Navic India Own Navigation System Hindi भारत जल्द ही अपने देशवासियों को स्वदेशी जीपीएस की सुविधा देने जा रहा हैं जिसकी अब तक कल्पना ही की जा सकती थी. भारत अब तक पोजीशनिंग सिस्टम के लिए पूरी तरह से अमेरिका पर निर्भर था. आज हम आपको इससे जुडी हुई कुछ जानकारी देने जा रहे हैं. क्यों इसकी जरुरत पड़ी और किस तरह से यह अमेरिकी जीपीएस की तुलना में उन्नत और शक्तिशाली हैं.
नाविक जीपीएस का पूरा नाम (NAVIC GPS FULL FORM)
भारत के स्वदेशी जीपीएस नाविक का वैज्ञानिक नाम इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (Indian Regional Navigation Satellite System – IRNSS) हैं जिसका ऑपरेशन नाम नाविक (NAVIC) रखा गया हैं.
इसका पूरा नाम नैविगेशन विद इंडियन कौन्स्टेलेशन (NAVigation with Indian Constellation) हैं. संस्कृत और हिंदी भाषा में नाव चलाने वाले को नाविक कहा जाता हैं.
भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका नाम भारत के मछुवारों को समर्पित करते हुए नाविक रखा है
क्यों बनाया स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम (NAVIC INDIA OWN NAVIGATION SYSTEM HINDI)
भारत को स्वदेशी जीपीएस की पहली जरुरत साल 1999 में पड़ी थी. जब पकिस्तान के सैनिकों ने घुसपैठ करके कारगिल के आस पास के इलाकों पर अपना कब्ज़ा कर लिया था.
भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना की इस करतूत का बदला देने के लिए चढाई कर दी. लेकिन भारतीय सेना के इस ऑपरेशन में सबसे बड़ी चुनौती पाकिस्तानी सैनिकों की लोकेशन पता लगाना थी.
इस मुश्किल की घडी में भारत सरकार ने अमेरिका से जीपीएस की मदद से लोकेशन पता लगाने के लिए दर्खास्त की.
लेकिन अमेरिका ने अपना दोगलापन दिखाते हुए भारत की मदद करने से इनकार कर दिया.
तभी से भारत से सबक लेते हुए खुद का स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम बनाने पर काम करना शुरू कर दिया.
आज भारत दुनिया के उन चुनिन्दा देशों में शामिल हो चूका हैं जिनका खुद का एक स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम हैं.
जीपीएस और आरपीएस में अंतर (DIFFERENCE BETWEEN GPS AND RPS)
नेविगेशन सिस्टम का उपयोग किसी भी आस पास के इलाके की जानकारी और पोजीशन जानने के लिए किया जाता हैं. यह सुविधा मोबाइल और कार में रास्ता पता लगाने के लिए किया जाता हैं.
भारत में हम जिस नेविगेशन सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं वह अमेरिका का जीपीएस यानि ग्लोबल नेविगेशन सिस्टम हैं.
अमेरिका ने इस पर साल 1975 में काम शुरू किया था जिसे उसने साल 1995 बनाकर तैयार कर लिया. तब से अब तक यह नेविगेशन सिस्टम की यह सुविधा दे रहा हैं.
जिन देशों के पास खुद का नेविगेशन सिस्टम नहीं हैं वह अमेरिका के इस जीपीएस पर निर्भर रहते हैं. भारत में भी अब तक अमेरिकी जीपीएस का उपयोग नेविगेशन सिस्टम के लिए किया जाता था.
भारत ने जो अब नेविगेशन सिस्टम बनाया हैं वह आरपीएस यानि रीजनल पोजीशनिंग सिस्टम हैं. जिसका उपयोग पूरी दुनिया तो नहीं बल्कि भारत और भारत के आस-पास के देश कर सकेंगे.
अमेरिकी जीपीएस ने पूरे विश्व को कवर करने के लिए 24 सैटेलाइट का समूह अंतरिक्ष में फैलाया हुआ हैं. जबकि केवल भारत के लिए ही इसरो ने स्वदेशी नैविगेशन प्रणाली के लिए 7 सैटेलाइट लगाये हैं जो भारत का 1500 किमी का क्षेत्र कवर कर रहे हैं.
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नाविक के सैटेलाइट (LIST OF SATELLITES OF NAVIC)
भारत 7 सैटेलाइट की मदद से नेविगेशन की सुविधा मुहैया करवाएगा जिनका नाम कुछ इस प्रकार हैं.
1. IRNSS-1A
2. IRNSS-1B
3. IRNSS-1C
4. IRNSS-1D
5. IRNSS-1E
6. IRNSS-1F
7. IRNSS-1G.
नाविक के फायदे ( NAVIC KE FAYADE )
वैसे भारत के नाविक की बात की जाए तो इसके एक नहीं बल्कि अनेकों फायदे हैं. जिसके उल्लेख करना इस पोस्ट में संभव नहीं होगा.
लेकिन हम आपको इसके मुख्य फायदे बताएँगे जिसका असर भारत के प्रत्येक नागरिक पर पड़ेगा.
1. भारत को कभी भी अब कारगिल जैसे हालातों का सामना नहीं करना पड़ेगा.
2. भारत का यह नेविगेशन सिस्टम पूर्णत स्वदेशी हैं जिसपर केवल भारत का अधिकार हैं.
3. इस अमेरिका के जीपीएस से कई गुना बेहतर सटीकता से लोकेशन बताने में सक्षम हैं.
4. यह आरपीएस 5 मीटर तक सटीक लोकेशन बता सकता हैं जबकि अमेरिकी जीपीएस 20 मीटर तक ही सटीक लोकेशन दे पता था.
5. किसी प्राकृतिक आपदा के समय भारत को अमेरिका से मदद मांगने नहीं जाना पड़ेगा.
6. स्वदेशी होने के कारण इसका तेजी से उपयोग किया जा सकता हैं.
7. भारत के इस पोजीशनिंग सिस्टम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की धाक बढेगी.
8. सैन्य मिशन पर, हथियारों की आवाजाही और मिसाइल छोड़ने या उसे नैविगेट करने में इसका उपयोग किया जा सकेगा.
9. विमानों की ट्रैकिंग करने में भी इससे सहायता मिलेगी.
10. किसी भी मौसम और पहाड़ी क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा.
किस किस देश के पास हैं नेविगेशन सिस्टम (COUNTRY WHO HAVE OWN NAVIGATION SYSTEM)
भारत के अलावा 3 देशों अमेरिका,रूस, चीन और यूरोपीय यूनियन का खुद का नेविगेशन सिस्टम हैं.
1. अमेरिका के पास जीपीएस(GPS) हैं
2. रूस के पास ग्लोनास(GLONASS)
3. चीन के पास बीडाउ (BeiDou)
4. और यूरोप का अपना गैलीलियो(Galileo)
कमाल की बात यह हैं कि चीन का बीडाउ और यूरोप के गैलीलियो अन्तरिक्ष में स्थापित होने के बाद भी अब तक काम करना शुरू नहीं किया हैं. जबकि भारत का नाविक इनसे पहले काम करना शुरू कर देगा.
कैसे करे नाविक का इस्तेमाल (HOW TO USE NAVIC GPS HINDI)
नाविक का इस्तेमाल ठीक उसी तरह कर सकते हैं जिस तरह जीपीएस का करते हैं. इस साल के अंत तक बाजार में नाविक के चिपसेट आ जाएगी. जिसे मोबाइल या कार में लगा का नाविक का उपयोग कर सकते हैं.
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हाँ अब ये कुछ स्मार्टफोन में इनबिल्ट भी आता है Navic Navigation System