राजीव भाई और आयुर्वेद के अनुसार खाना बनने के बाद 48 मिनट के अन्दर खाना चाहिए, तो जो बच्चे सुबह स्कूल को जाते है और शाम को वापस घर लौटते है, उनका क्या?
उत्तर : इसके लिए में एक विकल्प बताता हूँ, जो बच्चे सुबह-सुबह स्कूल को जाते है उनके लिए ये सूत्रा कैसे अप्लाई होगा. मेरी विनंती है कि बच्चों को खाना खिला के स्कूल भेजिए. आप बोलेंगे जी, खाते नहीं है. मै आपको इसका तरीका बताता हूँ कि वो खाना कैसे खायेंगे. हमारे शारीर की अपनी एक साइकल है. साइकल ये है कि कोई भी खाना खाए तो आपको आँठ घंटे के बाद ही भूख लगेगी. ये शरीर का अपना नियम है, जो बच्चों के लिए, पुरुषों के लिए, सबके लिए है. तो खाना खाने के आँठ घंटे बाद ही भूख लगेगी, रात का खाना उनको उस समय खिला दीजिये जो सुबह तक अंत घंटे पूरे हो जाए. मतलब कि अगले दिन शाम को ही खाना खिला दीजिये. रात को मत खिलाइए. शाम को 6 बजे तक अगर आपने खाना खिला दिया तो 8-9 बजे तक उनको नींद आ ही जाएगी क्योंकि खाना खाने के डेढ़ घंटे बाद जैसे ही खाना पच के रस में बदलता है, शरीर का ब्लड-प्रेशर अपने आप बढ़ाना शुरू कर देता है, और ब्लडप्रेशर बढे तो नींद आनी ही है, रुक नही पाएँगे आप. तो शाम का खाना 6 बजे खिला दीजिये, आँठ बजे उनको नींद आ जाएगी. 6 बजे से आँठ घंटा गिनेंगे तो सुबह चार-पाँच बजे तक वो पूरा हो जायेगा. चार-पाँच बजे के आस-पास जब वो सो कर उठेंगे तब इतनी तेज भूख लगी होगी और आप रोटी, दाल, चावल जो खिला दोगे वो वही खाके चले जाएँगे.
आप को थोडा बदल ये करना है की, रात को हम 10 बजे बच्चों को खाना खिला रहे है, या 11 बजे खिला रहे है, उसके 2 घंटे बाद रस बन रहा है, तो 3-4 बजे तक आधा खाना पचा, आधा नहीं पचा, तो उन्हें उठने पर भूख नहीं लगेगी. तो आप शाम का खाना जल्दी खाने लगे, माने सब लोग जैन ही हो जाइये, हाँ परोक्ष रूप से में ये कहता हूँ की, जैन धर्म आप पालन करे, महत्व का है, ध्रा करे वो उतना महत्व का नहीं है. आप आचार्य श्री को वंदन करे, बहुत अच्छा ! नहीं करे, तो शाम का खाना तो 6 बजे खा ले, तो आचार्य श्री को वंदन करने से भी बड़ा काम करेंगे. वो आचार्य श्री भी यहीं कहते है की, शाम का खाना जल्दी खाओ. तो आप थोड़े जैन ही हो जाइये, आपका भी खाना ख़राब नहीं है, बहुत अच्छा है लेकिन रात को खाना बंद कर दीजिये. बच्चों को रात का खाना बिलकुल बंद कर दीजिये, मै आपको विनम्रतापूर्वक कह रहाँ हूँ और इसको मै कल या परसों इसका अर्थ समझाउंगा.
आज आपने पूछ लिया इसलिए कह रहा हूँ, रात का खाना बिलकुल बंद कर दीजिये क्योंकि, बागवट जी का ये पहला सूत्र है, ये अभी मैंने आधा ही बताया है, सूर्य का प्रकाश और पवन का स्पर्श.. हर समय खाना बनाते समय, खाते समय, पीते समय, रहना ही चाहिए. 6 बजे के बाद तो सूर्य प्रकाश रह नहीं सकता, और आप जानते है, सूर्यप्रकाश का सबसे बड़ा परिणाम विटामिन ‘डी’ का निर्माण, इसलिए सूर्य का प्रकाश जब तक है तो खाना खाए तो विटामिन डी. इसलिए बच्चों को तो रात का खाना बिलकुल बंद कर दीजिये. सुबह 7 बजे जब स्कूल जायेंगे, तो खूब भूख लगी होगी, सांत बजे पराठा बना के खिलाइए, आलू का भी पराठा बना के खिलाइए गोभी का भी बना के खिलाइए तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता. इस पर मै आगे बात करूँगा, सुबह का भोजन जितना हैवी हो उतना अच्छा. तो बच्चों को भरपेट खाना खिला के स्कूल में भेजिए, लंच बॉक्स की जरुरत नही है, दोपहर को आते ही खाना खिलाइए और शाम को दूसरा भोजन, रात का भोजन बंद किया तो सुबह उठाते ही भूख लगती है. मैंने कुछ बच्चों पर प्रयोग किया, रात का भोजन बंद कर दिया, ये तो प्रकृति का नियम है.
सारे जानवर, सारे पक्षी उठाते ही खाना खाते है आप देखिये, चिड़िया है सुबह-सुबह खाना खाने लगेगी, गाय, बैल भैंस, क्योंकि वो शाम को सूर्य के बाद खाना नहीं खाते,गाय रात को खाना नहीं खाती, खिला के देखो ! जर्सी गाय को छोड़कर ! जर्सी भारत की नहीं है इसलिए उसको भारत का पता नहीं है, वो रात को 2 बजे भी खा लेगी. भारत की कोई भी गाय, भारत के नस्ल की गाय 6 बजे के बाद खाना नहीं खाएगी, तो भारत के तासीर को ध्यान में रखकर भोजन जल्दी करिए, सुबह भरपूर भूख लगेगी. और निवेदन इतना ही करता हूँ कि खाली पेट तो कभी बच्चों को स्कूल मत भेजिए. आप ने कहाँ कि दूध पीकर गया है, मतलब खाली पेट ही स्कूल गया है क्योंकि दूध सॉलिड भोजन नहीं है. ऐसा भोजन सुबह शरीर में जाना बहुत ही आवश्यक है, अगर भविष्य में आप उसको एसीडिटी, अल्सर, सेप्टिक अल्सर से बचाना चाहते है तो.
अतः आप सभी खाना बनने के 48 मिनट के भीतर खाये ताकि स्वस्थ रह सके.