भारतीय संस्कृति और विरासत का मौल भारतीयों को विदेशी लोग सिखा रहे है. भारत के लोग अपनी संस्कृति को भूल पाश्चात्य की और अग्रसर हो रहे है. संस्कृति से जुड़ा एक दृश्य अमेरिका में देखने को मिल रहा है. अमेरिका के विद्यालयों में बच्चों को सजा के बदले ध्यान करवाया जाने लगा है. सजा की यह नयी अवधारणा अमेरिकी साइकोलोगिस्ट, बी. एफ़. स्किनर ने प्रस्तावित की. स्किनर चाहते है कि जब बच्चे कोई गलती करते है तो उनके अन्दर उस गलती के बदले नकारात्मकता से लड़ने की प्रतिकूल क्षमता को बढ़ावा मिलना चाहिए.
यदि यह संभव है तो क्यों शिक्षक छात्रों को दण्डित करते है? खैर, कुछ शिक्षक ऐसे है जो बच्चों को सफलता और उन्नति के आयाम छूटे हुए देखना चाहते है और बच्चों को नकारात्मकता से दूर रखना चाहते है.
लेकिन कुछ विद्यालय इन सब से एक कदम आगे है जो बच्चो को सकारात्मकता का पाठ पढ़ा रहे है. वेस्ट बाल्टीमोर में रॉबर्ट W.Coleman एलीमेंट्री स्कूल एक समग्र दृष्टिकोण से बच्चों को सजा के बदले ध्यान करवाने का फैसला किया है.
अब शिक्षक बच्चों को गलती करने पर प्रिंसिपल के ऑफिस या डिटेंशन रूम में भेजने की बजाए “Mindful Moment Room” (ध्यान कक्ष) में भेजते है. जहाँ वे बच्चों से ध्यान करवाते है.
यह कार्य करते हुए विद्यालय को 1 वर्ष पूरा हो चूका है और उन्हें चौकानें वाले दृश्य देखने को मिले है. ध्यान करने के बाद अब तक विद्यालय से एक भी बच्चे का निलंबन नहीं हुआ है.
इसे भी पढ़े :
- पुलवामा हमला क्या था, शहीदों के नाम और परिणाम
- गोगाजी और गुरु गोरखनाथ मंदिर, गोगामेड़ी
- भारत के शहर जिनके नाम देवता और राक्षस पर रखे गए