संत श्री रामकृपालु त्रिपाठी जी का जीवन परिचय, जन्म, मृत्यु, परिवार, सुविचार
Ram Kripalu Tripathi Biography, Birth, Family, Quotes In Hindi
जगदगुरु कृपालु महाराज एक आधुनिक संत और आध्यात्मिक गुरु थे. इनका वास्तविक नाम राम कृपालु त्रिपाठी था. कृपालु महाराज का जन्म प्रतापगढ़ जिले की कुंडा तहसील के निकट एक छोटे से मनगढ़ गाँव में 6 अक्टूबर 1922 को हुआ था . वाल्यावस्था से लेकर योवनावस्था तक ये अपने ननिहाल मनगढ़ में ही रहे. वहीँ के मिडिल स्कूल से 7 वीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए महू, मध्य प्रदेश चले गये.
वे ननिहाल में अपनी पत्नी के साथ बड़े प्रेमपूर्वक रह रहे थे. यही से दोनों नें मिलकर अपने गृहस्थ जीवन की शुरुआत की और तब से ही दोनों पति –पत्नी राधा-कृष्ण की भक्ति में तल्लीन हो गये. इसके बाद फिर कृपालु महाराज भक्ति-योग पर आधारित प्रवचन सुनने लगे.
वे अपने प्रवचनों में वेदों, उपनिषदों, पुराणों, गीता, वेदांत सूत्रों आदि ज्ञानों को दर्शाते थे. कृपालु महाराज के प्रवचन सुनने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु आने लगे और इस तरह से कृपालु महाराज के प्रवचन की ख्याति अपने देश के अलावा विदेशों तक भी जा पहुँची. कृपालु महाराज ने जगतगुरु कृपालु परिषद के नाम से एक प्रसिद्ध वैश्विक हिंदू संगठन का गठन किया था . कृपालु महाराज जी के इस समय पूरे विश्व में 5 आश्रम स्थापित हैं. इनका आध्यात्मिक केंद्र विदेश यूएसए में स्थापित है और इनमें से 4 अपने भारत में ही स्थित हैं और 1 अमेरिका में बनाया गया है.
राम कृपालु महाराज जी का निधन | Ram Kripalu Tripathi Death
प्रतापगढ जिले के मनगढ़ आश्रम की छत से गिरकर कृपालु महाराज जी कोमा में चले गए थे. तब कृपालु महाराज जी को उसी रात में अस्पताल में भर्ती कराया गया, परन्तु छत से गिरने की वजह से उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया था जिससे कृपालु महाराज जी का 15 नवम्बर 2013 दिन शुक्रवार सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर गुड़गाँव के फोर्टिस अस्पताल में इनका निधन हो गया था.
प्रेम मंदिर का निर्माण
प्रेम मंदिर का निर्माण कृपालु महाराज द्वारा किया गया था. इस मंदिर को भगवान कृष्ण और राधा के देव मंदिर के रूप में बनाया गया है. यह मंदिर वास्तुकला के माध्यम से दिव्य प्रेम को दर्शाता है और यह प्रेम मंदिर भारत में मथुरा के निकट वृन्दावन में स्थित है. इसे बनाने में 11 वर्ष का समय और 100 करोड़ रूपए का खर्चा आया था. मंदिर को बनाने के लिए इटेलियन संगमरमर के पत्थर का प्रयोग किया गया और इसे राजस्थान और उतर –प्रदेश के एक हजार शिल्पकारों द्वारा तैयार किया गया था. यह मन्दिर प्राचीन भारतीय शिल्पकला का एक बहुत सुन्दर नमूना है.
कृपालु महाराज जी के कोट्स | Ram Kripalu Tripathi Quotes
- मौत को हर समय याद रखो ,पता नहीं अगला क्षण मिले न मिले
- हमारा निन्दक हमारा हितैषी है .
- द्वेष करने वाले व्यक्ति के प्रति भी द्वेष न करें, उदासीन रहे .
- बड़े बड़े साधकों का पतन एवं बड़े-बड़े पापियों का भी उत्थान एक क्षण में हो सकता है .
- सहनशीलता बढ़ाओ, नम्रता बढ़ाओ , दीनता बढ़ाओ .
- दोष चिन्तन करते हुए शनै-शनै बुद्धि भी दोषयुक्त हो जाती है .
- कम बोलो मीठा बोलो, निरर्थक बात न करो, काम की बात करो .
- किसी का अपमान न करो, कड़क न बोलो, किसी को दु:खी न करो.
- संसारी कामना ही दुखों का मूल है, क्योंकि कामना पूर्ति पर लोभ एवं अपूर्ति पर क्रोध बढ़ता है.
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