सर्दी का मौसम बहुत ही खतरनाक होता है पर इसका ओर भी भयानक रूप सियाचिन के सैनिको को रोज देखना पड़ता है और उसका सामना भी करना पड़ता है. सियाचिन में हड्डिया कंपा देने वाली ठंड पडती है उसमे रात-दिन पहरा देकर पाकिस्तानियो के नापाक इरादों को ध्वस्त करने के लिए 24 घंटे तैनात होने वाले सेना के जवानों को सरकार ने अब स्वदेशी गर्म कपड़े और उपकरण मुहैया कराने के तैयारी में है. वर्तमान में जवानों के उपयोग के लिए कई वस्तुएं और उपकरण विदेशों से आयात किये जाते हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 साल पहले सियाचिन में तैनात जवानों के साथ दिवाली मनाई थी. और अब केंद्र ने सियाचिन में तैनात जवानों की सुविधाओं में बढ़ोतरी के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं. भारतीय सेना के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम मेक इन इंडिया के तहत सियाचिन के जवानों की जरुरतों से जुड़ी सारी सामग्री देश में बनाने को प्रथामिकता दी गई है. इस योजना के अनुसार अब जवानों को भारत में ही बने गर्म कपड़े उपलब्ध करवाए जायेंगे. पृथ्वी तल से 20,000 फीट की ऊंचाई पर तैनात जवान लगभग माइनस 20–40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान से रू-ब-रू होते रहते हैं.
अभी तक विदेशों से आयात किए जाती हैं वस्तुएं
जवानों के लिए उपयोगी गर्म कपड़े, बर्फ में आसानी से चलने लायक जूते और अन्य जरूरी सामान के लिए केंद्र सरकार ने इंडियन टेक्सटाइल्स एसोसिएशन के साथ बैठक में स्वदेशी सामग्री के निर्माण की पहल की है. सूत्रों ने बताया कि अभी ट्रायल के लिए कुछ गर्म कपड़े और जरूरी सामान जवानों को दिए गए थे. सियाचिन में रहने वाले जवानों के लिए कुल 55 तरह की वस्तुओं की जरूरत होती है. और प्रतिवर्ष इन वस्तुओं के 27,000 सेट जवानों के लिए आवश्यक होते हैं. इन जवानों के लिए वर्तमान में अमरीका, कनाडा, पोलैंड, सिंगापुर, आस्ट्रिया, फ्रांस, नार्वे, यूनाइटेड किंगडम, स्वीडन, इटली, आस्ट्रेलिया, और स्विट्जरलैंड से सियाचिन जवानों के लिए 20 तरह की वस्तुए मंगवाई जाती है. इन वस्तुओं में स्लीपिंग बैग, हाई एलटीच्यूड पैराशुट्स, विशेष प्रकार के मोजे और जूते, बर्फ में चलने वाली गाड़ी, टेंट और अन्य आवश्यक सामग्री हैं.
बर्फ में दबने से होती हैं मौतें
सियाचिन में बहुत अधिक बर्फ है, जिसके कारण सियाचिन में तैनात जवानों की मौत दुश्मन की गोली से तो कम बल्कि खराब मौसम के कारण ज्यादा होती है. एवलांच और खराब मौसम के कारण पिछले 12 साल में सियाचिन में 900 जवानों की मौतें हुईं हैं. भारत द्वारा किये गये सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने बार्डर और एलओसी पर लगातार सीजफायर का उल्लंघन किया है. और उसके बाद से ही सियाचिन में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है.