आप सभी महाबली हनुमान के बारे में अवश्य ही जानते होंगे. पर क्या आप जानती है की हनुमान जी में इतनी अपार शक्तिया कहा से आई अथवा वे इत्मे शक्तिशाली क्यों है? तो आइये आज हम आपको इस बारे में बताते है की हनुमान जी इतने महाशक्तिशाली क्यों थे. वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अनुसार, बाल्य अवस्था में एक बार जब हनुमानजी फल समझकर सूर्यदेव को खाने के लिए निकल पड़े थे. तो सभी देवता गण घबरा गये थे.
हनुमान जी को रोकने के लिए इंद्र देव ने वज्र से हनुमानजी पर वार कर दिया था. इंद्रदेव के वज्रप्रहार से हनुमानजी निश्तेज होकर पृथ्वी पर गिर गये थे. हनुमान जी वायु पुत्र है इसी कारण इससे वायुदेव क्रोधित हो उठे और वायुदेव ने समस्त संसार में बहने वाली वायु के प्रवाह को शून्य कर दिया. तब पुरे संसार में हाहाकर मच गया था. सभी जन्तु वायु के अभाव में निष्प्राण हो रहे थे. और उसी क्षण परमपिता ब्रह्मा ने हनुमान को स्पर्श करके पुन: चैतन्य किया. उसके बाद सभी देवताओ ने हनुमान जी को वरदान प्रदान किए. और इन वरदानों के फलस्वरूप ही हनुमानजी परम शक्तिशाली बने.
हनुमानजी को प्राप्त थे इतने वरदान
1. हनुमानजी को भगवान सूर्य ने अपने तेज का सौवां भाग देते हुए कहा था कि जब तुम्हे शास्त्र अध्ययन करने की शक्ति आ जाएगी, तब मैं ही तुम्हे शास्त्रों का ज्ञान दूंगा, जिससे तुम अच्छे वक्ता बनोगे और शास्त्रज्ञान में तुम्हारे समान कोई नहीं होगा.
2. यक्षराज कुबेर ने भी वरदान दिया कि इस बालक को युद्ध में कभी विषाद नहीं होगा तथा मेरी गदा संग्राम में भी इसका वध न कर सकेगी.
3. धर्मराज यम ने हनुमानजी को यह वरदान दिया था कि यह मेरे दण्ड से हमेशा अवध्य और हमेशा निरोग होगा.
4. भगवान शंकर ने यह वरदान दिया था कि यह मेरे और मेरे शस्त्रों द्वारा भी अवध्य रहेगा. अर्थात हनुमान जी को कोई भी शिव अस्त्र नही मर सकता था.
5. देवशिल्पी विश्वकर्मा ने भी हनुमान जी को यह वरदान दिया कि मेरे बनाए हुए जितने भी शस्त्र हैं, उनसे यह अवध्य रहेगा और चिंरजीवी होगा. अर्थात इस वध नही होगा.
6. भगवान देवराज इंद्र ने यह वरदान दिया कि यह बालक आज के बाद कभी भी मेरे वज्र द्वारा भी अवध्य रहेगा.
7. जलदेवता वरुण ने भी हनुमान जी को वरदान दिया दिया कि इस बालक की आयु दस लाख वर्ष की आयु हो जाने पर भी मेरे पाश और जल से इसकी मृत्यु नहीं होगी.
8. परमपिता ब्रह्मा ने हनुमानजी को दीर्घायु, महात्मा और सभी प्रकार के ब्रह्दण्डों से अवध्य रहने का वरदान दिया था. ब्रम्हा जी ने वरदान दिया था की युद्ध में कोई भी इस बालक को कोई नही जीत नहीं पाएगा. यह अपनी इच्छा के अनुसार रूप धारण कर सकेगा, और जहां चाहेगा वहां जा सकेगा. ब्रम्हाजी ने वरदान दिया था की इसकी गति इसकी इच्छा के अनुसार तीव्र या मंद हो जाएगी.
9. इन सब वरदानो के अलावा जब हनुमानजी रावण हरण के पश्चात माता सीता को खोजते हुए अशोक वाटिका तक पहुंचे थे तो माता सीता ने हनुमान जी को अमर रहने का वरदान दिया था.
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