जानिए मकान की नींव में सर्प और कलश क्यों गाड़ा जाता है?

मकान या भवन का निर्माण करते समय हम उसकी शुरुआत विधि विधान से करते है. मकान बनाने के पहले हम उसका मुहूर्त निकलवा कर पूजा करने के बाद ही निर्माण कार्य प्रारम्भ करते है. पूजा पाठ में हम विशेष रूप से चांदी अथवा सोने से बना सर्प और कलश रखते है जिन्हें मकान की नींव में रखा जाता है. पुराणों के अनुसार माना जाता है कि पृथ्वी के नीचे पाताल लोक स्थित है और इसके स्वामी शेषनाग को माना जाता हैं. पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है की हमारी पृथ्वी शेषनाग के फण पर टिकी है.

makan ki niv mai sarp aur kalash

श्लोक – शेषं चाकल्पयद्देवमनन्तं विश्वरूपिणम्।
यो धारयति भूतानि धरां चेमां सपर्वताम्।।

इन परमदेव ने विश्वरूप अनंत नामक देवस्वरूप शेषनाग को पैदा किया. शेषनाग पर्वत-पहाड़ों नदियों-तालाबो सहित सारी पृथ्वी को अपने उपर धारण किए हुए है. शेषनाग के हजारो फण है इन्हें सभी नागों के राजा भी कहा जाता हैं. भगवान विष्णु की शय्या बनकर उन्हें सुख और आनंद की अनुभूति पहुंचाने वाले, उनके अनन्य भक्त हैं. शेषनाग ने भी भगवान विष्णु के साथ-साथ अवतार लेकर उनकी लीलाओ में भी साथ दिया हैं. भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद्भागवत के 10वें अध्याय के 29वें श्लोक में कहा है कि- अनन्तश्चास्मि नागानां यानी मैं नागों में शेषनाग हूं. और उन्होंने शेषनाग का बखान किया है. हिन्दू धर्म में सांप को भी देवता माना जाता है.

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मकान की नींव का पूजन इसी मनोवैज्ञानिक विश्वास के आधार किया जाता है कि जैसे शेषनाग अपने फण पर पूरी पृथ्वी को धारण किए हुए हैं, ठीक उसी तरह मेरे इस घर की नींव भी प्रतिष्ठित किए हुए चांदी के नाग के फण पर पूरी मजबूती के साथ स्थापित रहे. यही कामना भगवान शेषनाग से की जाती है. शेषनाग का स्थान क्षीरसागर में है वे वाही पर निवास करते हैं. कलश स्थापित करते समय पूजन के कलश में दूध, दही, घी को डालकर मंत्रों से आह्वान करके भगवान शेषनाग को आमंत्रित किया जाता है, ताकि वे घर की रक्षा करें. कलश को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है. और इसी कारण विष्णुरूपी कलश में लक्ष्मी स्वरूप सिक्का डालकर फूल और दूध पूजा में चढ़ाया जाता है, जो नागों को सबसे ज्यादा प्रिय होता है. नाग भगवान शिव के आभूषण के रिप में भी होते है. लक्ष्मणजी और बलरामजी को भी शेषावतार माना जाता हैं. इसी विश्वास से यह प्रथा जारी है. और भविष्य में भी जरी रहेगी क्योकि ऐसा करने से स्वयं भगवान शेषनाग हमारे घर को अपने फण पर धारण करते है और उसकी सुरक्षा करते है.