किसी एक चीज से जुड़े रहना एडिक्शन कहलाता है। इसमें सिर्फ नशीले पदार्थ ही नहीं आते हैं, लेकिन कई बार हम कुछ विचारों के साथ भी एडिक्ट हो जाते हैं। यहां जानिए ऐसे ही कुछ विचारों के बारे में, इन बातों को छोड़ना या इनसे बाहर निकलना जरूरी है। ऐसा करने से जीवन खुशनुमा बन जाएगा और चुनौतियों से लड़ना आसान हो जाएगा…
1. दूसरों के सामने तो कहते हैं कि यह जिंदगी मेरी है। इससे जुड़ा हर फैसला आप खुद करते हैं। इतना कहने के बाद चुपके-चुपके दूसरों की अनुमति का इंतजार करना गलत है।
2. जब तक आप सांस ले रहे हैं, उस वक्त तक कुछ न कुछ नया सीखते रह सकते हैं। हर दिन नई शुरुआत की तरह है। अभी ही कोई नया बदलाव लाया जा सकता है। कभी खुद को यह मत कहिए कि आप रुक गए हैं, क्योंकि ऐसा कभी नहीं होता है।
3. अपनी तुलना दूसरों के साथ करना और फिर उनके साथ मुकाबला करने लग जाना। यह सबसे गंभीर एडिक्शन है। इससे जल्दी बाहर आना जरूरी है।
4. कई बार इंतजार करते रहना कि जो होगा, वह आसान ही होगा या फिर इस चीज की उम्मीद लगाए बैठना कि सब कुछ मेरे अनुसार होगा, किसी काम में कोई मुश्किल नहीं आएगी। इन बातों के बारे में सोचना गलत है।
5. इस बारे में सिर्फ ख्वाब देखना कि आप क्या बन सकते हैं या आप कहां तक पहुंच सकते हैं, सिर्फ सपने देखने से कुछ नहीं होगा। उन्हें हासिल करने के लिए कदम बढ़ाना भी उतना ही जरूरी है। आगे बढ़िए। दूसरों को क्षमा करें।
6. आप दूसरों के साथ तो बहुत प्यार करते हैं, लेकिन जब खुद को प्यार करने की बारी आती है तो कंजूस बन जाते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि जितना प्यार और स्नेह आप दूसरों को करते हैं, उतना ही प्यार खुद को भी करिए। अपने विचारों की इज्जत करिए। उन्हें पसंद करिए। इसका नतीजा यह होगा कि आपका जीवन में आगे बढ़ना आसान हो जाएगा।
7. इस बात पर विश्वास करने लग जाना कि हमारे पास दूसरों को देने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है। जबकि हकीकत यह है कि दूसरों को सिर्फ पैसे दिए जाएं, यह जरूरी नहीं है। आप उन्हें अपना कीमती वक्त या प्यार, अपनापन भी दे सकते हैं।
8. सोचना अच्छी बात है, लेकिन हर वक्त सोचते रहना, बार-बार, लगातार सोचना, सोचते जाने से दिमाग में अजीब विचार आने लग जाते हैं। जहां एक तरफ सोचने से सकारात्मक विचार आते हैं, वहीं लगातार सोचते रहने से नकारात्मकता बढ़ने लगती है।
9. दूसरों की कही हर बात को निजी तौर पर लेना और उसे लेकर ड्रामेटिक हो जाना यानी किसी ने कुछ कहा तो उसे सुनते ही आप रिएक्ट करने लग जाते हैं, लड़ते हैं, खुद परेशान होते हैं और दूसरों को भी परेशान करने लग जाते हैं। इससे बचना चाहिए।