खिलाफत आन्दोलन का इतिहास और अनसुनी सच्चाई की कहानी | Khilafat Movement History and Untold Story about it in Hindi
भारतीय इतिहास में खिलाफत आन्दोलन का वर्णन तो है परन्तु ये कहीं पर भी नही बताया गया है की इस आन्दोलन का भारत की स्वाधीनता के लिए क्या योगदान था. परन्तु खिलाफत आन्दोलन एक राष्ट्र विरोधी ही नही वरन एक हिन्दू विरोधी आन्दोलन था. खिलाफत आन्दोलन भारत के लिए नही अपितु सुदूर देश तुर्की के खलीफा को उनकी गद्दी से हटा देने के कारण उनके समर्थन में भारतीय मुसलमानों ने एक आन्दोलन किया था जिसे खिलाफत आन्दोलन कहा गया. प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की अंग्रेजो से हार गया था उसके बाद अंगेजो ने तुर्की के राजा को गद्दी से हटा दिया था. असहयोग आन्दोलन कांग्रेस द्वारा चलाया गया पहला आन्दोलन था जो स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए चलाया गया था. किन्तु इस आन्दोलन का सच तो यह है की यह आन्दोलन खिलाफत आन्दोलन की सफलता के लिए चलाया गया था इसका लक्ष्य स्वाधीनता प्राप्ति के लिए नही था. खिलाफत और असहयोग आन्दोलन का एक मात्र लक्ष्य तुर्की के सुल्तान को गद्दी वापस दिलाना. इनका मुख्य उद्देश्य यही था.
यह बात भारत की जनता को हतप्रभ करने वाली और हास्यप्रद बात है की तुर्की के सुल्तान को तुर्की की जनता ने स्वयं ही कमाल अता तुर्क के नेतृत्व में देश निकाला दे दिया था.
भारत में खिलाफत आन्दोलन का नेतृत्व मोहम्मद अली जोहर तथा शोकत अली जोहर दो भाई कर रहे थे. महात्मा गांधी ने खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया था. गाँधी ने खिलाफत के सहयोग के लिए ही असहयोग आन्दोलन की घोषणा कर डाली. जब कांग्रेस में खिलाफत आन्दोलन का विरोध किया जाने लगा तो गाँधी ने कहा था कि, “जो खिलाफत का विरोधी है वह कांग्रेस का भी शत्रु है”
अंतत: खिलाफत आन्दोलन असफल हुआ और इसकी असफलता के बाद मुसलमानो ने इसका गुस्सा हिन्दूओ पर निकाला. जहाँ मुसलमान अधिक संख्या में थे उन्होंने हिन्दुओं पर हमले किये उनको मारा काटा जाने लगा. औरतो से बलात्कार किये गये. लाखो की संख्या में हिन्दुओ का धर्म परिवर्तन तलवार के दम पर किया गया.
इस आन्दोलन की असफलता के बाद सबसे ज्यादा नरसंहार केरल के मालाबार में हुआ था जो इतिहास में मोपला कांड के नाम से प्रसिद्ध है. मोपला कांड में 20 हजार हिन्दुओ को काट दिया गया, 20 हजार को धर्मान्तरित किया गया और 10 हजार से ज्यादा हिन्दू औरतो के साथ बलात्कार की घटनाएँ हुई. इन सबके पीछे एक ही कारण था वो है गांधी का असहयोग आन्दोलन.
इस प्रकार देखा जाये तो हम कह सकते है की 1920 तक बाल गंगाधर तिलक जी की कांग्रेस का उद्देश्य पूर्ण स्वराज्य को प्राप्त करना था वह गांधीजी के कारण खलिफा के सहयोग के लिए मुस्लिम आन्दोलन में परिवर्तित हो गया था. गाँधी ने ऐसे खलिफा का सहयोग करने के लिए आन्दोलन किया था जिसे उसी के देशवासियों ने देश निकाला दे दिया था.
तुर्की में मुस्लिम राज्य की स्थापना के लिए आन्दोलन करना और भारत के लिए स्वराज्य की मांग को ठुकराना. गाँधी का यह फैसला कितना राष्ट्रवादी या राष्ट्रविरोधी था. भारतीय इतिहास के इस सच को सबके सामने लाना अत्यंत अवश्यक है.
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