सहिथी पिंगली : भारत की बेटी जिसके नाम पर हैं अंतरिक्ष में एक ग्रह

सहिथी पिंगली : भारत की बेटी जिसके नाम पर हैं अंतरिक्ष में एक ग्रह | Story of a Bengaluru
girl Sahithi Pingali, on her name a planet of galaxy named

भारत में प्रतिभाशाली बच्चों की कोई कमी नहीं है, पुरे विश्व में भारतीय बच्चों का बोलबाला है. जिस भी बड़े देश की हम बात करें वहां के अधिकतर उच्च पदों पर भारतीय लोग ही पदस्थ है. बेंगलुरु की इंवेंचर अकादमी की कक्षा 12वीं की छात्रा सहिथी पिंगली के नाम पर एक छोटे ग्रह का नाम रखा जायेगा. सुनकर आप हैरान होंगे लेकिन यह सच है. सहिथी ने यह सफलता इंटेल इंटरनेशनल साइंस एंड इंजिनियरिंग फेयर (Intel ISEF) में गोल्ड मेडल जीत कर हासिल की है और शहर के साथ ही सहिथी ने देश का नाम भी रोशन किया है.

सहिथी पिंगली की कहानी (Story of Sahithi Pingali)

टेक्सास(ह्यूस्टन) में आयोजित ISWEEEP(द इंटरनेशनल सस्टेनेबल वर्ल्ड इंजिनियरिंग एनर्जी इन्वाइरनमेंट प्रॉजेक्ट) ओलिंपियाड में सहिथी पिंगली ने भाग लिया था. जिसमें झीलों पर किये गए शोध ‘ए इनोवेटिव क्राउडसोर्सिंग एप्रोच टू मॉनिटरिंग फ्रेश वॉटर बॉडीज’ के लिए सहिथी ने गोल्ड मेडल जीता.

सहिथी ने अपने स्कूल टीम के साथ मिलकर विशेष रूप से वर्थुर झील पर रिसर्च किया था. जिसके लिए मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (MIT) के लिंकन लैबरेटरी ने एक ग्रह का नाम सहिथी के नाम पर रखा है.

छोटे ग्रहों का नाम रखने का अधिकार लिंकन लैबरेटरी के पास है. Intel ISEF इंटरनेशनल के पृथ्वी और पर्यावरण विज्ञान की श्रेणी के फाइनल में दूसरे स्थान पर रहने वाली सहिथी 3 विशेष अवॉर्ड किंग अब्दुल अजीज एंड हिज कम्पेनियन्स फॉर गुडनेस एंड क्रिएटिविटी, एएसयू रॉब और मेलानी वाल्टन सस्टेनेबिलिटी सलूशन इनिशटिवस स्पेशल अवॉर्ड और यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डिवेलपमेंट स्पेशल अवॉर्ड भी जीत चुकि हैं.

Story of Sahithi Pingali in Hindi
Sahithi Pingali

गोल्ड मेडल जितने के बाद सहिथी ने कहा, “मेरे प्रॉजेक्ट की सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह क्राउड सोर्सिंग यानी छात्रों और नागरिकों का वैज्ञानिक आंकड़ों में योगदान को ले कर है, टीम का समर्पण और प्रतिबद्धता और OLOV की प्रेरणा ही थी जिसने मुझे विश्वास दिलाया कि हाई स्कूल के छात्र पर्यावरण जागरूकता और विज्ञान के अपने ज्ञान को बढ़ाते हुए इस तरह के विश्वसनीय आंकड़ों जुटा सकते हैं.

मुझे उम्मीद है कि बेंगलुरु के अन्य छात्र भी झीलों को अपना कर दुनिया को रास्ता दिखाएंगे. वर्तमान में सहिथी मिशिगन विश्वविद्यालय में एक इंटर्नशिप कर रही हैं, जहां वह सिविल और पर्यावरण इंजिनियरिंग विभाग में पीएचडी छात्रों और प्रोफेसरों के साथ काम कर रही है.

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