प्लाज्मा क्या हैं, किस तरह प्लाज्मा से मरीजों की जान बचाई जा सकती हैं? |
What is Plasma, Meaning, Therapy, Donation, Process In Hindi
हमारे शरीर में खून कई चीजों से बनता है. हमारे खून में जो लिक्विड या तरल पदार्थ होता है वही प्लाज्मा होता है. खून में 55 प्रतिशत प्लाज्मा होता है बाकि 45 प्रतिशत रेड ब्लड सेल्स, वाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स होते हैं. इस प्लाज्मा में भी करीब 92 फीसदी पानी होता है. करीब 7 फीसदी वाइटल प्रोटीन होते हैं और बचे हुए एक फीसदी में मिनरल्स, साल्ट, शुगर, फैट, हार्मोन और विटामिन होते हैं.
प्लाज्मा शरीर में किस प्रकार काम करता है | How Does Plasma Work
Plasma शरीर में एंटीबॉडी बनाने का सबसे जरूरी काम करता है जो मनुष्य के शरीर को किसी भी तरह के संक्रमण से लड़ने में मदद करता है. एंटी बॉडी एक प्रकार का प्रोटीन होता है. रोग पैदा करने वाले रोगजनकों को पहचानकर उनसे लड़ते हैं. इसमें के दो प्रकार के प्रोटीन होते हैं, जिनके नाम एल्बुमिन और फाइब्रिनोजेन है. इसके अलावा प्लाज्मा शरीर में ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है, साथ ही खून के थक्के जमने पर वहां प्रोटीन भेजकर थक्के को खत्म करता है, शरीर की मांसपेशियों को सोडियम और पोटैशियम जैसे साल्ट की सप्लाई भी करता है.
प्लाज्मा डोनेशन कैसे करते हैं | Plasma Donation Process in Hindi
किसी भी संक्रमण से ठीक हुए लोगों के शरीर में उस संक्रमण को लेकर एंटीबॉडी बन जाती है. इस प्रक्रिया में पूर्व में संक्रमित हो चुके शख्स का एंटीबाडी चेकअप होता है. प्रयोगशाला में डॉक्टर की देख रेख में प्लाज्मा डोनेट किया जाता है जिसमें वायरस से लड़ने वाली एंटीबाडी शामिल होती हैं. प्लाज्मा निकाल इसे संक्रमित व्यक्ति में ट्रांस्फर किया जाता है. यह संक्रमित व्यक्ति के शरीर में पहुँच कर रोग से लड़ने में मदद करता है. रोगी में संक्रमण से लड़ने की क्षमता विकसित करने में मदद करता है.
- Plasma Donation का तरीका सामान्य ब्लड डोनेशन के तरीके से थोड़ा अलग होता है.
- प्लाज्मा डोनेशन के लिए डॉक्टर आपके एक हाथ में निडिल लगाता है ताकि ब्लड बाहर आ सके.
- इस ब्लड को एक स्पेशल मशीन में रखा जाता है. मशीन ब्लड से रेड ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स को एक साथ अलग करने का काम करती है और प्लाज्मा को अलग कर देती है.
- अब अलग हुए प्लाज्मा को डॉक्टर इकट्ठा कर लेते हैं, जबकि दूसरी ओर इकट्ठा हुए रेड ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स को सलाइन के जरिए शरीर में वापस ट्रांसफर कर दिया जाता है.
- इस पूरे प्रोसेस में सामान्य ब्लड डोनेशन की तुलना में थोड़ा ज्यादा वक्त भी लगता है.
- प्लाज्मा निकलने के 24 घंटे के अंदर उसे सुरक्षित करना होता है. ये प्लाज्मा अगले एक साल तक किसी मरीज के इलाज के काम आ सकते हैं.
प्लाज्मा डोनेट करते समय ध्यान रखने योग्य बाते
- Plasma Donation (प्लाज्मा) डॉक्टर की देख रेख में होना चाहिए.
- प्लाज्मा डोनेट सिर्फ वही कर सकता है जो किसी संक्रमण से ठीक हो चुका है.
- डोनेट प्लाज्मा उसी संक्रमण से लड़ने के काम में लिया जा सकता है जिस संक्रमण से प्लाज्मा डोनर ठीक हो चुका है.
- प्लाज्मा इखट्ठा होने के बाद उसे सुरक्षित संक्रमित मरीज तक पहुंचा देना चाहिए.
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