माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि में क्यों जागरण होते हैं, और क्या इसका महत्व
नवरात्रि प्रारम्भ होते ही देवी माँ के नौ स्वरूपों की हर प्रकार से पूजा अर्चना की जाती है. हर एक भक्त को नवरात्रि के त्यौहार आने का इंतजार रहता है. नवरात्रि का पर्व हो और माता रानी का जागरण न हो ऐसा हो ही नहीं सकता. माँ दुर्गा को प्रसन्न करने और उनकी भक्ति में डूबने के लिए लोग माता रानी का जागरण या जगराता करते हैं. लोग माँ के भक्तिमय गीतों के जरिये अपने ऊपर कृपा दृष्टि बनाये रखने की प्रार्थना करते हैं. इसमें माता की चौकी लगाई जाती है, जिसमें माता रानी का दरबार फूलों द्वारा सजाया जाता है एवं मन्त्र और भजनों द्वारा जागरण किया जाता है. लोग रात में जाग कर माँ के भजन गाते हैं व नृत्य करते है. माँ की आराधना करने से लोगों की आस्था दिखाई देती है जो ह्रदय से जुड़ी हुई है.
जब हम दरबार में या जागरण में जाते हैं तो एक अलग ही प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है, एक अलग ही प्रकार का मोहक दृश्य देखने को मिलता है. जागरण में कन्या को देवी स्वरुप बनाकर झांकी लगायी जाती है, किसी को शेर और किस को असुर या दानव बनाया जाता है और नाटक भी प्रदर्शित किया जाता है. नवरात्र में भजन कीर्तन,जागरण करना शुभ मानते हैं. माँ भक्तों से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद देती हैं एवं नकारात्मक उर्जा से छुटकारा भी दिलाती हैं.
कलश स्थापना की विशेषता और जागरण का महत्त्व
दरबार में कलश की स्थापना होती है. इसे देवी-देवता की शक्ति, तीर्थ स्थान आदि का प्रतीक माना जाता है. कलश स्थापना से सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं की पूर्ति होती है. कलश हमेशा तांबे, मिट्टी व पीतल का शुभ माना जाता है. मान्यता है कि कलश के मुख में विष्णुजी, कंठ में शंकर जी और मूल में ब्रह्मा जी हैं. मध्य भाग में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं.
मातारानी के जागरण में तीन देवी-देवता की पूजा होती है
मातारानी के जागरण में तीन देवी और देवता की पूजा की जाती है और वे तीन देवी – देवता हैं माँ सरस्वती, निंद्रा माता एवं हनुमान जी. माँ सरस्वती को ज्ञान, साहित्य, संगीत और कला की देवी माना जाता है. माता सरस्वती का सम्बन्ध बुद्धि से है जो इन्सान को ज्ञानी बनाती है इसलिए लोग उन्हें ढोलक, मंजीरों आदि से प्रसन्न करते हैं. सरस्वती माता के आलावा माँ निंद्रा देवी की पूजा करना भी अनिवार्य है, जो लोग निंद्रा पर विजय पा लेते हैं उसे ही माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस पूजा में बजरंगबली का भी होना अनिवार्य है. यह जागरण तब तक पूर्ण नहीं माना जायेगा जब तक हनुमान जी की पूजा न हो और हनुमान चालीसा का पाठ न किया जाये.
तारावती की कथा अनिवार्य है
जागरण में तारावती की कथा सुनना अनिवार्य है, रात भर जागने के बाद सूर्योदय से पहले तारा रानी की कथा कहना व सुनना अनिवार्य है तभी जागरण पूर्ण माना जायेगा.
दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करना चाहिए
नवरात्री जागरण के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अनिवार्य है. इसमें 13 अध्याय हैं. न केवल जागरण में बल्कि पूरे 9 दिनों तक माँ दुर्गा जी का यह पाठ करना चाहिए. इसको पढ़ने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. यह बहुत ही शक्तिशाली और फलदायी पाठ है. इसे कभी भी अधूरा नहीं पढना चाहिए.
आने वाली इस नवरात्रि में आप जागरण में शामिल होना न भूलें, अपनी भक्ति को माँ के समक्ष प्रदर्शित करने का यह अच्छा अवसर होगा. माँ का पूरी भक्ति-भावना से वंदन करें व इस नवरात्रि उनका पूरे मन से अपनी भक्ति के साथ स्वागत करें.