पुष्य नक्षत्र क्या और कब है? खरीददारी के लिए या क्यो महत्वपूर्ण माना जाता है?
Pushya Nakshatra 2021 Date & Time
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुष्य नक्षत्र को सर्वश्रेष्ठ शुभ नक्षत्र माना जाता है. पुष्य नक्षत्र समृद्धिदायक, शुभ फल प्रदान करने वाला नक्षत्र माना गया है. पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है. ऋगवेद में पुष्य नक्षत्र को मंगलकर्ता भी कहा गया है. पुष्य शब्द का अर्थ है पोषण करना या पोषण करने वाला. पुष्य ऊर्जा-शक्ति प्रदान करने वाला नक्षत्र है. अपने शब्द के ही अनुसार यह नक्षत्र सौभाग्य और सुख समृद्धि के साथ पोषण करने वाला माना गया है.
प्राचीन वैदिक ज्योतिषियों द्वारा पुष्य को तिष्य नक्षत्र भी कहा गया है. तिष्य शब्द का अर्थ है शुभ होना. यह अर्थ भी पुष्य नक्षत्र को शुभता ही प्रदान करता है. यह नक्षत्र स्वास्थ्य और सेहत की दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है. पुष्य नक्षत्र पर शुभ ग्रहों का प्रभाव होने पर यह सेहत संबंधी कई समस्याओं को समाप्त करने में सक्षम होता है एवं शारीरिक कष्ट निवारण के लिए यह मुहूर्त शुभ एवं लाभकारी होता है.
पुष्य नक्षत्र को मुहूर्त भी कहा जाता है. इस मुहूर्त का ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण स्थान है एवं लोगों में इसका विशेष महत्व है. कार्तिक अमावस्या के पूर्व आने वाले पुष्य नक्षत्र को अत्यंत शुभ माना गया है. जब यह नक्षत्र सोमवार, गुरुवार या रविवार को आता है, तो एक विशेष वार नक्षत्र योग निर्मित होता है. जिसके कारण सभी प्रकार का शुभफल सुनिश्चित हो जाता है. गुरुवार को इस नक्षत्र के पड़ने से गुरु पुष्य नक्षत्र का योग होता है. यह योग वर्ष में कभी-कभी आता है. माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र की साक्षी से किये गये कार्य सर्वथा सफल होते हैं
दीपावली पुष्य नक्षत्र 2021 कब होगा | Pushya Nakshatra 2021 Date
दीवाली से ठीक 7 दिन पहले 28 अक्टूबर 2021 को पुष्य नक्षत्र है जो 8 को भी रहेगा. अर्थात गुरूवार इस महत्पूर्ण नक्षत्र में आप खरीदारी का लाभ उठा सकते हैं.
पुष्य नक्षत्र प्रारंभ दिनांक | 28 अक्टूबर 2021 , गुरुवार को सुबह 9:41 बजे से |
पुष्य नक्षत्र समाप्ति दिनांक | 29 अक्टूबर 2021, शुक्रवार को सुबह 11:38 तक |
पुष्य नक्षत्र खरीददारी के लिए क्यो महत्वपूर्ण माना जाता है | Pushya Nakshtra Importance
ज्योतिष शास्त्र में समस्त सत्ताइस नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र आठवां नक्षत्र है. इस नक्षत्र के उदय होने पर ज्योतिषी शुभ कार्य करने की सलाह देते हैं. व्यापारिक कार्यों के लिए यह विशेष लाभदायी माना गया है. इस योग में किया गया जप , ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है. सभी नक्षत्रों में इसे सर्वोत्तम माना जाता है. पुष्य नक्षत्र के दौरान चंद्रमा कर्क राशि में स्थित होता है. बारह राशियों में एकमात्र कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है और चंद्रमा धन का देवता है. इसलिए पुष्य नक्षत्र को धन के लिए अत्यन्त पवित्र एवं शुभ माना जाता है. इस कारण सोना, चांदी और नए सामानों की खरीदारी के लिए पुष्य नक्षत्र को अत्यंत लाभदायक माना जाता है.
पुष्य नक्षत्र खरीददारी के लिए सर्वोत्तम माना गया है. इस दौरान वाहन, जमीन या घर खरीदना बहुत लाभदायक माना जाता है. पुष्य नक्षत्र में किए गए कार्य दोषमुक्त एवं शुभ होते हैं और जल्दी ही सफल हो जाते हैं. पुष्य नक्षत्र रविवार या गुरुवार को पड़े तो यह अत्यंत शुभदायक माना जाता है. इस शुभ संयोग को रवि पुष्य और गुरु पुष्य कहा जाता है.
पुष्य नक्षत्र के योग में स्वर्ण आभूषण खरीदने से स्थाई लाभ प्राप्त होता है. क्योंकि इसे शुद्ध, पवित्र और अक्षय धातु के रूप में माना जाता है और इनसे प्राप्त धन बरकत देता है. इस काल में जो वस्तुएं खरीदी जाती हैं, उससे पूरे परिवार को लाभ होता है और शुभ फल की प्राप्ति होती है.
दीपावली के पहले आने वाला पुष्य नक्षत्र इसलिए खास माना जाता है, क्योंकि दीपावली के लिए की जाने वाली खरीदी के लिए यह विशेष शुभकारी होता है जिससे कि इस दिन जो वस्तु आप खरीदते हैं वह लंबे समय तक उपयोग में रहती है. पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति (गुरु) हैं जो सदैव शुभ कर्मों में प्रवृत्ति करने वाले, ज्ञान वृद्धि, समृद्धि एवं विवेक दाता हैं तथा इस नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि शनि हैं जिसे ‘स्थावर’ भी कहते हैं जिसका अर्थ होता है स्थिरता.
इसी कारण इस नक्षत्र में किए गए कार्य चिर स्थायी होते हैं. दीपावली के समय लोग सोना, चांदी एवं अन्य सामान की सबसे ज्यादा खरीदी करते हैं, जो पुष्य नक्षत्र पर खरीदने से और भी शुभ हो जाती है. इस दिन मुख्य रूप से इलेक्ट्रानिक्स गुड्स, टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, कम्प्यूटर, लैपटाप, बाइक, कार, भूमि, भवन, बर्तन, सोना, चांदी आदि की खरीरदारी का विशेष महत्व है.
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