लंपी वायरस के लक्षण, कारण, उपाय और दूध से इंसानों को खतरा | Lumpy Virus Disease Symptom, Cause, Treatment and danger to humans from milk in Hindi
लंपी स्किन डिसीज़ एक ऐसी बीमारी है, जो कि गौवंश से जुड़ी हुई है, यह वायरस कैप्री पॉक्स वायरस से सम्बंधित वायरस है. प्रथम बार इस वायरस की रोगी गाय को जाम्बिया में 1929 में पाया गया था. इससे यह बात पता चली कि यह वायरस 2022 में नहीं आया था बल्कि यह तो लगभग 90 साल पुराना वायरस है. यह वायसर गायों एवं भैंसों में पाया जाता है, यह वायरस धीरे-धीरे बड़ता है और यह हमारी गौमाता और भैंसों के लिए काफी दर्दनाक होता है. इस वायसर ने हमसे हमारी काफी सारी गौमाता को छीन लिया है. इस वायरस का सबसे विक्राल रूप हमारे देश भारत के राजस्थान राज्य में देखने को मिला.
लंपी वायरस के फैलने के कारण-
लंपी वायरस हमारे भारत में काफी सारे राज्यों में फेल चूका है. यह वायरस मच्छरों, मक्खियों और कीड़ो के काटने से फैलता है. यह वायरस एक संक्रमित गाय के द्वारा दूसरी गायों में फैलता है. यह दोनों ही कारण महत्वपूर्ण कारण है, जो किसी भी गाय या भैंस को संक्रमित कर सकते है.
इनमे से भी जो सबसे बड़ा कारण है, वह यह है कि हम संक्रमित गाय-भैंस को दूसरी गाय-भैंसों से अलग नहीं करते है और उन संक्रमित गाय-भैंसों को भी सभी पशुओं के साथ रखते है. अगर हमे पता है कि कौन सी गाय संक्रमित है तो हमें तुरंत ही उस गाय का खाना पानी अलग करना चाहिए ताकि दुसरे पशु भी संक्रमित ना हो सके.
गायों के अलावा इन जीवों में पाया जाता है लंपी वायरस-
एलएसडीवी(Lumpy Skin Disease Virus) मुख्य रूप से गायों और ज़ेबू(भारतीय उपमहाद्वीप की गाय की एक नस्ल) को प्रभावित करता है, लेकिन इसे जिराफ़, वॉटर बफैलो और इम्पाला में भी देखा गया है. मोटी चमड़ी वाली बोस इंडिकस नस्लें जिनमें अफ़्रीकनेर और अफ़्रीकनेर क्रॉस-ब्रीड शामिल हैं इनमे रोग के कम गंभीर लक्षण दिखते हैं. यह संभवतः एक्टोपैरासाइट्स(बाह्यपरजीवी) के प्रति संवेदनशीलता में कमी के कारण है. जो बोस टौरस नस्लों के सापेक्ष बोस इंडिकस नस्लें प्रदर्शित करता है. स्तनपान के चरम पर युवा बछड़ों और गायों में अधिक गंभीर नैदानिक लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन सभी आयु-वर्ग इस रोग के प्रति संवेदनशील होते हैं.
लंपी वायरस होने के गायों एवं भैंसों में प्रमुख लक्षण-
गायों एवं भैंसों में लंपी वायरस होने के यह प्रमुख लक्षण दिखने लगे तो उन पशुओं का तुरंत उपचार करे और उस पशु को दुसरे पशुओं से दूर रखे.
- बुखार की शुरुआत वायरस से संक्रमण के लगभग एक सप्ताह बाद होती है.
- यह प्रारंभिक बुखार 41 डिग्री सेल्सियस (106 डिग्री फ़ारेनहाइट) से अधिक हो सकता है और एक सप्ताह तक बना रह सकता है.
- गायों के दूध एवं भूख में कमी का आना.
- गायों में 2-5 सेंटीमीटर व्यास की गाँठ, उनके थन, सिर और गर्दन पर दिखाई देना.
- मुंह से लार का टपकना और शरीर पर छाले.
- बुखार, आँखों और नाक से तरल पदार्थ का निकलना.
लंपी वायरस से गायों एवं भैंसों को बचाने के उपाय
गायों एवं भैंसों को जिस भी गौशाला में रखा जाता है और वहां पर अगर किसी गाय में लंपी वायरस के लक्षण नजर आ रहे हैं, तो उस पशु का चारा-पानी अलग करे एवं उसे झुंड से अलग रखें और संक्रमित गाय की जानकारी तुरंत स्वास्थ्य विभाग को दें.
लक्षण वाली गायों के दूध पीने से क्या इंसानों को है खतरा?
हम सभी भारतीयों के घरों में दूध को उबाल कर पिया जाता है, जैसा की हम सबको पता है दूध को उबाल कर पिने से दूध में मौजूद खतरनाक जीवाणु खतम हो जाते है. ऐसे में अगर हम लोग दूध को उबाल कर पीते है, तो हमें कोई खतरा नहीं है.
हम सभी को पता है कि अगर हमारी इम्यूनिटी अच्छी है तो हमे कोई वायरस अपनी जकड़ में नहीं ले सकता और वही अगर हमारी इम्यूनिटी अच्छी नहीं है, तो भी चिंता करने की कोई बात नहीं है क्योंकि ऐसा अब तक कोई मेडिकल प्रमाण नहीं प्राप्त हुआ है कि यह बीमारी इंसानों को संक्रमित कर सकें.
लंपी वायरस का भारत में आगमन और राज्यों में मामले
भारत में जुलाई 2022 में, भारत के गुजरात राज्य के 33 में से 14 जिलों में इसका प्रकोप फैल गया था और 25 जुलाई तक 37,000 से अधिक मामले और गायों में 1000 मौतों की सूचना मिली थी. अगस्त 2022 तक तो इस वायरस ने पुरे भारत में अपने पैर फेलाना शुरू कर दिए थे. देश के विभिन्न राज्यों के आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब में 74,325 मामले, गुजरात में 58,546 मामले, राजस्थान में 43,962 मामले, जम्मू-कश्मीर में 6,385 मामले, उत्तराखंड में 1300 मामले, हिमाचल प्रदेश में 532 मामले तथा अंडमान निकोबार में 260 गाय लंपी स्किन वायरस की चपेट में आ चुकी हैं.
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