चाणक्य एक अच्छे अर्थशास्त्री थे. चाणक्य तक्षशिला के गुरुकुल में आचार्य थे. चाणक्य राजनीतिज्ञ भी थे उनकी राजनीती के क्षेत्र में भी पकड़ थी. उनके पिता का नाम चणीक था इस कारण से ही उनको चाणक्य कहा जाता था. आचार्य चाणक्य द्वारा रचित एक श्रेष्ठ ग्रन्थ है चाणक्य नीति. चाणक्य नीति में सफल और सुखी जीवन के अनेक सूत्र बताए गए हैं. मनुष्य के जीवन में कई ऐसे मौके आते है जब वह जाने-अनजाने में अपनी कोई सी ऐसी बात किसी अन्य को बता देते है जो भविष्य में हमारे लिए ही संकट पैदा कर देती है. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में चार ऐसी बाते बताई जो किसी को नही बतानी चाहिए. जो लोग इस प्रकार की बाते किसी और के सामने उजागर कर देते है. उन्हें परेशानियां उत्पन्न हो जाती है.
आइये जानते है ऐसी बाते जो किसी को नही बताना चाहिए-
आचार्य कहते हैं कि-
अर्थनाशं मनस्तापं गृहिणीचरितानि च।
नीचवाक्यं चाऽपमानं मतिमान्न प्रकाशयेत्।।
प्रथम बात जो गुप्त रखने योग्य है –
इस श्लोक में पहली बात यर बताई गई है कि “अर्थनाशं” अर्थात अर्थहानी यानि धनहानि होने की बात की को नही बताना चाहिए. इस प्रकार की बाते किसी के सामने जाहिर नही करना चाहिए. यदि हमें धनहानि हुई है और हमारी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है तो यह स्थिति किसी के सामने प्रकट नहीं करनी चाहिए, इसका कारण यह है की जब किसी को यह बात पता चल जाएगी तो कोई भी व्यक्ति धन संबंधी मामलों में आपकी मदद नही करेगा. आज ये सर्वविदित है की हमारे समाज में गरीब व्यक्ति को धन की मदद आसानी नहीं होती है. अत: इस बात को सदैव राज ही रखना चाहिए. किसी के सामने जाहिर नही करना चाहिए.
दूसरी बात जो गुप्त रखने योग्य है –
इस श्लोक में बताई गई दूसरी बात है “मनस्तापं” अर्थात हमें कभी भी मन संताप यानि हमारे दुःख की बात किसी ओर को नही बताना चाहिए. यदि हम हमारे दुखो की बात किसी ओर से करेंगे तो वो लोग उसका मजाक उड़ायेंगे. और जब किसी के साथ ऐसा होता है तो उसका दुःख ओर बढ़ जाता है. अतः हमे अपने दुखो को किसी को जाहिर नही करना चाहिए.
तीसरी बात जो गुप्त रखने योग्य है –
उपर दिए गए श्लोक में “गृहिणीचरितानि” को तीसरी बात बात बताई गई है, जिसका अर्थ है गृहणी(पत्नी) का चरित्र. यहाँ चाणक्य ने कहा है कि समझदार पुरुष वही है, जो अपनी पत्नी से जुड़ी सभी बातें गुप्त रखता है. व्यक्ति को अपने घर-परिवार के झगड़े, सुख-दुख आदि बातें समाज में जाहिर नहीं करनी चाहिए. जो कोई पुरुष ऐसा करते हैं, उन्हें भविष्य में भयंकर परिणाम झेलने पड़ते हैं.
चौथी बात जो गुप्त रखने योग्य है –
यहां दिए गए श्लोक में चौथी गुप्त रखने योग्य बात यह है की “नीचवाक्यं चाऽपमानं” इसक अर्थ यह है की जीवन में कोई नीच व्यक्ति हमारा करता है तो ऐसी घटना को भी किसी को नही बतानी चाहिए।. ऐसी घटनाओं की जानकारी अन्य लोगों को मालूम होगी तो वे भी हमारा मजाक बनाएंगे और हमारी प्रतिष्ठा में कमी आएगी. इस कारण से हमे किसी को नही बताना चाहिए की हमारा अपमान किसी नीच व्यक्ति ने किया है.
अतः हमे जीवन में चार बाते जो यहाँ बताई गई किसी सामने उजागर नही करना चाहिए.