What is kanwar yatra, reasons and importance in Hindi | जानिए क्या होती हैं कांवड़ यात्रा, महत्व और धार्मिक कारण
भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए भक्त तरह-तरह के उपाय करते है. भगवान शंकर को प्रसन्न करना बहुत ही कठिन है, जबकि भगवान शंकर बहुत ही कम समय में प्रसन्न हो जाते है. शिवजी को प्रसन्न करने के लिए भक्त कई प्रकार के पूजन पथ करते है. इसी के साथ ही शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कांवड़ लेकर उनके शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है. विशेष तौर पर कांवड़ का महत्व श्रावण मास में अधिक होता है.
क्या होती है कांवड़ (What is kanwar yatra in Hindi)
भगवान शिव के मन्दिर तक जल ले जाने के लिए पैदल चलते है और साथ में यात्रा के दौरान बांस की एक लकड़ी के दोनों किनारों पर बांस से ही बनी टोकरियां अथवा कलश या प्लास्टिक के साधन में गंगाजल भर कर उस कांवड़ को अपने कंधे पर उठाकर भगवान भूतभावन महादेव के ज्योतिर्लिंगों पर चढ़ाया जाता है. कांवड़ यात्रा की परम्परा अति प्राचीन है. भक्त कांवड़ को फूल-माला, घंटी और घुंघरू आदि से सजाकर वैदिक अनुष्ठान के साथ गंगाजल को कांवड़ में रखते है. कांवड़ यात्रा में धूप-दीप की खुशबू, भक्तों के मुख में बोल बम के नारे, मन में भोला बाबा के नाम से अनगिनत जयकारे लगाते हुए कांवडिए महादेव का अभिषेक करने के लिए गाजे-बाजे के साथ निकल पड़ते हैं.
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केन्द्रपूर्व आचार्य डॉ. आत्मा राम गौतम(वैदिक शोध संस्थान एवं कर्मकाण्ड प्रशिक्षण) ने अपने वक्तव्य में बताया कि श्रावण मास मे शिव आराधना और गंगाजल से अभिषेक करने का महत्व शिव पुराण में बताया गया है. अपने कांधे पर कांवड़ रखकर भोला बाबा के नारे लगाते पद यात्रा करना पुण्यदायक माना जाता है, कांवड़ यात्रा के प्रत्येक कदम के साथ एक अश्वमेघ यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है. प्रतिवर्ष श्रावण के मास में लाखों की संख्या में कांवडिए गंगा जल से शिव मंदिरों में महादेव का जलाभिषेक करते हैं.
आचार्य गौतम ने बताया कि वर्ष भर भोलेनाथ के भक्त कांवड़ यात्रा में भाग लेते है. हिन्दू धर्म में श्रावण का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, इसी कारण से ही इस महीने में महादेव के नाम से पुरे महीने में धूम रहती है. प्रतिवर्ष श्रावण मास में पूरा देश शिवमय हो जाता है. कांवड़ यात्रा में कांवडिए बोल बम और हर हर महादेव के जयकारों के साथ भगवा वस्त्र पहनकर ट्रक और ट्रैक्टरों आदि बड़े बड़े वाहनों पर बडे़ बडे़ लाउडस्पीकर बजाते हुए सडकों पर जुलुस के रूप में निकलते है.