आप सभी को विवाह के बारे में उचित जानकारी होगी. हर कोई विवाह के किसी भी समारोह को बड़े ही धूमधाम से आयोजित करता है. हिन्दू धर्म में विवाह को सात जन्मों का बंधन माना जाता है, इसीलिए विवाह को पूर्ण रूप से धार्मिक संस्कारो के आधारों पर ही किया जाता है. किसी भी विवाह में उस विवाह का समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. चूँकि विवाह दो व्यक्तियों का ही नही अपितु दो परिवारों, दो कुटुम्बों का संबंध होता है, इसीलिए इसमें किसी भी प्रकार की कौताही नही बरती जाती है.
विवाह के लिए किसी शुभ मुहूर्त का चयन किया जाता है. अधिकारिक तौर पर विवाह के लिए शुभ मुहूर्त पंडितो के द्वारा निकाला जाता है. क्योंकि पंडितो को शास्त्रों का सम्पूर्ण ज्ञान होता है. कोई भी पंडित कुछ विशेष बिन्दुओं के आधारों पर विवाह का शुभ मुहूर्त निकालता है. यदि आपके घर में किसी का विवाह है उसके विवाह की तारीख और मुहूर्त तय करना हो तो, आप चाहें तो बिना किसी पंड़ित की सहायता लिए भी स्वयं विवाह का शुभ मुहूर्त निकाल सकते हैं.
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आइये जानते है विवाह का शुभ मुहूर्त निकालने की प्रक्रिया कौन सी है—
1. किसी भी विवाह का शुभ मुहूर्त निकालने के लिए वर-वधू की जन्म राशि का प्रयोग किया जाता है.
2. शुभ मुहूर्त के लिए नक्षत्र का भी महत्व होता है. वर या वधू का जिस चन्द्र नक्षत्र में जन्म होता है, उस नक्षत्र के चरण में आने वाले अक्षर की सहायता भी विवाह का शुभ मुहूर्त निकालने के लिए ली जाती है.
3. विवाह का शुभ मुहूर्त सदैव वर-वधू की कुण्डली में गुणों का मिलान करने के बाद ही तय किया जाता है.
4. विवाह का शुभ मुहूर्त निकालने के लिए वर तथा वधु की राशियों से विवाह के शुभ मुहूर्त के लिए एक समान तिथि का चयन ही विवाह के शुभ मुहूर्त के लिए किया जाता है.
5. विवाह के शुभ मुहूर्त के लिए वर और वधु की कुण्डलियों का मिलान करने के बाद वर-वधु की राशियों में जो-जो तिथि एक समान होती हैं, उन्हीं तिथियों में से वर और वधु के विवाह का मुहूर्त शुभ व ग्राह्य माना जाता है.
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