ॐ यन्तु नद्यो वर्षन्तु पर्जन्या : भोजन मंत्र, खाना खाने से पहले का मंत्र
Bhojan Mantra with Meaning In Hindi and Sanskrit
भोजन मंत्र 1
ओम् यन्तु नदयोः वर्षन्तु पर्जंया सुपिप्पला ओषधयोः भवन्तुः ।
Bhojan Mantra
अन्नवताम् ओदनवताम् मामिक्षवताम् एशाम् राजा भूयासन् ।।
ओदन् मुत्ब्रुवते परमेष्ठीवा एषः यदोदनः ।
परमामेवैनम् श्रियंगमयति ।।1।।
अर्थ: नदियाँ बहें और बादल बरसें. औषधीय पौधे फलें-फूलें और सभी पेड़ फल दें. मैं चावल और दुग्ध उत्पादों जैसे अन्न पैदा करने वाले लोगों का हितैषी बनूं. थाली में परोसा गया पका हुआ भोजन ईश्वर की ओर से एक उपहार है जिसके सेवन से उच्चतम स्तर की समृद्धि और कल्याण होगा.
संदेश: यह मंत्र हमें स्वच्छ पर्यावरण के महत्व, प्रकृति की भूमिका और भोजन का उत्पादन करने वाले लोगों (किसानों) की याद दिलाता है. यह खाद्य उत्पादन की प्रक्रिया को ईश्वर द्वारा सृष्टि के कार्य से जोड़ता है; यह परमेश्वर है जिसने पानी, पौधे और किसान पैदा किए जो हमारे लिए भोजन पैदा करते हैं. चावल और दूध का उल्लेख करने से यह पुष्टि होती है कि हम जो खाना खाते हैं वह स्वस्थ होना चाहिए.
भोजन मंत्र 2
मा भ्राता भ्रातरं द्विक्षन्, मा स्वसारमुत स्वसा ।
Bhojan Mantra
सम्यञ्च: सव्रता भूत्वा वाचं वदत भद्रया ।।2।।
अर्थ: भाई को भाई से नहीं लड़ना चाहिए, बहनों को दयालु होना चाहिए. सभी को एक-दूसरे से धीरे से बोलना चाहिए और सत्य, सेवा और सहयोग का भाव उत्पन्न करना चाहिए.
संदेश: यह आपसी प्रेम और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने की प्रार्थना है. यह परिवार कल्याण के लिए प्रार्थना है. हिन्दू जीवन पद्धति पारिवारिक जीवन पर आधारित है.
ब्रहमार्पणं ब्रहमहविर्ब्रहमाग्नौ ब्रहमणा हुतम् ।
ब्रहमैव तेन गन्तव्यं ब्रहमकर्मसमाधिना ।।1।।
अर्थ: जिन वस्तुओं का हम अपना पेट भरने के लिए उपयोग करते हैं, वे ब्रह्म हैं. अन्न ही ब्रह्म है. भूख की अग्नि जो हम अनुभव करते हैं वह ब्रह्म है. हम ब्रह्मा हैं और भोजन को खाने और पचाने की प्रक्रिया ब्रह्मा की क्रिया है. अंत में, हमें जो परिणाम मिलता है वह ब्रह्म है.
संदेश: यह मंत्र बताता है कि इस भौतिक संसार के पीछे की अंतिम वास्तविकता ब्रह्म, सर्वोच्च आत्मा है. हमारा शरीर, भोजन, खाने से जीवित रहने की प्रक्रिया, सभी ब्रह्मा की रचनाएँ हैं. वैज्ञानिक कुछ प्राकृतिक नियमों की व्याख्या करके बता सकते हैं कि हमारा शरीर कैसे कार्य करता है और जीवित रहता है, लेकिन इन कानूनों को किसने बनाया? इन सभी नियमों के रचयिता को ब्रह्मा कहा जाता है जो हर जगह है. सब कुछ ब्रह्मा से आता है, सब कुछ ब्रह्म में रहता है, और सब कुछ ब्रह्म में लौट आता है.
भोजन मंत्र 3
ॐ सह नाववतु ।
Bhojan Mantra
सह नौ भुनक्तु ।
सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्विनावधीतमस्तु ।
मा विद्विषावहै ॥ 2॥
अर्थ: आइए हम एक दूसरे की रक्षा करें. चलो साथ में खाते हैं. आइए मिलकर काम करें. आइए हम उज्ज्वल और सफल होने के लिए एक साथ अध्ययन करें. आइए हम एक दूसरे से नफरत न करें.
संदेश: यह शांति मंत्र एक साथ खाने और काम करने से एकजुट होने की भावना विकसित करने का संदेश देता है. यह दर्शाता है कि प्रत्येक मनुष्य को दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है. इसलिए हमें स्वार्थी नहीं होना चाहिए, और साझा करने और अच्छे के लिए मिलकर काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए.
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:: ॥
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