हनुमान द्वारा सूर्य को निगल लेने की बाल लीला के पीछे का रहस्य | Facts about Hanuman Eating Sun Story & Serectes related to this story in Hindi
आप सभी ने हनुमान जी की सूरज निगल जाने वाली कथा (Hanuman Eating Sun Story) के बारे में जरुर सुना होगा. जिसमे हनुमान जी सूर्य को फल समझकर निगलने की कोशिश करते हैं. बहुत से लोग इसे कहानी मात्र ही समझते हैं. लेकिन यह सिर्फ काल्पनिक कहानी नहीं हैं यह एक प्रमाणिक घटना हैं. यदि हम इस कहानी में छीपे वैज्ञानिक पहलुओं को देखे तो कुछ आश्चर्य चकित करने वाले तथ्य सामने आते हैं.
हनुमान जी के पास अष्ट महासिद्धि और नौ निधि हैं. ये अष्ट महासिद्धि अणिमा, लघिमा, महिमा, ईशित्व, प्राक्रम्य, गरिमा और वहित्व हैं. इन्ही सिद्धि के सहारे उनका सूर्य के पास जाना और उसे निगलना संभव हैं.
अपनी लघिमा सिद्धि का उपयोग करके हनुमान जी अपना वजन सूक्ष्म मतलब न के बराबर कर सकते थे. जैसा हमने विज्ञान में पड़ा है कि जिस पार्टीकल का वजन ना के बराबर होता है वह पार्टीकल ही प्रकाश की गति से ट्रैवल कर सकता है. क्योंकि उस स्थिति में उस पार्टीकल पर गुरुत्वाकर्षण बल और सेंटर ऑफ ग्रेविटी का असर नहीं होता हैं. इस तरह हनुमान जी प्रकाश की गति से भी तेज उड़कर सूर्य को निगलने के लिए पहुचे थे.
नासा के अनुसार सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी 149 मिलियन किलोमीटर हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि हनुमान चालीसा के 18 वीं चौपाई में धरती और सूरज की बीच की दूरी का वर्णन किया गया है. वह चौपाई जुग सहस्र योजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू हैं. यह दो पंक्तियों हनुमान जी के सूरज को निगलने वाली कथा को बताती हैं. हिन्दू वैदिक साहित्य के हिसाब से 1 जुग यानि 12000, सहस्र यानि 1000, 1 योजन यानि 8 मील हैं. अगर इन सभी आकड़ो का गुणा किया जाएँ तो
1 मील = 1.6 कि.मी.
96,000,000*1.6 = 15,36,00,000 कि.मी.
जो नासा के वास्तविक मान के लगभग बराबर ही हैं. परन्तु इतने विशालकाय सूर्य को निगलना कैसे संभव हैं. हनुमान जी के अष्ट सिद्धि में से एक महिमा हैं. इस सिद्धि से वह अपने शरीर को जितना चाहे उतना बड़ा कर सकते थे. इसलिए हनुमान जी के सामने पूरी पृथ्वी ही एक फल के सामान हैं. विज्ञान के अनुसार कोई भी ऐसी वस्तु जिसका वजन ज्यादा और उसमे बहुत ऊर्जा हो वह ब्लैक होल बना सकती हैं और ब्लैक होल सूर्य को निगलने की क्षमता रखता हैं. सूर्य का व्यास 1.39 मिलियन कि.मी हैं जो कि पृथ्वी से कई गुना बड़ा हैं. इसे निगलने के लिए हनुमान जी को विशालकाय रूप लेना पड़ा और वे भगवान् शिव के ही अंश हैं. जो कि असीमित ऊर्जा के प्रतीक हैं. जिसका मतलब उस समय ब्लैक होल के लिए आवश्यक सारी चीजे मौजूद थी. जिस वजह से उन्होंने ब्लैक होल का निर्माण किया होगा और सूर्य को निगलने की कोशिश की होगी. इस ब्रह्माण में कुछ भी असंभव नहीं हैं.
आज से तीन सौ साल पहले मनुष्य किसी से यह कहता कि भविष्य में इंसान चाँद पर पैर रखेगा. तो उसे पागल घोषित कर दिया होता. लेकिन आज सिर्फ इंसान ने चाँद पर ही कदम नहीं रखा. बल्कि मंगल ग्रह पर घर बनाने की तैयारी में जुटा हैं. अगर इन्सान असंभव को संभव बना सकता हैं. तो हनुमान जी तो भगवान थे.
हमें हमारे धर्म ग्रंथो को काल्पनिक मानकर उन्हें नजर अंदाज नहीं करना चाहिए. हमें अपनी बुद्धि और विवेक का उपयोग करना चाहिए. इन पौराणिक कहानियों को विज्ञान के आधार पर परखना जरुरी हैं वैसे तो हमारी पौराणिक कहानियों को सही साबित करने की जरुरत नहीं हैं. परन्तु जो लोग इसे कल्पना मात्र मानते हैं. उन्हें इस बातों पर विचार जरूर करना चाहिए.
इसे भी पढ़े :
मित्रों आपको यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट कर अवश्य बताएं.
Bhut bdiya sir, keep it up mjhe bhut acha lgta hai aapke blogs pdna
Chand par Jane kam se kam kuch to scientific hai lekin ye nahi
Bharat Mera Mahan,
Science bhi fail hai humari Vedo k aage ,
हनुमान जी द्वारा सूर्य निकलने की घटना का वर्णन किस पुराण या शास्त्र में है कृपा करके श्रीमान जी बताइए, क्योंकि सूर्य देव भी एक देवता है सूर्य देव द्वारा हनुमान जी शिक्षा लेने की बात कही गई है किन्तु सूर्य निगलने क्या वर्णन कहां पर मिलता है (हनुमान चालीसा और हनुमान अष्टक छोड़कर)कृपया कर बताएं🙏🙏
रामायण में
जहां तक मुझे पता है कि हनुमान जी को यह सारी शक्तियां वज्र के प्रहार के उपरांत देवताओं द्वारा मिली थी। और उन्होंने यह फल बचपन में खाया था।