थ बनाता हैं. एरिक ने इसे पॉलिईथीलीन (Polyethylene – C2H4) नाम दिया जिसे आज हम पॉलिथीन नाम से जानते हैं.
पॉलिथीन कैसे बनता हैं (How to Make Polythene Hindi)
दरअसल पॉलिथीन दो पदार्थों एथिलीन और बेन्जिलडीहाइड के मिश्रण से उच्च दबाव पर बनता हैं. पॉलिथीन को प्लास्टिक का ही एक प्रकार हैं. जोकि बायोडीग्रेडेबल नहीं हैं. सदियों तक यह ख़त्म नहीं होता हैं.
प्लास्टिक बैग कैसे बनाये जाते हैं (Kaise Banaya Jata Hai Polythene Bag)
प्लास्टिक बैग बनना बेहद ही आसान काम हैं. किसी भी व्यापार की तरह कुछ मशीनों का इस्तेमाल करके प्लास्टिक बैग को बनाया जा सकता हैं. यह प्रक्रिया हम 3 स्टेप के जरिये आसानी से समझ सकते हैं.
1. पॉलिथीन बनाने के मशीन पॉलिथीन प्लास्टिक के छर्रों को 500 डिग्री फ़ारेनहाइट तक गर्म करके इसको पिघला देती हैं.
2. मशीन के अन्दर एक स्क्रू पिघले हुए प्लास्टिक की मोटाई नियंत्रित करता हैं और हवा को पिघले हुए प्लास्टिक के अन्दर डालता हैं. हवा प्लास्टिक को किसी गुब्बारे की तरह फुला देती हैं. जितनी ज्यादा हवा इसमें बेजी जाती हैं उसी से प्लास्टिक की मोटाई और गुणवक्ता तय होती हैं.
3. प्लास्टिक की चादर को तय आकर में काटकर इसे लपेट लिया जाता हैं जिसके बाद इस प्लास्टिक से थेलियाँ बना ली जाती हैं.
प्लास्टिक बैग बनाने के लिए कौनसा केमिकल इस्तेमाल किया जाता हैं (Chemicals Used in Making Polythene Bag)
प्लास्टिक बैग एक पॉलीमर जिसे पॉलिईथीलीन भी कहा जाता हैं से बनाया जाता हैं. यह तो हमने आपको बता दिया हैं कि पॉलिईथीलीन किस तरह बनाया जा सकता हैं. पॉलिईथीलीन में मौजूद चैन की लम्बाई के ऊपर यह निर्भर करता हैं कि पॉलिथीन की गुणवत्ता क्या रहने वाली हैं. गुणवत्ता के आधार पर पॉलिथीन बैग को चार भाग में बाँट सकते हैं.
1. जनरल प्लास्टिक (General Plastic )
2. HDPE प्लास्टिक (HDPE Plastic)
3. LLDPE प्लास्टिक (LLDPE Plastic)
4. रीसायकल प्लास्टिक(Recyclable Plastic)
प्लास्टिक बैग के दुष्प्रभाव (Impact of Polythene Bags on Environment in Hindi)
भारत जैसे देश में पॉलिथीन बैग का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता हैं. क्योंकि ये सस्ती, मज़बूत और हल्की होती हैं. पॉलिथीन बैग आपको हर जगह देखने को मिल जाते हैं इसका इस्तेमाल फ्रिज में सब्जियों को रखने, बाजार से सामान लाने में, द्रव सामग्री भरने में किया जाता हैं.
लेकिन पॉलिथीन बैग ने हमारी ज़िन्दगी को जिनता आसान बनाया हैं उतना ही इसने हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया हैं.
प्रतिवर्ष पूरे विश्व में लगभग 500 खरब प्लास्टिक बैग का उपयोग किया जाता है. इस प्रकार प्रति मिनिट एक अरब से भी अधिक बैग का उपयोग किया जाता है.
पॉलिथीन बैग्स का पर्यावरण पर सबसे अधिक दुष्प्रभाव यह होता है कि ये नॉन बायोडिग्रेडेबल हैं. पॉलिथीन बैग्स को विघटित होने में लगभग 1000 वर्ष का समय लगता है.
यह सोचिये कि जो पॉलिथीन बैग आज हम कुछ मिनिट के प्रयोग के लिए बना रहे हैं वह अगले 1000 साल तक इस धरती पर बना रहेगा.
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पॉलिथीन बैग का समुद्र पर प्रभाव (Impact of Polythene Bags on the Ocean)
हर साल पॉलिथीन बैग की बड़ती तदाद हमारे पर्यावरण को लगातार और ख़राब करे जा रही हैं. यह पॉलिथीन बैग पानी के स्त्रोतों, उद्यानों, समुद्र के किनारे और सड़कों पर मिल जाते हैं.
लगभग 1 लाख समुद्री प्राणी जैसे डॉल्फिन्स, कछुए, व्हेल्स, पेंगुइन्स आदि की मृत्यु पॉलिथीन बैग के कारण हो जाती है. कई जानवर इन्हें खाने की चीज़ समझकर खा लेते हैं और इससे उनकी मृत्यु हो जाती है.
पॉलिथीन बैग विकल्प (Polythene Bags Alternative)
पॉलिथीन बैग ने हमारे ज़िन्दगी में एक अच्छी खासी पहुँच बना ली हैं. यदि हम चाहे तो भी इसका इस्तेमाल एकदम से बंद नहीं कर सकते हैं. प्लास्टिक का इस्तेमाल हम जिस तरह करते हैं उसका विकल्प अभी भी हमारे पास नहीं हैं.
बाजार में बायोडिग्रेडेबल पॉलिथीन बैग भी उपलब्ध हैं लेकिन इसे भी विघटित होने के लिए उच्च दबाव के साथ साथ उच्च तापमान की आवश्यकता होती हैं. जो कि संभव नहीं हैं.
इसीलिए यदि पॉलिथीन बैग का विकल्प हमारे पास नहीं हैं तो हम इसकी जगह अन्य चीज़ों का इस्तेमाल करके पॉलिथीन का इस्तेमाल कम कर सकते हैं.
1. कैनवास बैग्स (Canvas Bags)
कैनवास बैग पॉलिथीन बैग का एक अच्छा विकल्प हैं. जो कि प्लास्टिक की तुलना में कई ज्यादा मोटा और मजबूत हैं. और यह हर साइज़ और आकार का मिल जाने के साथ साथ फेंसी भी हैं. यह प्लास्टिक बैग की तरह हल्का और सस्ता हैं.
2. एकोफ्रेंडली बैग्स (Eco-Friendly Bags)
एकोफ्रेंडली बैग्स नेचुरल स्टार्च और वेजिटेबल वेस्ट से बनाया जाता हैं. भारत की मैगलौर स्थित एक कंपनी प्लास्टिक बैग का विकल्प दे रही हैं. इस बैग की कीमत पॉलिथीन बैग्स से 30 से 40 प्रतिशत ज्यादा हैं. लेकिन इसे प्लास्टिक बैग का यह बेहतरीन और सस्ता विकल्प माना जा रहा हैं.
3. डेनिम बैग्स (Denim Bags)
डेनिम का नाम तो आपने अच्छे से सुना ही होगा. यह सुलभ रूप से मौजूद होने के साथ साथ मजबूत भी हैं. डेनिम बैग में पॉलिथीन बैग की तुलना में ज्यादा वजन उठाया जा सकता हैं.
4. जूट बैग्स (Jute Bags)
पॉलिथीन बैग का एक और अच्छा विकल्प जुट के बैग हैं. प्लास्टिक की तुलना में यह कई साल पुराने, मजबूत और बायोडिग्रेडेबल हैं. यह बैग दो साल के बाद आसानी से बायोलोगिकली डिग्रेड हो जाते हैं.
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