आप सभी जानते है की मकर सक्रांति का त्योहार पूरे भारत देश में मनाया जाता है यह त्यौहार हर भारतीय बहुत ही उत्साह और उमंग से मनाता है. चूँकि अलग-अलग प्रांतों में इसके नाम अलग है और इसकी मान्यताएं भी अगल है. लेकिन इसके बावजूद इस त्योहार में कुछ चीजें ऐसी है जिन्हें पूरा देश मानता है और वह है मकर संक्रांति के दिन प्रातः स्नान दान और तिल का सेवन करना. इस दिन लोग नए चावल से बनी खिचड़ी और तिल से बनी चीज जरूर खाते हैं आइये जानें इसके पीछे धार्मिक क्या कारण है.
श्रीमद्भागवत एवं देवी पुराण मकर संक्राति के अवसर पर तिल के दान और तिल से बनी चीजों को खाने की परंपरा के पीछे के कारण का उल्लेख में मिलता है. शनि महाराज का अपने पिता से वैर भाव था क्योंकि सूर्य देव ने उनकी माता छाया को अपनी दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र यमराज से भेद-भाव करते देख लिया था इससे नाराज होकर सूर्य देव ने संज्ञा और उनके पुत्र शनि को अपने से अलग कर दिया था. इससे शनि और छाया ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का शाप दे दिया.
पिता सूर्यदेव को कुष्ट रोग से पीड़ित देखकर यमराज ने तपस्या कि और सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से मुक्त करवा दिया. लेकिन सूर्यदेव ने क्रोध के वशीभूत होकर शनि महाराज के घर कुंभ जिसे शनि की राशि कहा जाता है उसे जला दिया. कुम्भ जलने के कारण शनि और उनकी माता छाया को कष्ठ भोगना पड़ रहा था. यमराज को अपनी सौतली माता छाया और भाई शनि को कष्ट में देखकर दुःख हुआ और उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को काफी समझाया तब जाकर सूर्य देव शनि के घर कुंभ में पहुंचे. कुंभ राशि में सब कुछ जला हुआ था. जो सूर्यदेव ने पहले ही जला दिया था. जब सूर्यदेव शनि के कुम्भ में पहुचे उस समय शनि देव के पास तिल के अलावा कुछ नहीं था इसलिए उन्होंने काले तिल से सूर्य देव की पूजा की.
शनि की तिल से की गई पूजा से प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने शनि को आशीर्वाद दिया कि शनि का दूसरा घर मकर राशि मेरे आने पर धन धान्य से भर जाएगा. तिल के कारण ही शनि को उनका वैभव फिर से प्राप्त हुआ था इसलिए शनि देव को तिल प्रिय है. और इसी समय से मकर संक्राति पर तिल से सूर्य एवं शनि की पूजा का नियम शुरू हुआ. जो आज भी हिन्दू धर्म में प्रचलित है.
जब शनि देव के कुम्भ में सब कुछ जल गया था तो उन्होंने सूर्यदेव की पूजा तिल से की थी. शनि देव की पूजा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने शनि महाराज को आशीर्वाद दिया कि जो भी व्यक्ति इस दिन यानि मकर संक्राति के दिन काले तिल से सूर्य की पूजा करेगा उसके सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाएंगे. वह सुख को भोगेगा. इस दिन तिल से सूर्य पूजा करने पर आरोग्य सुख में वृद्धि होती. शनि के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं तथा आर्थिक उन्नति होती है.