चाणक्य एक अच्छे अर्थशास्त्री थे. चाणक्य तक्षशिला के गुरुकुल में आचार्य थे. चाणक्य राजनीतिज्ञ भी थे उनकी राजनीती के क्षेत्र में भी पकड़ थी. उनके पिता का नाम चणीक था इस कारण से ही उनको चाणक्य कहा जाता था. आइये जानते है ऐसी बाते जो किसी को नही बताना चाहिए
अर्थनाशं मनस्तापं गृहिणीचरितानि च। नीचवाक्यं चाऽपमानं मतिमान्न प्रकाशयेत्।।
अर्थनाशं मनस्तापं गृहिणीचरितानि च। नीचवाक्यं चाऽपमानं मतिमान्न प्रकाशयेत्।।
इस श्लोक में पहली बात यह बताई गई है कि “अर्थनाशं” अर्थात अर्थहानी यानि धनहानि होने की बात की को नही बताना चाहिए.
अर्थनाशं मनस्तापं गृहिणीचरितानि च। नीचवाक्यं चाऽपमानं मतिमान्न प्रकाशयेत्।।
दूसरी बात है “मनस्तापं” अर्थात हमें कभी भी मन संताप यानि हमारे दुःख की बात किसी ओर को नही बताना चाहिए.
अर्थनाशं मनस्तापं गृहिणीचरितानि च। नीचवाक्यं चाऽपमानं मतिमान्न प्रकाशयेत्।।
तीसरी बात बात बताई गई है, जिसका अर्थ है गृहणी(पत्नी) का चरित्र. यहाँ चाणक्य ने कहा है कि समझदार पुरुष वही है, जो अपनी पत्नी से जुड़ी सभी बातें गुप्त रखता है.
अर्थनाशं मनस्तापं गृहिणीचरितानि च। नीचवाक्यं चाऽपमानं मतिमान्न प्रकाशयेत्।।
चौथी गुप्त रखने योग्य बात यह है कि “नीचवाक्यं चाऽपमानं” इसक अर्थ यह है की जीवन में कोई नीच व्यक्ति हमारा करता है तो ऐसी घटना को भी किसी को नही बतानी चाहिए।