हिन्दू धर्म बहुत ही विस्तृत है यह एक विशाल संस्कृति है. जो युगों युगों से चली आ रही है. हिन्दू धर्म में देवताओ के अनेक नाम होते है. जैसे की भगवान विष्णु को भी नारायण और हरी भी कहा जाता है. हिन्दू धर्म के अनुसार विष्णु भगवान परमेश्वर के तीन मुख्य रूपों में से एक रूप हैं. पुराणों में वर्णित है की त्रिमूर्ति विष्णु को विश्व का पालनहार कहा जाता है. नारद मुनि भगवाना विष्णु के सबसे बड़े भक्त है और नारद जी उन्हें नारायण कहकर ही पुकारते हैं. इसके अतिरिक्त विष्णु भगवान को अनन्तनरायण, लक्ष्मीनारायण, शेषनारायण इत्यादि नामों से भी बुलाया जाता रहा है. किन्तु मूल बात यह है कि इन सभी नामों के साथ नारायण जुड़ा रहता है. अर्थात भगवान विष्णु के नाम के साथ नारायण जुड़ना जरुर विशिष्ट बात है.
आइये हम आपको बताते है नारायण और हरी क्यों कहा जाता है–
इस मंत्र से मिलेगा भगवान विष्णु के हजार नामों के जप का फल
भगवान विष्णु पानी में शेषनाग के उपर विराजमान रहते हैं इसी कारण भगवान विष्णु ‘नीर’ या ‘नर’ नाम से जाना जाता है. इसी ‘नर’ से उनका नाम नारायण बना, इसका अर्थ है की पानी के अंदर रहने वाले भगवान.
एकादशी भगवान विष्णु को है सबसे प्रिय
पुरानो में वर्णित प्राचीन कथा के अनुसार, जल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के पैरों से हुई थी. और हम सभी जानते है की गंगा नदी भगवान विष्णु के पैरो से होकर बहती है इसकारण गंगा नदी को ‘विष्णुपदोदकी’ के नाम से भी जाना जाता है.
जब पृथ्वी पर पाप बढ़े तब भगवान ने लिए ये अवतार
भगवान विष्णु को एक कई नामो से जाना जाता है उसमे ‘हरि’ भी एक नाम है. शास्त्रों के अनुसार, हरि का अर्थ होता है, “हरने वाला या चुराने वाला”. इसलिए एक श्लोक में कहा जाता है कि “हरि हरति पापणि” इसका तात्पर्य यह है कि हरि भगवान हैं, जो मनुष्य जीवन से पाप और समस्याओं को हर लेते हैं, अर्थात समाप्त कर देते है.
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