भाई दूज 2018 मुहूर्त समय, पूजा विधि, पौराणिक कथाएं और शायरियां | Bhai Dooj Muhurat Samay, Pooja Vidhi, Stories and Shayari in Hindi
त्यौहारों की भूमि भारत में दीपावली के पांचवें दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. यह भाई बहन का त्यौहार है. भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है. यह त्यौहार भाई बहन के रिश्ते को और अधिक दृढ़ता प्रदान करता है. या त्यौहार भाई बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है. इस दिन भगवान यम और चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है.
भाई दूज 2018 में कब हैं? (Bhai Dooj Date 2018 Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार भाई दूज कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है. वर्ष 2018 में भाई दूज का त्यौहार 9 नवंबर शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा.
मुहूर्त समय
सुबह 06:39 से 10:43 तक
दोपहर 12:04 से 01:26 तक
शाम 04:09 से 05:30 तक
रात 08:47 से 10:26 तक
भाई दूज कैसे मानते हैं. (Bhai Dooj Puja Vidhi)
भाई दूज का त्यौहार भाई और बहन के बीच प्यार बढ़ाने का त्यौहार है. इस दिन बहने अपने भाइयों को अपने घरों पर आमंत्रित करती है. अक्षत का तिलक लगाकर उसकी आरती उतारती है. इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए विशेष पकवान बनाती है और अपने भाई की लंबी आयु की प्रार्थना करती है. प्राचीन मान्यता के अनुसार इस दिन यमुना नदी में स्नान करने का भी अपना अलग महत्व है. इस दिन भगवान यम के कार्यों का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त की पूजा की जाती है. सभी व्यापारी लोग इस दिन अपने बही खाते की पूजा करते हैं.
भाई दूज की पौराणिक कथाएं (Bhai Dooj Stories in Hindi)
भगवान सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया को दो संताने हुई. यमराज और यमुना. यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत अधिक प्रेम करते थे. परंतु अपने कार्यों की व्यस्तता के कारण वे उनसे मिल नहीं पाते थे. उनकी बहन यमुना उन्हें बहुत बार उनसे मिलने के लिए निमंत्रण देती थी. एक दिन उनकी मुलाकात अपनी बहन से नदी के तट पर हुई. यमुना यमराज से मिलकर बहुत खुश हुई. यमुना ने अपने भाई यमराज का आदर सत्कार के साथ स्वागत किया. इसलिए ऐसी मान्यता है कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के हाथों से बना भोजन ग्रहण करता है उसकी कभी भी आकस्मिक मृत्यु नहीं होती है. और उसे सुख और वैभव की प्राप्ति होती है.
एक और कथा के अनुसार एक बूढ़ी औरत के साथ बेटे और एक बेटी थी. जब भी वह बूढ़ी औरत अपने बेटे की शादी करवाती. शादी के समय सातवें फेरा पूर्ण होते ही उसके बेटे को सांप द्वारा डस लिया जाता और उसके बेटे की मृत्यु हो जाती. इस तरह उस औरत के छः बेटे मर गए. उसके बाद उसने अपने अंतिम पुत्र की शादी नहीं की. अपने भाई को इस तरह अकेला देखकर बहन को भी बहुत दुख होता था. इसलिए वह इस समस्या का निदान पाने के लिए एक पंडित जी के पास गई. और उसने अपनी पूरी समस्या पंडित जी को बताइए. पंडित जी ने उससे कहा कि तुम्हारे सभी भाइयों पर सर्पराज की दृष्टि हैं. यदि तुम अपने भाई की सभी समस्याओं के समक्ष खड़ी हो जाओ तो इस समस्या से निदान पाया जा सकता है.
पंडित जी के कहे अनुसार वह अपने भाई को कुछ भी कार्य करने से पहले खुद वह कार्य करते. जब शादी का समय निकट आया जैसे ही भाई को घोड़ी पर चढ़ाया बहन ने कहा कि पहले वह घड़ी पर चढ़ेगी फिर उसके बाद उसका भाई. इस प्रकार हर बार साप उसके भाई को मार नहीं पा रहा था. फिर जैसे ही बारात का स्वागत हुआ तो बहन ने कहा कि पहले मेरा स्वागत किया जाएगा उसके बाद ही मेरे भाई का स्वागत किया जाएगा. स्वागत के समय फूलों की माला उसके भाई को पहनाई जाने वाली थी उसमें भी सर्प था. इस प्रकार वह अपने भाई को फिर से बचा लेती है. अब उसके भाई को सांपों के राजा खुद मारने के लिए आए. तब उसकी बहन ने उन्हें पकड़ कर टोकरी में रख दिया. इस तरह उसने अपने भाई के प्राणों की रक्षा की.
भाई दूज की बधाई शायरी एवं कविता (Bhai Dooj Shayari)
भाई दूज की पूजा कर,
करती हूँ उसका इंतज़ार.
कब आएगा मुझसे मिलने ,
कब सजेगा मेरा द्वार.
सजा कर थाल बैठी हूँ भाई,
मिष्ठान और मेवे लाई हूँ भाई.
मत खेल मुझसे आँख मिचौली,
प्यार से भर दे मेरी झोली.
कब आएगा मेरे द्वार ,
कब खत्म होगा ये इन्तजार
न सोना न चांदी
न कोई हाथी की पालकी
बस मेरे से मिलने आओ भाई
प्रेम से बने पकवान खाओ भाई
कैसी भी हो एक बहन होनी चाहिये.
बड़ी हो तो माँ- बाप से बचाने वाली.
छोटी हो तो हमारे पीठ पिछे छुपने वाली.
बड़ी हो तो चुपचाप हमारे पाँकेट मे पैसे रखने वाली,
छोटी हो तो चुपचाप पैसे निकाल लेने वाली.
छोटी हो या बड़ी,
छोटी- छोटी बातों पे लड़ने वाली,
एक बहन होनी चाहिये.
बड़ी हो तो, गलती पे हमारे कान खींचने वाली,
छोटी हो तो अपनी गलती पर,
साँरी भईया कहने वाली…
खुद से ज्यादा हमे प्यार करने वाली एक बहन होनी चाहिये.
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