भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक कहानी | Interesting Story About Lal Bahadur Shastri in Hindi
दो घंटे युद्ध और चलता. तो भारत की सेना ने लाहौर तक कब्जा कर लिया होता. लेकिन तभी पाकिस्तान को लगा कि जिस रफ्तार से भारत की सेना आगे बढ़ रही हमारा तो पूरा अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा. तभी पाकिस्तान ने अमेरिका से कहा कि वो किसी तरह से युद्ध रुकवा दे. अमेरिका जानता था कि शास्त्री जी इतनी जल्दी नहीं मानने वाले. क्योंकि वो पहले भी दो -तीन बार भारत को धमका चुका था.
धमका कैसे चुका था?
अमेरिका से गेहूं आता था भारत के लिए PL 48 स्कीम के अंडर PL मतलब public law 48. जैसे भारत मे सविधान मे धराए होती है ऐसे अमेरिका मे PL होता है . तो बिलकुल लाल रंग का सड़ा हुआ गेंहू अमेरिका से भारत मे आता था और ये समझौता पंडित नेहरू ने किया था.
जिस गेंहू को अमेरिका मे जानवर भी नहीं खाते थे उसे भारत के लोगो के लिए आयात करवाया जाता था. आपके घर मे कोई बुजुर्ग हो आप उनसे पूछ सकते हैं कितना घटिया गेहूं होता था वो.
तो अमेरिका ने भारत को धमकी दी कि हम भारत को गेहूं देना बंद कर देंगे. तो शास्त्री जी ने कहा हाँ कर दो . फिर कुछ दिन बाद अमेरिका का बयान आया कि अगर भारत को हमने गेंहू देना बंद कर दिया तो भारत के लोग भूखे मर जाएँगे.
शास्त्री जी ने कहा हम बिना गेंहू के भूखे मारे या बहुत अधिक खा के मरे. तुम्हें क्या तकलीफ है .??? हमे भूखे मारना पसंद होगा बेशर्ते तुम्हारे देश का सड़ा हुआ गेंहू खाके. एक तो हम पैसे भी पूरे दे ऊपर से सड़ा हुआ गेहूं खाये. नहीं चाहीये तुम्हारा गेंहू.
फिर शास्त्री ने दिल्ली मे एक रामलीला मैदान मे लाखों लोगों से निवेदन किया कि एक तरफ पाकिस्तान से युद्ध चल रहा है. ऐसे हालातो मे देश को पैसे कि बहुत जरूरत पड़ती है . सब लोग अपने फालतू खर्चे बंद करे . ताकि वो domestic saving से देश के काम आए या आप सीधे सेना के लिए दान दे. और हर व्यक्ति सप्ताह से एक दिन सोमवार का वर्त जरूर रखे.
तो शास्त्री जी के कहने पर देश के लाखो लोगों ने सोमवार को व्रत रखना शुरू कर दिया. हुआ ये कि हमारे देश मे ही गेहु बढ्ने लगा और शास्त्री जी भी खुद सोमवार का व्रत रखा रखते थे.
शास्त्री जी ने जो लोगो से कहा पहले उसका पालन खुद किया. उनके घर मे बाई आती थी. जो साफ सफाई और कपड़े धोती थी. तो शास्त्री जी उसको हटा दिया और बोला. देशहित के लिए मैं इतना खर्चा नहीं कर सकता. मैं खुद ही घर कि सारी सफाई करूंगा क्योंकि पत्नी ललिता देवी बीमार रहा करती थी और शास्त्री अपने कपड़े भी खुद धोते थे उनके पास सिर्फ दो जोड़ी धोती कुरता ही थी.
उनके घर मे एक ट्यूटर भी आया करता था जो उनके बच्चो को अंग्रेजी पढ़ाया करता था. तो शास्त्री जी ने उसे भी हटा दिया. तो उसने शास्त्री जी ने कहा कि आपका अंग्रेजी मे फेल हो जाएगा. तब शास्त्री जी ने कहा होने दो. देश के हजारो बच्चे अंग्रेजी मे ही फेल होते है तो इसी भी होने दो. अगर अंग्रेज़ हिन्दी मे फेल हो सकते है तो भारतीय अंग्रेजी मे फेल हो सकते हैं . ये तो स्वाभाविक है क्योंकि अपनी भाषा ही नहीं है ये.
एक दिन शास्त्री जी पत्नी ने कहा कि आपकी धोती फट गई है आप नहीं धोती ले आईये. शास्त्री जी ने कहा बेहतर होगा कि सोई धागा लेकर तुम इसको सिल दो . मैं नई धोती लाने की कल्पना भी नहीं कर सकता. मैंने सब कुछ छोड़ दिया है पगार लेना भी बंद कर दिया है. और जितना हो सके कम से कम खर्चे मे घर का खर्च चलाओ.
अंत मे शास्त्री जी युद्ध के बाद समझौता करने ताशकंद गए और फिर जिंदा कभी वापिस नहीं लौट पाये. पूरे देश को बताया गया की उनकी मृत्यु हो गई जबकि उनकी ह्त्या कि गई थी.
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भारत मे शास्त्री जी जैसा सिर्फ एकमात्र प्रधानमंत्री हुआ. जिसने अपना पूरा जीवन आम आदमी की तरह व्यतीत किया और पूरी ईमानदारी से देश के लिए अपना फर्ज अदा किया. जिसने जय जवान और जय किसान का नारा दिया.
क्योंकि उनका मानना था देश के लिए अनाज पैदा करने वाला किसान और सीमा कि रक्षा करने वाला जवान बहुत दोनों देश ले लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. स्वदेशी की राह पर उन्होने देश को आगे बढ़ाया. विदेशी कंपनियो को देश मे घुसने नहीं दिया. अमेरिका का सड़ा गेंहू बंद करवाया.
ऐसा प्रधानमंत्री भारत को शायद ही कभी मिले. अंत मे जब उनकी पास बुक चेक की गई तो सिर्फ 365 रुपए 35 पैसे थे उनके बैंक अकाउंट मे शायद आज कल्पना भी नहीं कर सकते ऐसा नेता भारत मे हुआ.