बसंत पंचमी का महत्व, पूजा विधि, मुहूर्त और कथा कहानी |
Basant Panchami 2024 Mahatva, Shubh Muhurat, Date And Time, Story in Hindi
माँ सरस्वती की आराधना का त्यौहार कहा जाने वाला बसंत पंचमी का त्यौहार, पूरे भारत वर्ष में यह बसंत के मौसम की शुरुआत और देवी सरस्वती के जन्म के दिन के रूप में मनाया जाता है. माँ सरस्वती जो ज्ञान, शिक्षा और बुद्धि की देवी मानी जाती हैं, इस दिन इनकी पूजा करके आशीर्वाद माँगा जाता है.
यह दिन होली के रंगीन त्यौहार के आगमन की भी घोषणा करता है. इस दिन माँ सरस्वती के साथ-साथ सभी ग्रंथो, पुस्तकों और संगीत यंत्रों की भी पूजा की जाती हैं. बसंत पंचमी का त्यौहार केवल भारत में हिंदुओं द्वारा ही नहीं बल्कि नेपाल और बाली में भी मनाया जाता है.
बसंत पंचमी मुहूर्त और तिथि (Basant Panchami 2024 Date And Time)
हिन्दू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती हैं. इस दिन मौसम के राजा बसंत का आगमन होता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार बसंत पंचमी ज्यादातर फरवरी माह में आती हैं. बसंत पंचमी का यह त्यौहार प्रकृति के बदलाव का प्रतीक हैं. प्रकृति के सभी प्राकृतिक बदलाव इस बसंत मौसम के आने के बाद शुरू होते हैं.
बसंत पंचमी की तारीख (Basant Panchami 2024 Date) | 13 फरवरी, 2024 |
वार (Day) | बुधवार |
बसंत पंचमी तिथि | माघ माह, शुक्ल पक्ष पंचमी, विक्रम संवत् 2075 |
बसंत पंचमी पूजा मुहूर्त ( Basant Panchami 2024 Time) | सुबह 07:00:50 बजे से दोपहर 12:35:33 तक |
कुल समय | 5घंटे 34 मिनिट |
बसंत पंचमी मुहूर्त पर शादी कितनी शुभ | Basant Panchami 2024 for Marriage
जैसा की आप जानते है गत वर्ष हमारे समाज पर बहुत बड़ी विपदा आई थी और उसी के चलते कई लोगो ने अपने विवाह को टालकर आगे बड़ा दिया था. आपको चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है, शादी करनेवालो के लिए ये खुश खबरी है कि 13 फरवरी, 2024, बसंत पंचमी किसी भी शुभ काम के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है, इसलिए जो घोड़ी चड़ने के लिए उत्सुक है या जो डोली में विदा होने के लिए तैयार है वो लोग इस दिन शादी कर सकेंगे.
बसंत पंचमी पौराणिक एवम एतिहासिक कथा (Basant Panchami Story)
बसंत पंचमी के दिन के लिए बहुत सी कथाएँ प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार ब्रह्मा ने जब ब्रह्मांड की रचना की थी तब सम्पूर्ण धरती पर चारों तरफ मौन था. ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल की एक बूँद झिड़क कर माँ सरस्वती की रचना की. इस तरह सरस्वती जी ब्रह्माजी की पुत्री कहलायी.
माँ सरस्वती के जन्म के साथ ही उनकी भुजाओं में वीणा, पुस्तक और आभूषण थे. जब माता सरस्वती से वीणा वादन का आग्रह किया गया. जैसे ही उन्होंने वीणा वादन शुरू किया. वीणा से उत्पन्न स्वर से पृथ्वी पर कम्पन्न हुआ और पृथ्वी का सूनापन समाप्त हुआ. इन स्वरों की वजह से ही मनुष्यों को वाणी की प्राप्ति हुई. पृथ्वी के चेतना के लिए आवश्यक तत्वों की उत्पत्ति माँ सरस्वती ने ही की थी.
एक और प्रचलित कथा के अनुसार जब प्रभु श्रीराम ने सीता माता की खोज में जब वह दंडकारण्य में पहुंचे थे. तब उन्होंने बसंत पंचमी के दिन ही शबरी के बेर खाकर समाज में एकात्मता का सन्देश दिया.
बसंत ऋतू पंचमी महत्व और पूजन विधि ( Basant Panchami 2024 Significance )
- बसंत पंचमी को उत्तर और दक्षिण भारत के हिंदुओं द्वारा अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है जबकि यह पंजाब में एक पतंग उत्सव है, यह बिहार में एक फसल उत्सव है. जबकि यह उत्तर में शैक्षिक संस्थानों में सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है.
- यह ज्यादातर दक्षिण भारत में एक प्रचलित त्यौहार है. सार्वभौमिक रूप से, इस त्यौहार पर पीले रंग के वस्त्र पहनने का विशेष महत्व है क्योंकि यह बसंत के आगमन की शुरुआत करता है. पिला रंग जीवन और प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा को दर्शाता है.
- यह सरसों के फूलों का रंग भी है जो इस मौसम में खिलते हैं. न केवल हिंदू बल्कि जैन, सिख और बौद्ध भी देवी सरस्वती की पूजा करते हैं क्योंकि वह सभी लिखित और प्रदर्शन कलाओं की दात्री हैं.
- सभी शैक्षणिक संस्थानों में, बसंत पंचमी को देवी सरस्वती की स्तुति के साथ प्रार्थना के द्वारा मनाया जाता है. जिनकी मूर्ति को पीले या सफेद फूलों और मालाओं से सजाया जाता है.
- संगीत और कला के अध्ययन सामग्री और उपकरणों को देवता के सामने रखा जाता है.
- इस दिन कोई अध्ययन नहीं किया जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि देवी अध्ययन सामग्री को आशीर्वाद दे रही हैं.
- शैक्षिक संस्थान विशेष कार्यों और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करते हैं जो देवी सरस्वती को समर्पित होते हैं. पीले रंग की मिठाइयाँ देवी को अर्पित की जाती हैं और बच्चों में वितरित की जाती हैं. शिक्षक पीले रंग के कपड़े पहनते हैं.
- जिन बच्चों को सीखाने की शुरुआत की जाती है, वे इस दिन पाठ्यक्रम के पहले अक्षर लिखते हैं. दक्षिण भारत में यह रेत पर या एक थाली पर चावल से लिखा जाता है.
बसंत पंचमी पर शादी व अन्य शुभ करने का महत्त्व
- शादी के लिए, घर में गृहप्रवेश और पारिवारिक कार्यक्रमों के लिए यह दिन शुभ माना जाता है.
- इस शुभ दिन पर, भक्त सुबह जल्दी उठते हैं और स्नान करने के बाद पीले कपड़े पहनकर सूर्य देव की पूजा करते हैं. बसंत के मौसम में देवी और देवताओं का स्वागत करने के लिए, महिलाएं अपने घरों के द्वार पर सुंदर फूलों की डिजाइन बनाती हैं.
- देवताओं को पीले या सफेद कपड़े पहनाकर उनका श्रृंगार किया जाता हैं और उनके सामने एक ‘पूजा कलश’ स्थापित किया जाता है. देवी की पूजा की जाती है और धार्मिक गीत गाए जाते हैं. भक्त देवता के चरणों में रंग और पीले रंग की मिठाई चढ़ाते हैं. बाद में, यह लोगों के बीच वितरित किया जाता है.
- बच्चे रंगीन पतंग उड़ाते हैं और आसमान रंग की फुहारों के साथ जीवंत हो उठता है. महिलाओं ने पेड़ों पर बंधे रंग-बिरंगे झूलों पर झूलते हुए पारंपरिक लोक गीत गाए जाते हैं.
- राजस्थान में इस दिन लोग पीले पीले चमेली के फूलों की माला पहनते हैं.
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सरस्वती वंदना
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्दैवै:सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेष जाड्यापहा॥
अर्थ – कुन्द, चन्द्र, तुषार के हार के समान गौरवपूर्ण शुभ्र वस्त्र धारण करने वाली, वीणा के सुन्दर दण्ड से सुशोभित हाथों वाली, श्वेत कमल पर विराजित, ब्रहा, विष्णु, महेश आदि सभी देवों के द्वारा सर्वदा स्तुत्य, समस्त अज्ञान और जड़ता की विनाशनी देवी सरस्वती मेरी रक्षा करे.
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