गायत्री मंत्र को पढने का महत्व व इस मंत्र का रहस्य और इतिहास | Importance of Gayatri Mantra and Secrets and History in Hindi
हिंदू धर्म के शास्त्रों और पुराणों में गायत्री मंत्र को बल, बुद्धि और तेज को बढ़ाने का मंत्र बताया गया है. गायत्री मंत्र ऋग्वेद का हजारों वर्ष पुराना एक वैदिक मंत्र है. जिसकी रचना त्रेता युग में ऋषि विश्वामित्र ने की थी. इस मंत्र में ईश्वर का ध्यान करते हुए यह प्रार्थना की गई है कि ईश्वर हमें योग्य मार्ग दिखाएं और सच्चाई की ओर ले जाए. वेदों पर रिसर्च करने वाले भारत और दुनिया के कई सारे विद्वानों ने गायत्री मंत्र को ऋग्वेद के सबसे प्रभावशाली मंत्र ओं में से एक माना है. ऐसा कहा जाता है कि विद्यार्थियों को गायत्री मंत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए. इस मंत्र के उच्चारण से बुद्धि का मानसिक विकास होता है. परंतु इस बात से बहुत से लोग सहमत नहीं हैं.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (ऐम्स) वर्ष 1998 से गायत्री मंत्र पर शोध कर रहा है. एम्स के शोध पत्रों में यह बताया गया कि सबसे पहले 25 से 30 वर्ष की उम्र के लोगों पर 9 महीने तक शोध किया गया. उसके बाद 5 वर्षों तक प्राप्त जानकारियों का अध्ययन किया गया. इस रिसर्च के लिए लोगों को दो हिस्सों में बांटा गया था. पहले हिस्से के लोगों ने 3 महीने तक हर रोज 108 बार गायत्री मंत्र का उच्चारण किया था. और दूसरे हिस्से ने गायत्री मंत्र का पाठ नहीं किया था.
जिन लोगों ने गायत्री मंत्र का उच्चारण किया था. उन लोगों के दिमाग में दूसरे ही हफ्ते में गाबा नामक एक हार्मोन का प्रभाव बढ़ने लगा था. गाबा एक ऐसा हार्मोन है जिसकी कमी से लोगों को डिप्रेशन और नींद ना आने की समस्या उत्पन्न होती है. इन्हीं लोगों पर 5 हफ्ते तक एम आर आई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिन) भी किया गया. जिसमें यह पाया गया कि गायत्री मंत्र पढ़ने वाले लोगों का दिमाग बहुत शांत और जागृत अवस्था में पाया गया.
हमारे मस्तिष्क का एक हिस्सा होता है जिसे प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स कहते हैं. जिसका काम योजना बनाना, निर्णय लेना और किसी भी समस्या का समाधान निकालना होता है. एम्स में किए गए शोध में यह भी पता चला कि गायत्री मंत्र के नियमित उच्चारण से प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में रक्त की मात्रा बढ़ने लगती है. जिसके कारण हमारे मस्तिष्क में बहुत से धनात्मक बदलाव आते हैं. जिसे विज्ञान की भाषा में न्यूरोप्लास्टिसिटी कहा जाता है.
गायत्री मंत्र की ताकत सिर्फ भारतीय वैज्ञानिकों को ही समझ में आ रही है ऐसा नहीं हैं बल्कि यह मंत्र अपनी प्रभाव का अहसास पूरी दुनिया को करा चुका है. विदेशों में बहुत से लोग ध्यान करने के लिए इस मंत्र का उच्चारण करते हैं.
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